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    PM Awas Yojana: कानपुर में साढ़े 12 हजार से अधिक पीएम आवास तैयार, लाभार्थियों को बैंक से भी लेना पड़ रहा कर्ज

    By Jagran NewsEdited By: Prabhapunj Mishra
    Updated: Thu, 10 Aug 2023 12:20 PM (IST)

    PM Awas Yojana In Kanpur कानपुर में पीएम आवास योजना के तहत 12 हजार से अध‍िक पीएम अवास बनकर तैयार हैं। लेक‍िन लाभार्थियों को आधी-अधूरी किस्तें मिलने का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। हम आपको उदाहरण के तौर पर दो ऐसे केस के बारे में बताने जा रहे हैं ज‍िससे कानपुर में आपको प्रधानमंत्री आवास योजना का हाल समझ आ जाएगा।

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    PM Awas Yojana In Kanpur: पीएम आवास तैयार लेकिन लाभार्थियों को बैंक से भी लेना पड़ रहा कर्ज

    कानपुर, जासं। प्रधानमंत्री आवास योजना का हाल बताने के लिए दो उदाहरण काफी है। आधी-अधूरी किस्तें मिलने का खामियाजा लाभार्थियों को भुगतना पड़ रहा है। किस्त अटक जाने से लाभार्थियों को घर पूरा कराने के लिए बैंक से कर्ज लेना पड़ रहा है। लोग परेशान हैं लेकिन समस्या का कोई समाधान नहीं है। पीएम आवास योजना 2017 में शुरू हुई जबकि कानपुर शहर का पहला डीपीआर 2018 में केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृत किया गया।

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    योजना के अन्तर्गत 11052 आवास अब तक स्वीकृत हैं जिनकी प्रथम किश्त दी जा चुकी है। दूसरी किश्त के रु 10890 और तीसरी किश्त के रु 8130 का भी भुगतान हो चुका है। योजना के अंतर्गत अभी 2922 मकानों का निर्माण कार्य जारी है। पीएम आवास योजना के तहत तीन तरह से मकान बनाए गए हैं जिसमें लाभार्थी का चयन और धन आवंटन डूडा के स्तर से किया जाता है।

    दूसरी योजना प्रधानमंत्री आवास एफोर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्ट है जिसमें कानपुर विकास प्राधिकरण के द्वारा 16 हजार आवास बनाए गए हैं। योजना के अंतर्गत बने आवास की लागत साढ़े चार लाख रुपये है जिसमें ढाई लाख अनुदान सरकार से मिलता है जबकि बाकी धन को बैंक फाइनेंस से चुकाना पड़ता है। निर्मित आवासों में अभी 716 आवासों का आवंटन होना बाकी है।

    तीसरी योजना बैंक से ऋण लेकर आवास बनाने वालों की है जिसमें आय सीमा निर्धारित नहीं है। इसके अंतर्गत जो व्यक्ति बैंक से ऋण लेता है उसे ढाई लाख रुपये का ऋण अनुदान में दिया जाता है लेकिन यह योजना अब बंद की जा चुकी है। साथ ही पीएम आवास योजना को मार्च 2024 में बंद किया जा रहा है।

    भीतरगांव में सबसे ज्यादा लाभार्थी

    पीएम आवास ‘ग्रामीण’ योजना में लाभार्थी को एक लाख 20 हजार रुपये दिए जाते हैं। इस योजना के अंतर्गत जिले में अब तक 21546 लाभार्थियों का चयन हुआ है जिसमें 18249 आवासों का निर्माण पूरा हो चुका है। चालू वित्तीय वर्ष में 6049 लाभार्थियों का चयन किया गया जिसमें 3378 आवासों का निर्माण जून माह तक पूरा हो चुका है। इस योजना के अंतर्गत लाभार्थी को पहली किश्त में 40 हजार रुपये दूसरी में 70 हजार रुपये और तीसरी में 10 हजार रुपये दिए जाते हैं। इसके साथ ही 12 हजार रुपये शौचालय निर्माण के लिए और 90 दिन की मनरेगा मजदूरी भी दी जाती है जो लगभग 19600 रुपये है। जिले में भीतरगांव विकास खंड में सर्वाधिक लाभार्थी पाए गए हैं।

    विकास खंडवार प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण का विवरण विकासखंड स्वीकृत पूर्ण निर्मित भीतरगांव 1173 3397 बिल्हौर 738 632 चौबेपुर 433 272 घाटमपुर 1012 483 ककवन 313 151 कल्याणपुर 430 254 पतारा 536 318 सरसोल 343 204 शिवराजपुर 475 285 बिधनू 601 383

    प्रधानमंत्री आवास योजना में चयनित लाभार्थियों के ज्यादातर आवास पूरे हो चुके हैं। जो लाभार्थी निर्माण अभी तक पूरा नहीं करवा सके हैं उन्हें बैंक या अन्य संस्थाओं से वित्त प्रबंधन कराया जा रहा है। -तेज कुमार परियोजना अधिकारी डूडा

    केस-एक

    उस्मानपुर गांव किदवई नगर में रहने वाली चंद्रकली को डेढ़ साल पहले मकान बनाने के लिए पहली किस्त मिली थी लेकिन घर बनाने के लिए अतिरिक्त पैसे नहीं मिल पाए तो अब तक मकान पूरा नहीं बन पाया है। बैंक से कर्ज लेकर अब वह अपना मकान बनवा रही हैं जिससे उन्हें अगली किस्त मिल सके। फिलहाल मकान का काम बस जैसे-तैसे चल रहा है।

    केस-दो

    लाल बंगला में रहने वाली पिंकी सिंह के पति का स्वर्गवास 2003 में हो गया था। इंटरमीडिएट तक शिक्षा हासिल करने वाली पिंकी ने सिलाई का काम घर से करके बच्चों का पालन पोषण किया लेकिन मकान बनाने की हैसियत नहीं जुटा पायी। प्रधानमंत्री आवास योजना में जब ढाई लाख रुपए की मदद का सहारा मिला तो पिंकी के मकान का सपना भी पूरा हो गया हालांकि इस तैयार करने में उन्हें ढाई साल से ज्यादा का वक्त लग गया क्योंकि मकान बनाने के लिए उन्हें अपने पास से भी पैसे का प्रबंध करना पड़ा। उनके पिता अमरजीत सिंह ने मदद से पिंकी ने मकान पूरा बनवा लिया गया और तीन किस्तों में ढाई लाख रुपए अनुदान भी मिल गए। पिंकी सिंह बताती हैं कि अगर अनुदान का सहारा ना मिलता तो वह अपनी दो बेटियों की पढ़ाई को प्राथमिकता देतीं।