छह हजार रुपये में दान नहीं कर पाएंगे संपत्ति, गिफ्ट डीड पर भारी पड़ेगा एक प्रतिशत निबंधन शुल्क
यह खबर उनके लिए है जो अपनी सम्पत्ति को दान देना चाहते हैं। दान विलेख के लिए सरकार ने भले ही शुल्क में राहत दी है लेकिन निबंधन शुल्क में सरकार ने कोई भी छूट नहीं दी है।जिससे गिफ्ट डीड पर एक प्रतिशत का निबंधन शुल्क भारी पड़ रहा है।

कानपुर, [आलोक शर्मा]। दान विलेख के लिए सरकार ने शुल्क में राहत दी है। इसके बाद माना जा रहा था कि छह हजार रुपये में दान विलेख हो जाएगा लेकिन ऐसा नहीं है। खबर के साथ दिए गए दो उदाहरण इस बात का प्रमाण हैं कि अपनों को संपत्ति दान करने वालों को कुल संपत्ति की मालियत का एक प्रतिशत निबंधन शुल्क देना पड़ेगा। इसके चलते महंगी संपत्तियों पर यह निबंधन शुल्क स्टांप शुल्क से भी ज्यादा होगा। दरअसल, सरकार ने निबंधन शुल्क में कोई परिवर्तन नहीं किया है। उसे एक प्रतिशत ही रखा है। यह एक प्रतिशत संपत्ति की कुल कीमत पर लगेगा।
केस एक :
इटर्रा गांव के अशोक कुमार ने कानपुर के नवाबगंज में रहने वाली बहन शकुन को एक बीघा जमीन दान दी है। दान विलेख (गिफ्ट डीड) में उन्होंने पांच हजार रुपये स्टांप शुल्क और जमीन की मालियत का एक प्रतिशत निबंधन शुल्क 4100 रुपये जमा किए। इस तरह उन्होंने 9100 रुपये में गिफ्ट डीड पूर्ण कराई।
केस दो :
निबियाखेड़ा के बिहारीलाल ने अपने भाई रघुराज यादव को 17 बिस्वा जमीन दान में दी है। दान विलेख को पूर्ण कराने के लिए उन्होंने पांच हजार रुपये स्टांप शुल्क के साथ जमीन की कुल मालियत का एक प्रतिशत निबंधन शुल्क 4200 रुपये जमा किया। इस तरह उन्होंने 9200 रुपये जमा किए।
नई व्यवस्था
एक करोड़ की संपत्ति पर निबंधन शुल्क 1.05 लाख
मान लीजिए किसी संपत्ति का बाजार मूल्य एक करोड़ रुपये है। इस संपत्ति को दान करने के लिए पांच हजार रुपये का स्टांप शुल्क और एक लाख रुपये निबंधन शुल्क लगेगा।
पुरानी व्यवस्था
एक करोड़ की संपत्ति पर देने पड़ते थे आठ लाख
यदि किसी संपत्ति की कीमत एक करोड़ रुपये है तो पहले की व्यवस्था में कुल कीमत पर सात प्रतिशत स्टांप यानी सात लाख रुपये और निबंधन शुल्क एक प्रतिशत यानी एक लाख रुपये देते थे।इस तरह से आठ लाख रुपये में दान विलेख होता था।
तीन दिन में हो गए 15 दान विलेख
सरकार ने नियम में बदलाव किया तो दान विलेख की संख्या तेजी से बढ़ गई। पहले जहां एक माह में 25-30 दान विलेख दर्ज होते थे वहीं शुल्क कम हुआ तो तीन दिन में ही 15 दान विलेख दर्ज हो गए। घाटमपुर में पांच, जोन-1 में एक, जोन-3 में चार, जोन-4 में एक, बिल्हौर में तीन और नरवल में एक दान विलेख दर्ज कराए गए हैं।
एक माह में होती थी 300 वसीयत, अब हो जाएंगे कम
संपत्ति दान करने के लिए सबसे किफायती माध्यत वसीयत का था। महज 500 रुपये शुल्क पर इसे निबंधन विभाग रजिस्टर्ड कर लेता है। पूर्व के आंकड़े देखें तो एक माह में करीब 300 वसीयत के लेखपत्र दर्ज होते रहे हैं। चूंकि अब सरकार ने दान विलेख प्रक्रिया को सहज कर दिया है इसलिए वसीयत के मामले लगभग बंद हो जाएंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि वसीयत जिसे की गई है वह संपत्ति का पूर्ण रूप से मालिक तभी होगा जब वसीयत करने वाला नहीं रहेगा। कई बार वसीयत को लेकर कोर्ट में भी मामले चले जाते हैं जिससे वसीयत भी विवादित हो जाती है।
बोले जिम्मेदार: नया नियम आने के बाद दान विलेख की संख्या तेजी से बढ़ी है। निबंधन शुल्क को लेकर कोई आदेश प्राप्त नहीं हुआ है लिहाजा उसे एक प्रतिशत ही लिया जा रहा है। -अरुणेश नारायण शर्मा, एआइजी स्टांप
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