छोले के भाव हो गई मटर और कई दालों को पीछे छोड़ा, जानिए इसकी वजह
थोक कारोबारी सचिन त्रिवेदी के मुताबिक जहां एक ओर मटर की कमी हुई है वहीं छोले की मांग कम है। इसलिए दोनों एक बराबर हो गए हैं। थोक कारोबारी विनोद गुप्ता ...और पढ़ें

कानपुर, जेएनएन। कुछ वर्ष पहले तक जिस मटर को सस्ती होने की वजह से छोले के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल किया जाता था वह आज कई दालों को पीछे छोड़ते हुए छोले के बराबर आकर खड़ी हो गई है। चार वर्ष पहले 25 रुपये किलो बिकने वाली मटर इस समय थोक बाजार में ही 70 रुपये किलो बिक रही है। आयात पर प्रतिबंधों की वजह मटर की यह स्थिति हो गई है।
छोले के दाल हमेशा से कई दालों से आगे होते रहे हैं, कई बार सहालग आदि के मौके पर इनके बार मांग की वजह से सबसे ऊपर भी हो जाते हैं। चार-पांच वर्ष पहले छोले के भाव थोक बाजार मेें 100 रुपये किलो से अधिक थे, दूसरी ओर मटर के भाव 25 रुपये किलो के आसपास थे।
मटर में दो-तीन रुपये की तेजी भी काफी ज्यादा मानी जाती थी। इसीलिए बहुत से लोग जो अपने घर की पार्टियों में छोले नहीं बना सकते थे, वे मटर का ही इस्तेमाल करते थे। इसके भाव सभी दालों से नीचे रहते थे, लेकिन अब तस्वीर बदल चुकी है। इस समय मटर और छोले के भाव एक बराबर हो गए हैं। करीब दो वर्ष पहले मटर के आयात पर लगे प्रतिबंधों की वजह से इसके भाव तेजी से बढ़ते हुए 70 रुपये किलो पर आ चुके हैं। दूसरी ओर सहालग की मांग ना होने। होटल, रेस्टोरेंट में भी बहुत कम काम होने के चलते छोलों की मांग कम है। मटर सिर्फ छोले के बराबर ही आकर खड़ी नहीं हुई है, वरन उसने मसूर, मसूर मलका, चना दाल को भी पीछे छोड़ दिया है।
थोक कारोबारी सचिन त्रिवेदी के मुताबिक जहां एक ओर मटर की कमी हुई है, वहीं छोले की मांग कम है। इसलिए दोनों एक बराबर हो गए हैं। थोक कारोबारी विनोद गुप्ता के अनुसार छोला और मटर में हमेशा से बहुत अंतर हुआ करता था। इसलिए बहुत बड़ा वर्ग जो आर्थिक रूप से थोड़ा कमजोर था वह छोले की जगह मटर का इस्तेमाल करता था। अब दोनों बराबर है, इसलिए छोले की मांग बढऩे की उम्मीद है।
थोक बाजार में दालों के भाव (प्रतिकिलो)
दाल भाव
मटर 70
छोला 70
मसूर 62
मसूर लाल 63
चना दाल 60
अरहर 88-92
उड़द हरी 150
उड़द काली 85
उड़द धुली 92
मूंग हरी 82
मूंग धुली 94

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