शोध: अब सीने के भीतर ही नहीं, बाहर भी धड़केगा ‘दिल’; आइआइटी कानपुर की टीम का अनुसंधान के अंतिम दौर में
आइआइटी कानपुर के गंगवाल स्कूल आफ मेडिकल साइंस एंड टेक्नोलाजी की टीम हृदय के विकल्प के तौर पर हृदयंत्र तैयार कर रही है। जिस तरह से हृदय शरीर में रक्त प्रवाह को बनाए रखने के लिए धमनियों से पहुंचने वाले रक्त को पंप कर धमनियों में वापस भेजता है। उसी तरह हृदयंत्र भी काम करेगा। इसमें लगे पंप की मदद से रक्त को धमनियों में भेजा जा सकेगा।

अखिलेश तिवारी, कानपुर। आइआइटी का कृत्रिम हृदय ‘हृदयंत्र’ अपने अनुसंधान के अंतिम दौर में है। अगले साल के अप्रैल महीने तक इसके टेबल टाप यानी शरीर के बाहर रखकर हृदय की मदद करने वाला वर्जन लाने की योजना है। दिसंबर में जानवरों पर परीक्षण की तैयारी के बीच आइआइटी के विज्ञानी हृदयंत्र के विभिन्न संवेदनशील हिस्सों को इस तरह से विकसित करने में जुटे हैं कि वह शरीर की कोशिकाओं के बीच उनका स्वाभाविक हिस्सा बनकर रह सके।
आइआइटी कानपुर के गंगवाल स्कूल आफ मेडिकल साइंस एंड टेक्नोलाजी की टीम हृदय के विकल्प के तौर पर हृदयंत्र तैयार कर रही है। जिस तरह से हृदय शरीर में रक्त प्रवाह को बनाए रखने के लिए धमनियों से पहुंचने वाले रक्त को पंप कर धमनियों में वापस भेजता है। उसी तरह हृदयंत्र भी काम करेगा।
हृदयंत्र को बैटरी के जरिये ऊर्जा मिलेगी
इसमें लगे पंप की मदद से रक्त को धमनियों में भेजा जा सकेगा। हृदयंत्र को बैटरी के जरिये ऊर्जा मिलेगी। हृदयंत्र को कोशिकाओं की प्रोटीन संरचना के अनुरूप तैयार किया जा रहा है, जिससे शरीर में पहुंचने पर कोशिकाएं इसे बाहरी तत्व के बजाय अपना स्वाभाविक हिस्सा मानें और अनुरूप सहज व्यवहार करें।
सतह को ऐसा बनाया गया है, जिससे प्राकृतिक लगे
रिसर्च टीम का मार्गदर्शन कर रहे प्रो. के मुरलीधर के अनुसार हृदयंत्र को मानव शरीर में दिल के निचले बाएं हिस्से की मदद के लिए तैयार किया जा रहा है। विशेष मोटर से इसका संचालन होगा और नियंत्रित भी किया जा सकेगा। विज्ञानियों का दावा है कि यह दुनिया के कृत्रिम हृदय उपकरणों के मुकाबले इसलिए भी बेहतर होगा क्योंकि मैकेनिकल, इलेक्ट्रानिक्स व इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग का प्रयोग कर इसकी सतह को इस तरह से तैयार किया गया है ताकि यह प्राकृतिक बनाया गया है।
पहले चरण में: इस उपकरण में भावी चुनौतियों के मद्देनजर हृदय रोग विशेषज्ञों के सुझाव के अनुरूप बदलाव भी किए जा सकेंगे। फिलहाल हृदयंत्र का जो पहला वर्जन तैयार किया जा रहा है उसे शरीर के बाहर रखा जाएगा।
दूसरे चरण में: इसे मानव शरीर के अंदर लगाने योग्य बनाया जाएगा। आइआइटी के प्रो. अमिताभ बंद्योपद्याय ने बताया कि अभी ऐसे उपकरण विश्व की दो- तीन कंपनियां बना रही हैं, लेकिन कीमत डेढ़ करोड़ रुपये तक है। हृदयंत्र की कीमत 10 से 15 लाख रुपये के बीच होगी।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।