UPPCL: अब केस्को कर्मी भी देंगे बिजली खर्च का हिसाब-किताब, अफसरों-कर्मियों के घर लगेंगे स्मार्ट मीटर
UP Electricity केस्को ने नया नियम जारी कर दिया है। अब सभी कर्मियों और अधिकारियों को भी बिजली खर्च का पूरा हिसाब-किताब देना होगा। कानपुर में पहली बार कर्मचारियों के घर में स्मार्ट मीटर लगने जा रहे हैं। इसकी शुरूआत 17 सितंबर से होगी। अब मीटर लगने के बाद सभी कर्मचारियों के बिजली खर्च का हिसाब-किताब UPPCL के पास होगा।
रितेश द्विवेदी, कानपुर। करीब सवा सौ साल बाद अब केस्को कर्मियों और इंजीनियरों के भी बिजली खर्च का पूरा हिसाब-किताब रखा जाएगा। 25 दिसंबर 1906 में शहर में बिजली आपूर्ति शुरू होने के बाद पहली बार केस्को के अफसरों और कर्मचारियों के घरों में स्मार्ट मीटर लगने जा रहे हैं। इसकी शुरुआत 17 सितंबर से केस्को प्रबंध निदेशक (एमडी) सैमुअल पाल एन के आवास 'लाइट हाउस' से होने जा रही है।
नियमानुसार, मीटर लगने के बाद बिजली कर्मियों को कुल बिजली खर्च का 50 प्रतिशत शुल्क जमा करना होगा। मौजूदा समय में बिजली कर्मियों के लिए पद के अनुसार बिल की अलग-अलग भुगतान राशि निर्धारित है। बिजली खर्च चाहे जितना हो, उन्हें सिर्फ तय शुल्क ही जमा करना होता था।
मीटर लगने के बाद विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के घरों में खर्च होने वाली बिजली का हिसाब यूपीपीसीएल (उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड) के पास होगा।
केस्को 582 करोड़ रुपये के बजट से एएमआइएसपी (एडवांस मीटरिंग इंफ्राटेक्चर प्रोवाइटर) योजना के तहत स्मार्ट मीटर लगा रहा है। आगामी 17 सितंबर से सरकारी कार्यालयों में फोर जी पोस्टपेड स्मार्ट मीटर लगाने का काम शुरू होगा। यह मीटर केस्को कर्मियों के घर और कालोनियों में लगाए जाएंगे। अब तक केस्को के अधिकारी, इंजीनियर और कर्मचारी फिक्स चार्ज पर असीमित बिजली खर्च कर सकते थे।
केस्को मजदूर संघ के अध्यक्ष विजय त्रिपाठी बताते हैं कि बिजली कर्मियों को सेवा शर्तों के अनुसार फिक्स चार्ज की सुविधा मिलती है। अधिकारियों और कर्मचारियों के पास फिक्स चार्ज देने या मीटर लगवाने, दोनों का विकल्प होता है। नियमानुसार, मीटर लगने पर बिजली कर्मियों को कुल बिल का 50 प्रतिशत शुल्क जमा करना होता है। हालांकि, विरोध की आशंका को देखते हुए इस नियम को लेकर अभी अधिकारी ज्यादा कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं।
केस्को में 1100 कर्मी, पहले चरण में लगेंगे 500 मीटर
केस्को में लगभग 1100 कर्मी हैं, जिनमें अधिकारियों के साथ ही इंजीनियर और सबस्टेशन के कर्मचारी हैं। इनके घरों में बिजली के मीटर नहीं लगे हैं। अभी तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी केवल 417 रुपये प्रतिमाह के शुल्क देकर असीमित बिजली खर्च कर सकते हैं। वहीं, अधीक्षण अभियंता से लेकर अवर अभियंता 890 से 1560 रुपये का फिक्स चार्ज देकर बिजली खर्च का लाभ लेते हैं। इसके साथ ही एसी घर पर लगाने पर साढ़े छह सौ रुपये प्रतिमाह देना होता है।
केस्को मीडिया प्रभारी श्रीकांत रंगीला के अनुसार, पहला स्मार्ट मीटर प्रबंधक निदेशक के लाइट हाउस में लगाया जाएगा। पहले चरण में तीन फेज के 500 मीटर लगाए जाएंगे। यह स्मार्ट मीटर सभी सरकारी आवासों में लगेंगे। आगामी एक सप्ताह में 10 हजार से ज्यादा स्मार्ट मीटर की आपूर्ति जीनस कंपनी करेगी।
118 साल पहले शहर में पहली बार जले थे बल्ब
शहर में 25 दिसंबर 1906 को इंडियन इलेक्ट्रिक सप्लाई एंड ट्रैक्शन कंपनी ने क्रिसमस के दिन आपूर्ति शुरू की थी। सबसे पहले गिरजाघरों और यूरोपीय परिवारों के आवासों में बिजली जली थी। विद्युत कर्मी संगठन के पदाधिकारी भगवान मिश्रा बताते हैं कि अंग्रेजों के जमाने में विभाग का मुखिया जिस आवास में रहता था उसे लाइट हाउस के नाम से जाना जाता था। अब भी यह परंपरा चली आ रही है।
अधिकारियों-कर्मियों को इतना देना होता है बिजली खर्च
पद फिक्स-चार्ज
मुख्य अभियंता-1,766
अधीक्षण अभियंता-1,560
अधिशासी अभियंता-1,137
सहायक अभियंता-1,057
अवर अभियंता-890
बाबू, लाइनमैन, एसएसओ- 524
चतुर्थ श्रेणी कर्मी- 417
केस्को प्रबंध निदेशक, सैमुअल पान एन ने बताया- शहर में आगामी 17 सितंबर से स्मार्ट मीटर लगाने का काम शुरू होगा। केस्को कर्मियों के घरों में भी स्मार्ट मीटर लगेंगे। बिजली विभाग के अधिकारियों और कर्मियों को घर में कितनी बिजली खर्च हो रही है,उसका भी डेटा रखा जाएगा।
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