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    घाटमपुर पावर प्लांट में सामने आया भूमि अधिग्रहण घोटाला, अधिशासी अभियंता पर धोखाधड़ी का मुकदमा

    By Abhishek AgnihotriEdited By:
    Updated: Sat, 23 May 2020 09:53 AM (IST)

    ऑडिट में एक किसान की भूमि के अधिग्रहण में दो बार भुगतान का मामला सामने आया है।

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    घाटमपुर पावर प्लांट में सामने आया भूमि अधिग्रहण घोटाला, अधिशासी अभियंता पर धोखाधड़ी का मुकदमा

    कानपुर, जेएनएन। घाटमपुर के यमुना तटवर्ती क्षेत्र में निर्माणाधीन पावर प्लांट के लिए किए भूमि अधिग्रहण में घोटाला सामने आया है, जिसके बाद एनयूपीपीएल प्रबंधन ने दोषी पाये जाने पर एक अधिशासी अभियंता को निलंबित कर धोखाधड़ी का मुकदमा कराया है।

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    पॉकेटलैंड की छूटी भूमि अधिग्रहण में खेल

    गांवरामपुर निवासी किसान राकेश की पाकेटलैंड के तौर पर छूटी भूमि के अधिग्रहण के लिए 02 जनवरी 2018 को राकेश नाम से 8.53 लाख रुपये का चेक जारी कराया गया, जिसे कंपनी के अधिशासी अभियंता राकेश रोशन ने अपने नाम का फायदा उठाते हुए चेक को स्वयं के अकाउंट में ट्रांसफर करा लिया। 24 मई 2018 को उसी भूमि की खरीद के लिए 8.53 लाख का दूसरा चेक जारी कराया गया। जिसे किसान राकेश को देकर भूमि की रजिस्ट्री करा ली गई थी।

    एक ही भूमि के लिए दो बार भुगतान

    आडिट में एक ही भूमि की खरीद के लिए दो बार भुगतान का मामला प्रकाश में आने के बाद कंपनी के लेखा अनुभाग ने अपने पनकी स्थित एसबीआई शाखा से पूछा तो पता चला कि 02 जनवरी 2018 को जारी चेक को एक्सिस बैंक घाटमपुर शाखा में राकेश नामक व्यक्ति के नाम से भुनाया गया है जो एनयूपीपीएल का अधिशासी अभियंता राकेश रोशन हैं। धोखाधड़ी की पुष्टि के बाद शुक्रवार को कंपनी के उपमहाप्रबंधक (एचआर) पंकज कुमार ने सजेती थाना में अधिशासी अभियंता राकेश रोशन को निलंबित कर धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया है। थानाध्यक्ष अमित मिश्र ने बताया कि मुकदमा दर्ज करके विवेचना शुरू की गई है, तथ्यों के आधार पर कार्रवाई होगी।

    पाॅकेटलैंड की जांच कमेटी का मेंबर था आरोपित

    प्रस्तावित 1980 मेगावाट क्षमता के थर्मल पावर प्लांट के लिए वर्ष 2011 में 720.843 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया गया था। वर्ष 2015 में भूमि पर कब्जा लेने के दौरान अधिग्रहीत भूमि के बीच 52.33 हेक्टेयर ऐसी भूमि सामने आई थी, जिसका अधिग्रहण नहीं किया गया था। इस पाकेटलैंड के लिए कंपनी को नए भूमि अधिग्रहण कानून के मुताबिक तत्कालीन बाजार मूल्य के चार गुना मूल्य अदा करने के कारण परियोजना की लागत करीब 28 करोड़ रुपये बढ़ गई थी।

    इसको लेकर भड़के किसान आंदोलन के चलते छह माह काम ठप रहा था और मई 2018 में तत्कालीन जिलाधिकारी सुरेंद्र सिंह पाॅकेटलैंड को अप्रत्याशित मान तत्कालीन एसडीएम राहुल कश्यप विश्वकर्मा, तहसीलदार अवनीश कुमार व धोखाधड़ी के आरोपित एक्सईएन राकेश रोशन की तीन सदस्यीय कमेटी गठित करके जिम्मेदारी तय करने के निर्देश दिए थे। करीब एक वर्ष बाद दी गई जांच रिपोर्ट में मामले को रफादफा कर दिया गया था।