Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Kanpur News: तीन लोगों को मारने वाली आदमखोर बाघिन को कानपुर चिड़ियाघर में मिली सजा, फिर भी मार रही पंजे

    By daud khan Edited By: Anurag Shukla1
    Updated: Tue, 29 Jul 2025 05:54 PM (IST)

    कानपुर चिड़ियाघर में पीलीभीत से लाई गई आदमखोर बाघिन को एकांत कारावास में रखा गया है। तीन लोगों की जान लेने वाली इस बाघिन को केवल चिकित्सक और कीपर ही देख सकते हैं। बाघिन के व्यवहार पर लगातार नजर रखी जा रही है। क्वारंटीन अवधि के बाद उसे दर्शकों के लिए लाया जाएगा। बाघिन ने पीलीभीत में 46 दिनों तक आतंक मचाया था।

    Hero Image
    कानपुर चिड़ियाघर में पिंजरे में कैद बाघिन। जागरण

    जागरण संवाददाता, कानपुर। तीन लोगों को मौत की घाट उतारने वाली आदमखोर बाघिन को शहर के चिड़ियाघर में उम्रकैद की सजा मिली है। यहां आने के बाद व पिंजड़े ही गुर्रा व छटपटा रही है। चिकित्सक व कीपर के अतिरिक्त किसी को भी उसके पास जाने की अनुमति नहीं है। उसे चिड़ियाघर में एकांत में रखा गया है। उसके व्यवहार पर लगातार नजर रखी जा रही है। जैसे ही वह चिकित्सक व कीपर को देखती है, दहाड़ मारकर पिंजड़े के अंदर से ही पंजों से हमला करने का प्रयास करने लगती है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बाघिन को खाने में मांस दिया जा रहा है हालांकि वह खाने कि बजाय पानी अधिक पी रही है। उसके स्वास्थ्य पर भी नजर रखी जा रही है। पीलीभीत से लाने के बाद बाघिन को क्वारंटीन कर दिया गया है। चिड़ियाघर के माहौल की अभ्यस्त होने के बाद उसे दर्शकों के सामने लाया जाएगा। इसमें अभी समय लगेगा।

    आदमखोर बाघिन ने पीलीभीत में तीन लोगों को हमला कर मौत की घाट उतार दिया था, दो लोगों को गंभीर रूप से घायल कर दिया था। वन विभाग की टीमों ने बाघिन को काफी प्रयासों के बाद गुरुवार को पकड़ लिया

    बाघिन ने नौ जून की सुबह सबसे पहले न्यूरिया क्षेत्र के गांव मेवातपुर में किसान मुकेश कुमार को बनाया था। इसके बाद मंडरिया और फुलहर गांवों में हमला कर दो लोगों को मार दिया था। शासन ने बाघिन को जल्द पकड़ने के निर्देश दिए थे। मुख्य प्रधान वन संरक्षक (वन्यजीव) अनुराधा वेमूरी ने भी पीलीभीत पहुंच कर वन विभाग के अधिकारियों व ग्रामीणों के साथ बैठक की थी। उन्होंने वन विभाग के अधिकारियों से नाराजगी जताते हुए बाघिन को जल्द पकडने को कहा था।

    वन विभाग ने बाघिन को पकड़ने के लिए 12 टीमें बनाई, इसमें 70 अधिकारी व कर्मचारी शामिल थे। गुरुवार को न्यूरिया क्षेत्र के डंडिया गांव के पास गन्ने के खेत में बाघिन को रेस्क्यू कर लिया गया।

    वन्यजीव पशु चिकित्साधिकारी डा. दक्ष गंगवार और डा. मोहम्मद नासिर ने बाघिन का चिकित्सकीय परीक्षण कर रिपोर्ट बनाई। परीक्षण के दौरान बाघिन को पूरी तरह स्वस्थ पाया गया। बाघिन के चारों बड़े दांत, अठ्ठारह नाखून सही थे। बाघिन का आयु लगभग साढ़े तीन वर्ष है, इसका वजन पौने दो क्विंटल है। बाघिन ने पीलीभीत क्षेत्र में 46 दिनों तक आतंक मचाया था।

    शासन ने बाघिन को शहर के चिड़ियाघर भेजने का निर्णय लिया। इसके बाद शनिवार देर रात उसे यहां लाया गया। चिड़ियाघर निदेशक डा. कन्हैया पटेल के निर्देशन में बाघिन की देखरेख करने के साथ उसके स्वास्थ्य पर भी नजर रखी जा रही है। चिकित्सक व कीपर के अतिरिक्त किसी को भी उसके पास जाने की अनुमति नहीं है।