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    राष्ट्रीय शर्करा संस्थान में चुकंदर से बनाई चीनी, गन्ने की अपेक्षा कहीं अधिक उत्पादन

    By AbhishekEdited By:
    Updated: Sat, 11 May 2019 06:15 PM (IST)

    मिश्र श्रीलंका व नाइजीरिया ने राष्ट्रीय शर्करा संस्थान को शुगर तकनीकी बढ़ाने के लिए करार पत्र भेजा है।

    राष्ट्रीय शर्करा संस्थान में चुकंदर से बनाई चीनी, गन्ने की अपेक्षा कहीं अधिक उत्पादन

    कानपुर, जेएनएन। अभी तक सिर्फ आप गन्ने से ही चीनी बनने के बारे जानते होंगे लेकिन अब चीनी की मिठास चुकंदर भी देगा। राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (एनएसआइ) के निदेशक ने इसपर रिसर्च की और कामयाबी हासिल की है। चुकंदर से गन्ने की अपेक्षा कहीं अधिक चीनी का उत्पादन किया जा सकता है। इसमें उन्होंने अपने फार्म हाउस में बेल्जियम और भारत में होने वाले चुकंदर से चीनी बनाई है।

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    प्रति हेक्टेयर 80 टन चुकंदर उत्पादन

    एनएसआई के निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन ने बताया कि उन्होंने बेल्जियम की दो व एक भारत की प्रजाति के साथ अपने फार्म हाउस में चुकंदर की खेती की। उन्होंने इसका उत्पादन 80 टन प्रति हेक्टेयर पाया जबकि गन्ने का उत्पादन 74 से 75 टन प्रति हेक्टेयर होता है। यह ऐसी प्रजातियां हैं जो अधिक तापमान में भी विकसित हो सकती हैं। जबकि चुकंदर ठंडे क्षेत्रों की प्रजाति है जिसकी खेती 20 से 22 डिग्री सेल्सियस तापमान में हो सकती है। उन्होंने पाया कि नवंबर से मार्च माह तक किसान इन प्रजातियों की खेती कर सकते हैं। चुकंदर से गन्ने की अपेक्षा 15 से 20 फीसद अधिक शक्कर बनाई जा सकती है।

    मिश्र, श्रीलंका व नाइजीरिया ने भेजा करार पत्र

    राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (एनएसआइ) अब मिश्र, श्रीलंका व नाइजीरिया में शुगर इंडस्ट्री को बढ़ाने के लिए उनकी तकनीकी मदद करेगा। तीनों देशों की सरकार ने संस्थान को अनुरोध व करार पत्र भेजे हैं। श्रीलंका में शुगर केन रिसर्च सेंटर व मिश्र में शुगर टेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर को अपग्रेड करने में एनएसआइ उन्हें शर्करा अनुसंधान के लिए विकसित की गई नई तकनीक प्रदान करेगा। नाइजीरिया सरकार ने नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट की तरह नाइजीरिया शुगर इंस्टीट्यूट यानि वहां पर भी एक एनएसआइ स्थापित करने की ख्वाहिश व्यक्त की है।

    उनके देश में शुगर इंस्टीट्यूट स्थापित करने के लिए एनएसआइ निदेशक प्रोफेसर नरेंद्र मोहन व वरिष्ठ प्रोफेसर पाठ्यक्रम तैयार कर रहे हैं। मिश्र व श्रीलंका के रिसर्च इंस्टीट्यूट खुद को एक ऐसा इंस्टीट्यूट बनाना चाहते हैं, जहां शिक्षण कार्य के साथ दुनियाभर के चीनी उद्योगों को सलाह व प्रशिक्षण भी दिया जा सके। इस करार के लिए शुगर केन रिसर्च इंस्टीट्यूट श्रीलंका के निदेशक डॉ. कीर्तिपाला 29 मई को एनएसआइ आ रहे हैं।

    एनएसआइ निदेशक प्रोफेसर नरेंद्र मोहन ने बताया कि इस करार के बाद दस जुलाई को वह नाइजीरिया व मिश्र से करार करने के लिए उनके देश जाएंगे। तीनों देशों के साथ काम करने के लिए जो मसौदा तैयार किया जा रहा है उसमें प्रशिक्षण व फैकेल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम के अलावा वेल्यू एड शुगर का उत्पादन करना शामिल है। जिससे चीनी उद्योगों के लाभ के साथ उससे जुड़े किसानों को भी अधिक फायदा मिल सके। इस दौरान डॉ. जितेंद्र सिंह व डॉ. स्वेन भी मौजूद रहे।

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