Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Parshuram Janmotsav : जमदग्नि ऋषि की तपोभूमि, पराशर की यज्ञभूमि और विप्र काशी की भूमि पर परशुराम मंदिर ने दी एक और पहचान

    By Abhishek AgnihotriEdited By:
    Updated: Tue, 03 May 2022 02:32 PM (IST)

    कानपुर के महाराजपुर के जमदा आश्रम में जमदग्नि ऋषि ने तपस्या की थी और नागापुर में पराशर ने 99 यज्ञ कराए थे वहीं बूढ़ेनाथेश्वर व नागेश्वर महादेव की विप्र (छोटी) काशी में अब परशुराम मंदिर की अब एक और पहचान बन गया है।

    Hero Image
    कानपुर के महाराजपुर में है भगवान परशुराम का मंदिर।

    कानपुर, जागरण संवाददाता। जमदग्नि ऋषि की तपोभूमि व ऋषि पराशर की यज्ञभूमि अब परशुराम की कीर्तिभूमि बन गई है। यहां महाराजपुर में गंगा के तट पर विप्र (छोटी) काशी के नाम से विख्यात यह पवित्र क्षेत्र जन-जन में नवचेतना का संचार कर रहा है। नागापुर में नवनिर्मित परशुराम मंदिर से इस क्षेत्र को नई पहचान मिली है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    महाराजपुर में ड्योढ़ीघाट से आगे स्थित जमदा आश्रम से लेकर नागापुर तक गंगातट का क्षेत्र विप्र (छोटी) काशी के नाम से जाना जाता है। नागापुर निवासी 70 वर्षीय पूर्व प्रधान करुणा शंकर त्रिपाठी बताते हैं कि जमदा में गंगातट पर ऋषि जमदग्नि ने कई वर्षों तक तपस्या की थी। उन्हीं के नाम पर इस स्थान को जमदा आश्रम के नाम से जाना जाता है। ऋषि जमदग्नि ने नागापुर से पहले जंगल में गंगा किनारे बूढ़ेनाथ महादेव शिवलिंग की स्थापना की थी।

    वहीं नागापुर में पराशर ऋषि ने सतचंडी यज्ञ का अनुष्ठान कराया था। 99 यज्ञ पूर्ण होने के बाद 100वें यज्ञ में कोई विघ्न आ जाने के चलते नागा (अपूर्ण) हो गया था। इसके बाद गांव का नाम नागापुर पड़ा। इसके बाद पराशर ऋषि ने गांव के बाहर पूरब दिशा में नागेश्वर महादेव की स्थापना की थी। 12 किलोमीटर की परिधि में स्थित इस छोटी काशी क्षेत्र में बारह शिवलिंग स्थापित हैं। अब इसी क्षेत्र में परशुराम मंदिर बन जाने के बाद जमदग्नि व पराशर के साथ परशुराम की कीर्ति फैलेगी। मंदिर की दीवारों पर मधुबनी चित्रकारी की भव्यता देखते ही बनती है।

    सर्वधर्म समभाव की मिसाल बना परशुराम मंदिर : अयोध्या के राममंदिर की तरह नागापुर में भी जनसहयोग से परशुराम मंदिर का निर्माण कराया गया है। मंदिर निर्माण में मुस्लिम भाई सलमान खान व शमीम अहमद 'नागा' ने निःस्वार्थ भाव से पूरा सहयोग दिया। शहर के जाने-माने आर्किटेक्टर (वास्तुविद) राजीव सिंह ने मंदिर के लिए अपनी निश्शुल्क सेवाएं दी। रामराज ने मंदिर के शिखर को बनाया व सजाया। समाज के अन्य वर्गों व जातियों के लोगों ने भी अपना भरपूर सहयोग व श्रमदान दिया।

    comedy show banner