टप्पेबाजी मतलब ज्यादा कमाई और कम रिस्क, तेजी से बढ़ रहा अपराध का यह तरीका
ब्रांडेड कपड़ों में अप-टू-डेट बनकर देते गच्चा, न खून खराबा और न जान जाने का जोखिम, पहले चुनते शिकार, मिलकर मारते हैं झपट्टा।
कानपुर, जागरण संवाददाता। कम रिस्क और मोटा हाथ, जी हां अपराधी अब ठगी और टप्पेबाजी के ही पुराने हथियार को धार देकर मोटी कमाई कर रहे हैं। पकड़े जाने पर थोड़ी बहुत पिटाई हो जाती है, थाने तक पहुंचे तो मामूली धाराओं में मामला निपट जाता है।
शहर में पिछले साल 179 टप्पेबाजी और ठगी की घटनाएं हुई। ऐसी तमाम घटनाएं हुई होंगी जिसमें हंसी उडऩे के भय से महिलाएं जिक्र नहीं करतीं। टप्पेबाजी लाखों में हो तो चर्चा में आती है, वरना लोग सब्र करके घर लौट जाते हैं। पुलिस ने पिछले दिनों ईरानी गैंग, महाराष्ट्र का गैंग और गुजराती गैंग पकड़े थे लेकिन घटनाएं नहीं रुकी। वहीं आजकल शादी समारोह में नन्हे उस्तादों का गैंग सक्रिय हो गया है। जो लोगों की व्यस्तता का पूरा लाभ उठाते हुए घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं।
टप्पेबाजों की ट्रिक
-गीला बिस्कुट कार पर फेंक कहते हैं मैला लगा है।
-कार में सिर्फ एक व्यक्ति है तो ड्राइविंग सीट पर अचानक एक व्यक्ति आकर चालक से उलझ जाता है या शीशा फोड़ देता है।
-बर्तन चमकाते-चमकाते महिलाओं को जेवर चमकाने का लालच देकर।
- चेकिंग के नाम पर जेवर उतरवा लेना।
बौना पड़ता कानून
इंडियन पीनल कोड में टप्पेबाजी की वारदातों का मुकदमा दर्ज करने के लिए कोई स्पष्ट धारा नहीं है। एक अफसर का कहना है जब आईपीसी बनायी गई थी, तब इस तरह के अपराध नहीं होते थे। यही वजह है टप्पेबाजी को चोरी और धोखाधड़ी की धाराओं में दर्ज किया जाता है।
2018 में टप्पेबाजी की प्रमुख घटनाएं
- 15दिसंबर को सर्राफ प्रमोद कुमार वर्मा से नील वाली गली में क्राइम ब्रांच बता 260 ग्राम सोने के जेवर और प्रापर्टी डीलर के पिता रामकिशन से भी चेन व आठ अंगूठियां उतरवाना।
- 4 दिसंबर को घंटाघर से बांदा के किराना व्यापारी राजबिंद गुप्ता के बैग से साढ़े तीन लाख उड़ाए।
- 19 नवंबर को किदवई नगर में पेट्रोल पंप मालिक से 10.40 लाख की टप्पेबाजी
- 26 अक्टूबर को चकेरी में कार सवार दवा व्यापारी से
- 08 अक्टूबर को नौबस्ता में लोहा कारोबारी से नौ लाख की
- 16 फरवरी को सीसामऊ थाने के सामने चेकिंग के नाम पर व्यापारी से 5.50 लाख की
शहर में पिछले साल 179 टप्पेबाजी और ठगी की घटनाएं हुई। ऐसी तमाम घटनाएं हुई होंगी जिसमें हंसी उडऩे के भय से महिलाएं जिक्र नहीं करतीं। टप्पेबाजी लाखों में हो तो चर्चा में आती है, वरना लोग सब्र करके घर लौट जाते हैं। पुलिस ने पिछले दिनों ईरानी गैंग, महाराष्ट्र का गैंग और गुजराती गैंग पकड़े थे लेकिन घटनाएं नहीं रुकी। वहीं आजकल शादी समारोह में नन्हे उस्तादों का गैंग सक्रिय हो गया है। जो लोगों की व्यस्तता का पूरा लाभ उठाते हुए घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं।
टप्पेबाजों की ट्रिक
-गीला बिस्कुट कार पर फेंक कहते हैं मैला लगा है।
-कार में सिर्फ एक व्यक्ति है तो ड्राइविंग सीट पर अचानक एक व्यक्ति आकर चालक से उलझ जाता है या शीशा फोड़ देता है।
-बर्तन चमकाते-चमकाते महिलाओं को जेवर चमकाने का लालच देकर।
- चेकिंग के नाम पर जेवर उतरवा लेना।
बौना पड़ता कानून
इंडियन पीनल कोड में टप्पेबाजी की वारदातों का मुकदमा दर्ज करने के लिए कोई स्पष्ट धारा नहीं है। एक अफसर का कहना है जब आईपीसी बनायी गई थी, तब इस तरह के अपराध नहीं होते थे। यही वजह है टप्पेबाजी को चोरी और धोखाधड़ी की धाराओं में दर्ज किया जाता है।
2018 में टप्पेबाजी की प्रमुख घटनाएं
- 15दिसंबर को सर्राफ प्रमोद कुमार वर्मा से नील वाली गली में क्राइम ब्रांच बता 260 ग्राम सोने के जेवर और प्रापर्टी डीलर के पिता रामकिशन से भी चेन व आठ अंगूठियां उतरवाना।
- 4 दिसंबर को घंटाघर से बांदा के किराना व्यापारी राजबिंद गुप्ता के बैग से साढ़े तीन लाख उड़ाए।
- 19 नवंबर को किदवई नगर में पेट्रोल पंप मालिक से 10.40 लाख की टप्पेबाजी
- 26 अक्टूबर को चकेरी में कार सवार दवा व्यापारी से
- 08 अक्टूबर को नौबस्ता में लोहा कारोबारी से नौ लाख की
- 16 फरवरी को सीसामऊ थाने के सामने चेकिंग के नाम पर व्यापारी से 5.50 लाख की
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