पढि़ए, पुलवामा हमले के शहीदों के गांव-मोहल्ले में किसको मिले सबसे ज्यादा वोट, कौन जीता
शहीदों के गांवों में लोगों ने भाजपा प्रत्याशी को संसद तक पहुंचाने के लिए वोट के रूप में कमल के फूलों की बारिश की।
कानपुर, जेएनएन। पुलवामा हमले को लेकर विपक्षियों के बिगड़े बयानों को नजरअंदाज करते हुए उन शहीदों के गांवों में आखिर राष्ट्रवाद की ही जीत हुई है। पुलवामा हमले के शहीदों के गांवों में मतदाताओं ने भाजपा प्रत्याशी को संसद तक पहुंचाने के लिए कमल के फूलों की बारिश की है। कन्नौज, इटावा और उन्नाव की सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों ने शहीदों के गांवों के बूथ पर एकतरफा जीत हासिल की है। इसमें कुछ बूथ ऐसे भी रहे, जिनमें पिछले चुनावों में सपा जीत रही थी।
सपा को नकारते हुए वोटों से भर दी भाजपा की झोली
पुलवामा हमले में शहीद हुए प्रदीप सिंह का पैतृक गांव सुखसेनपुर है, यहां एयरस्ट्राइक के बाद बदले माहौल से भाजपा प्रत्याशी ने 433 में 350 मत प्राप्त किए। सपा-बसपा गठबंधन के खाते में सिर्फ 69 मत ही मिले। इससे पहले इस गांव से हर बार समाजवादी पार्टी जीतती आई है। कन्नौज संसदीय सीट से जुड़ी तिर्वा विधानसभा क्षेत्र के इस गांव में पहली बार भाजपा को अप्रत्याशित वोट मिले हैं। पुलवामा हमले में यहां के जवान प्रदीप सिंह यादव शहीद हो गए थे, जिसका बदला लेने के लिए हुई एयरस्ट्राइक ने सबसे ज्यादा प्रभाव डाला। यहां लोगों ने राष्ट्रवाद में आस्था जता भाजपा को बंपर वोट दिए। गांव के लोगों का मानना है कि पुलवामा हमले के बाद भारतीय एयरफोर्स ने पीओके में घुसकर जो कार्रवाई की, उससे विश्वपटल पर भारत की साख बढ़ी है।
शहीद के गांव में खूब खिला कमल
जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले में शहीद हुए श्यामबाबू के गांव रैगवां नोनारी बुजुर्ग में जमकर कमल खिला। इटावा संसदीय सीट से जुड़ी सिकंदरा विधानसभा के गांव रैगवां में 360 मतदाताओं का वोट भाजपा को मिला, जो कुल पड़े मतों का 78.43 फीसद। नोनारी मतदान केंद्र रैगवां का बूथ संख्या 75 में कुल 806 मतदाता हैं, चुनाव में कुल 459 मत पड़े। इसमें भाजपा प्रत्याशी डॉ. रामशंकर कठेरिया को 360, सपा के कमलेश कुमार को 82 और कांग्रेस के अशोक कुमार दोहरे को केवल 6 मत ही मिल सके। इस बूथ पर चार प्रत्याशियों के मतों का खाता नहीं खुला, अन्य पांच प्रत्याशियों को केवल दो-दो मत व एक प्रत्याशी को एक मत ही मिला। सरकार ने शहीद के परिजनों को आर्थिक मदद के साथ उनकी पत्नी रूबी को नौकरी दी है। गांव में शहीद स्मारक के लिए भूमि के साथ ही पिता व पत्नी को कृषि भूमि का आवंटन हुई। पुलवामा की घटना का बदला देने के लिए एयरस्ट्राइक को लेकर लोगों में अधिक प्रभाव था।
शहीद के मोहल्ले में लहराया भगवा परचम
पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए शहर के जवान अजीत कुमार के पैतृक घर उन्नाव के लोकइया खेड़ा (जुराखनखेड़ा) मोहल्ले में है। इस मोहल्ले के लोगों ने चुनाव में भगवा परचम लहराया। चौ. खजान ङ्क्षसह कालेज मतदान केंद्र में इस मोहल्ले में मतदाताओं ने बूथ संख्या 192 193 और 194 में डाले। तीनों ही बूथों पर भाजपा के पक्ष में भारी मतदान हुआ। बूथ संख्या 192 में पड़े 633 वोटों में भाजपा को 412, सपा को 99 और कांग्रेस को 112 मत मिले। बूथ संख्या 193 में पड़े 532 मतों में भाजपा को 358, सपा को 89 और कांग्रेस को 75 वोट मिले हैं। बूथ संख्या 194 में 584 मत पड़े, यहां भाजपा) को 364, सपा को 100, कांग्रेस को 84 वोट मिले हैं। अजीत कुमार की शहादत के बाद पाकिस्तान के खिलाफ हुई सर्जिकल स्ट्राइक का असर मतदान में खुलकर दिखा।
बूथों पर झूम कर चला राष्ट्रवाद
पुलवामा में आतंकी हमले में शहीद हुए रामवकील के इटावा स्थित आवासीय क्षेत्र के गांधीनगर में स्थित वीणावादिनी स्कूल में मतदान केंद्र पर आधा दर्जन बूथों पर राष्ट्रवाद का मुद्दा जमकर चला। मतदान केंद्र पर भाजपा ने 241 मतों से विजय हासिल की। यहां पर रामवकील की पत्नी गीता अपने बच्चों के साथ रहती है। सर्जिकल स्ट्राइक को यहां के लोगों ने भाजपा प्रत्याशी के लिए वोट के रूप में कमल के फूल बरसाकर संसद की राह आसान की। यहां बूथ नंबर 143, 144, 145, 146, 147 और 148 में भाजपा को 2216 और सपा 975 वोट ही मिले। यह तब है जब इटावा का क्षेत्र सपा का गढ़ माना जाता रहा है।
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