Move to Jagran APP

कानपुर में रोडवेज बसों की दुर्दशा देख राज्यमंत्री का छलका दर्द, कहा...ये सब देखकर शर्म आती है

वे गंदगी का दोष यात्रियों पर मढ़ते हैं। हालांकि उनके तर्क संतुष्ट करने वाले नहीं हैं। उनके तर्कों को मानकर ही चलें तो डिपो से निकलकर गंतव्य तक जाने या यहां वहां से लौटने में यात्रा के दौरान बसों में सफाई के नियम बने ही नहीं हैं।

By Akash DwivediEdited By: Published: Tue, 14 Sep 2021 12:05 PM (IST)Updated: Tue, 14 Sep 2021 05:36 PM (IST)
कानपुर में रोडवेज बसों की दुर्दशा देख राज्यमंत्री का छलका दर्द, कहा...ये सब देखकर शर्म आती है
रोडवेज बसों की हालत भला किससे छिपी है

कानपुर, जेएनएन। रोडवेज बसों की हालत भला किससे छिपी है। फटी सीटें और फैली गंदगी उत्तर प्रदेश रोडवेज बसों की पहचान है, यूं कह लीजिए यह बस सेवा पर एक बदनुमा दाग है। रविवार को खुद परिवहन राज्यमंत्री अशोक कटारिया नेे भी इन हालात पर क्षोभ व्यक्त किया। उन्हेंं कहना पड़ा कि गंदगी देख शर्म आती है। मगर, सवाल यह भी है कि व्यवस्था दुरुस्त रखने के लिए परिवहन विभाग में जो तंत्र काम कर रहा या जो जिम्मेदार हैं, उन्हेंं भी शर्म आती है। शायद नहीं...यह बात बसों की गंदगी, साफ-सफाई के उचित नियम तय करने के प्रति अफसरों की अनदेखी बताती है। गंदगी के सवाल पर अधिकारियों के पास टका सा जवाब है-डिपो से बस साफ होकर निकलती है।

loksabha election banner

वे गंदगी का दोष यात्रियों पर मढ़ते हैं। हालांकि, उनके तर्क संतुष्ट करने वाले नहीं हैं। उनके तर्कों को मानकर ही चलें तो डिपो से निकलकर गंतव्य तक जाने या यहां वहां से लौटने में यात्रा के दौरान बसों में सफाई के नियम बने ही नहीं हैं। यात्रा के दौरान साफ-सफाई बरकरार रखने को लेकर भी कोई सख्त नियम नहीं हैं। बसों की फर्श पर बिखरी गंदगी के बीच ही यात्रियों का सफर कटता है। इसके अलावा फटी और टूटी सीटें सुविधाजनक यात्रा में रोड़ा है, जिन पर अधिकारियों के पास सिवा आश्वासन के कुछ नहीं। सोमवार को दैनिक जागरण की पड़ताल में अधिकांश बसों की फर्श पर मूंगफली के छिलके, पानी की बोतले, रैपर सहित अन्य गंदगी पड़ी हुई थी। यात्री इसी गंदगी के बीच बैठने को मजबूर थे। बसों की सीटें जगह-जगह से उखड़ी थीं। चालकों की सीट भी बुरी हालत में थी।

सरकारी बसों से लाख गुना अच्छी दिखती निजी बस : : रोडवेज बसों के अंदर गंदगी देखकर शर्म आती है। निजी बसों से तुलना की जाए तो फर्क साफ पता चलता है। बसों की सफाई पर ध्यान दें। यात्रियों को बेहतर सुविधाएं मिलेगी तो वे रोडवेज बसों की ओर आकर्षित होंगे।

  • डिपो में बसों को साफ करने के बाद उनको रवाना किया जाता है। रास्ते यात्री भी बसों में ही गंदगी फैला देते हैं। बसों की बुरी हालत की शिकायत करते हैं, लेकिन कार्रवाई नहीं होती। -अशीष श्रीवास्तव, परिचालक
  • बसों में व्याप्त समस्याओं की शिकायत करने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं होती है। टूटी सीट पर बैठकर हर दिन 426 किलोमीटर बस चलाते हैं। इससे कमर दुखने लगती है। -मनोज सिंह, चालक
  • रोडवेज किराया पूरा लेता है, लेकिन सुविधाएं कुछ नहीं देता। बसों की सफाई भी नहीं की जाती है। इससे यात्रियों को परेशानी होती है। -गोविंद सिंह, यात्री
  • बहुत कम रोडवेज बसें है जिनमें खामियां न हों। किसी की सीटें फटी है तो किसी में शीशे टूटे हैं। बसें रास्ते में अक्सर खराब हो जाती हैं। -घमंडी लाल, यात्री
  • डिपो में सफाई व धुलाई के बाद बसों को रवाना किया जाता है। रास्ते में यात्री बसों में ही गंदगी फैला देते हैं। बसों में भी खामी हैं, उनको दूर करने के निर्देश दिए गए हैं। -अनिल अग्रवाल, क्षेत्रीय प्रबधक, रोडवेज

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.