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    Parshuram Jayanti Special: यूपी के इस गांव में पिता संग विराजमान हैं भगवान परशुराम, जानें यहां का धार्मिक महत्व

    By Shaswat GuptaEdited By:
    Updated: Fri, 14 May 2021 05:38 PM (IST)

    Parshuram Jayanti 2021 जमदग्नि ऋषि का यह आश्रम राजस्व अभिलेखों में जमथरखेड़ा के रूप में दर्ज है। जमदग्नि आश्रम के अपभ्रंश रूप में ग्रामीण इसे जमथरखेड़ा कहते हैं। जमदग्नि ऋषि आश्रम पर बने शिव मंदिर में स्थापित शिवलिंग के पूजन का बहुत महत्व है।

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    परसौरा गांव के आश्रम में मौजूद भगवान परशुराम की और उनके पिता जमदग्नि की मूर्ति।

    कानपुर देहात, [विष्णुभूषण मिश्र]। Parshuram Jayanti 2021 जिले के रसूलाबाद स्थित परसौरा क्षेत्र भले विकास व पर्यटन के रूप में उपेक्षित है, लेकिन ऐतिहासिक दृष्टि से इस क्षेत्र बड़ी महात्म्य है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इस क्षेत्र को भगवान परशुराम की जन्मस्थली माना जाता है। परसौरा गांव भगवान परशुराम के नाम पर ही पड़ा है। वहीं पास में उनके पिता जमदग्नि के नाम से जमथरखेड़ा क्षेत्र भी है जहां बने मंदिर में भगवान परशुराम व उनके पिता की भी मूर्ति है। यहां लोग बड़ी आस्था से शीश झुकाने आते हैं। 

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    जमदग्नि ऋषि का यह आश्रम राजस्व अभिलेखों में जमथरखेड़ा के रूप में दर्ज है। जमदग्नि आश्रम के अपभ्रंश रूप में ग्रामीण इसे जमथरखेड़ा कहते हैं। जमदग्नि ऋषि आश्रम पर बने शिव मंदिर में स्थापित शिवलिंग के पूजन का बहुत महत्व है। बताते हैं भगवान परशुराम के समकालीन बाणासुर शिवजी से प्रसाद रूप में तीन शिवलिंग प्राप्त कर उन्हें पृथ्वी पर स्थापित करने के लिए लाए थे। भगवान शिव ने उन्हें इस शर्त पर यह शिवलिंग दिए थे कि यह उन्हें जहां स्थापित करना है वहीं पृथ्वी पर रखें। यदि बीच में इन्हें पृथ्वी पर रख देंगे तो फिर यह वहीं स्थापित हो जाएंगे। जमदग्नि ऋषि के आश्रम के समीप उन्होंने वहां खेल रहे किशोर परशुराम को वह शिवलिंग दिए तो उन्होंने शिवलिंग ले लिए जाने पर प्रसन्न होकर यहीं स्थापित करवा दिया। दूसरा शिवलिंग कहिंजरी के महाकालेश्वर मंदिर में स्थापित है। 

    इस तरह स्थापित हुई परशुराम की मूर्ति: किंवदंतियों के अनुसार यहां भगवान का जन्म हुआ था। परसौरा ग्राम से कुछ ही दूरी पर स्थित उनके पिता जमदग्नि ऋषि का आश्रम है। परसौरा में परशुराम की मां रेणुका ने उन्हें जन्म दिया था। परसौरा निवासी राज नारायण दीक्षित बताते हैं कि उनके पिता स्वर्गीय मौजीलाल दीक्षित को स्वप्न में यह निर्देश मिला था कि यहां पर भगवान परशुराम का जन्म हुआ था। अत: यहां मंदिर का निर्माण करवाएं। तब वहां उन्होंने मंदिर का निर्माण करवाकर परशुराम जी की मूर्ति स्थापित की थी। तब से यहां बराबर अक्षय तृतीया को भगवान परशुराम की जयंती धूमधाम से मनाई जाती है। 

    जल्द ही जमदग्नि ऋषि के आश्रम का होगा सुंदरीकरण: अत्यंत पिछड़े इस गांव में जाने का कोई रास्ता न होने पर स्वर्गीय सांसद श्याम बिहारी मिश्र ने आश्रम तक जाने के लिए पक्का सीमेंटेड मार्ग बनवाया था और इसे पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किए जाने की मांग की थी। वर्तमान समय में भाजपा विधायक निर्मला संखवार ने भी परशुराम जी के पिता जमदग्नि ऋषि के आश्रम जमथरखेड़ा के सुंदरीकरण के लिए 50 लाख की राशि स्वीकृत कराई है, जिससे इसका विकास किया जाएगा।

    इस तरह पहुंचें मंदिर: यहां जाने के लिए रसूलाबाद से बिसधन मार्ग पर लगभग पांच किलोमीटर चलने के बाद पश्चिम की ओर निचली रामगंगा नहर पर बने डामरीकृत मार्ग पर लगभग तीन किलोमीटर के बाद परसौरा ग्राम पड़ता है जो नहर से एक किलोमीटर दूर है। गांव तक पक्का मार्ग बना हुआ है। 

    युवा ब्राह्मण महासभा के आंदोलन से आया बदलाव: रसूलाबाद स्थित भगवान परशुराम की जन्मस्थली परसौरा व तपोस्थली जोत के पर्यटन विकास को लेकर युवा ब्राह्मण महासभा ने बड़ा आंदोलन किया था। प्रदेश के जिलों में घूमकर राष्ट्रीय अध्यक्ष ने डेढ़ लाख युवाओं को एकजुट कर आवाज बुलंद की थी। उसके बाद ही जिम्मेदारों की नींद टूटी थी और बदलाव शुरू हुए। क्षेत्र को पर्यटन स्थल घोषित किए जाने की मांग अभी तक की जा रही है। संगठन के हजारों सदस्यों की आस्था परसौरा से जुड़ी है।