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    खुलकर सामने आई यूपी विधानसभा अध्यक्ष और भाजपा सांसदों के बीच की रार, मुख्यमंत्री तक पहुंचाया बैठक का मामला

    By Abhishek AgnihotriEdited By:
    Updated: Thu, 17 Nov 2022 11:39 AM (IST)

    यूपी विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना की ओर से सर्वांगीण विकास को लेकर आहूत बैठक को सांसद देवेंद्र सिंह भोले और सत्यदेव पचौरी ने संसदीय परंपरा के विपरीत बताते हुए मंडलायुक्त को पत्र लिखकर सवाल उठाए हैं। मुख्यमंत्री के संज्ञान में भी मामला लाया गया है।

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    यूपी विधानसभा अध्यक्ष और कानपुर के सांसदों के बीच मतभेद सामने आए।

    कानपुर, जागरण संवाददाता। भारतीय जनता पार्टी में बड़े नेताओं के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। अर्से से अंदरखाने एक-दूसरे की काट करने वाले नेताओं की लड़ाई बुधवार को खुलकर सड़क पर आ गई। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना के सलाहकार मुल्क राज की ओर से कानपुर नगर के सर्वांगीण विकास को लेकर आहूत की गई बैठक का भाजपा सांसद सत्यदेव पचौरी और देवेंद्र सिंह भोले ने खुला विरोध कर दिया है। मंडलायुक्त को लिखे पत्र में दोनों सांसदों ने इस बैठक को संसदीय परंपरा के विपरीत बताते हुए तत्काल प्रभाव से निरस्त करने का आग्रह किया है। साथ ही मुख्यमंत्री के संज्ञान में भी पूरा मामला लाने को पत्र की प्रतिलिपि उन्हें भी की गई है।

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    सर्वांगीण विकास को लेकर बैठक कराने के दिए थे निर्देश

    14 नवंबर को विस अध्यक्ष महाना के सलाहकार की ओर से मंडलायुक्त डा. राजशेखर को पत्र भेजकर कानपुर के सर्वांगीण विकास संबंधी बैठक कराने के निर्देश दिए गए थे। इसके क्रम में 16 नवंबर को मुख्य विकास अधिकारी सुधीर कुमार की ओर से जिले के सभी सांसदों, विधायकों को 18 नवंबर को होने वाली बैठक में शामिल होने का पत्र भेजा गया था। यह पत्र जब अकबरपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद भोले और कानपुर से सांसद सत्यदेव पचौरी को मिला तो उन्हें लगा कि यह कदम विकास संबंधी बैठकों में उनके अधिकारों पर हस्तक्षेप जैसा है।

    सांसदों ने मंडलायुक्त को पत्र लिखकर जताई नाराजगी

    दोनों सांसदों ने मंडलायुक्त को पत्र लिखकर नाराजगी जताई और इसे संसदीय परंपरा विपरीत बताते हुए तत्काल प्रभाव से बैठक निरस्त करने का आग्रह किया। साथ ही उन्होंने पत्र में लिखा है कि जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समिति यानी दिशा की बैठक समय-समय पर सांसद की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समीक्षा को लेकर किया जाता है। इसके अलावा जिले के प्रभारी मंत्री भी विकास कार्यों की समीक्षा बैठकों का आयोजन करते हैं।

    इसके बाद भी विधानसभा अध्यक्ष के सलाहकार विकास संबंधित बैठक करने का निर्देश दे रहे हैं, जो किसी भी तरह से संवैधानिक व उचित नहीं है। यह भी लिखा है कि ध्यान रखना चाहिए कि समीक्षा बैठक बुलाने का अधिकार मुख्यमंत्री, जिले के प्रभारी मंत्री को ही होता है। इस पूरे घटनाक्रम से भाजपाई गुटबाजी व तल्खी साफ ध्वनित हो रही है। उधर, पत्र को लेकर विधानसभा अध्यक्ष महाना और दोनों सांसदों भोले व पचौरी को फोन मिलाया गया, लेकिन संपर्क नहीं हो सका।

    ये खींचतान नई नहीं

    विस अध्यक्ष महाना और दोनों सांसदों भोले व पचौरी के बीच ये खींचतान नई नहीं है। चाहे लोकसभा चुनाव हो या फिर विधानसभा या निकाय चुनाव, अपनों को टिकट दिलाने के लिए हर दांव आजमाने का क्रम अर्से से चल रहा है। हां, मंचों पर जरूर एकजुटता का संदेश दिया जाता है।