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    यूक्रेन से लौटे छात्रों ने पीएम मोदी के नाम का ज्ञापन सांसद को सौंपा, देश के कालेजों में दाखिले की गुहार

    By Abhishek VermaEdited By:
    Updated: Mon, 11 Apr 2022 12:58 PM (IST)

    युक्रेन पर रूस के हमले के बाद वहां पढ़ रहे भारतीय छात्र भारत वापस आ चुके हैं । इस बीच कानपुर के छात्रो ने सांसद देवेंद्र सिंह भोले से मिलकर पीएम को संबोधित ज्ञापन दिया और देश के मेडिकल कालेजों में दाखिले की मांग की ।

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    यूक्रेन से लौटे छात्रों ने सांसद देवेंंद्र सिंह को सौंपा ज्ञापन ।

    कानपुर,जागरण संवाददाता। रूस के हमले के बाद यूक्रेन से लौटे एमबीबीएस कोर्स के भारतीय छात्रों के भविष्य को लेकर अब तक कोई फैसला नहीं हो सका है। उधर यूक्रेन के हालात भी ठीक नहीं हुए। इसके चलते छात्र-छात्राएं काफी तनाव में हैं।

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    रविवार को तमाम छात्र-छात्राओं ने सांसद देवेंद्र सिंह भोले को प्रार्थना पत्र व ज्ञापन देकर देश में ही विभिन्न संस्थानों में दाखिला दिलाने की मांग की।बर्रा निवासी छात्र दिव्यम तिवारी ने बताया कि अचानक रूस व यूक्रेन के बीच युद्ध छिड़ जाने के कारण उन्हें अपनी पढ़ाई छोड़कर वतन वापस लौटना पड़ा था, लेकिन अब तक पढ़ाई सुचारू नहीं हो सकी है। इसके चलते भविष्य अंधकार में प्रतीत हो रहा है। हम सभी छात्र-छात्राओं को आर्थिक रूप से भी काफी नुकसान उठाना पड़ा है।

    उन्होंने मांग की कि केंद्र सरकार ने जिस तरह से मिशन गंगा चलाकर यूक्रेन में फंसे विद्यार्थियों को विशेष विमान भेजकर देश वापस बुलाया था। उसी तरह अब सरकार सभी छात्र-छात्राओं को देश के ही विभिन्न मेडिकल कालेजों में प्रवेश देकर पढ़ाई पूरी करवाए। इसके वह लगातार आभारी रहेंगे।

    उन्होंने प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन भी सौंपा। सांसद ने छात्र-छात्राओं को भरोसा दिलाया है कि वह उनके प्रार्थना पत्र को केंद्र सरकार के समक्ष रखकर मदद दिलाने की कोशिश करेंगे। इस दौरान छात्र तुषार निगम, अर्पित कटियार, आकांक्षा कटियार, श्रेय सिंघानिया, भाजपा नेता हेमंत प्रताप सिंह और अन्य पदाधिकारी भी रहे। 

    आनलाइन पढ़ाई से भी नहीं होगा समस्या का समाधान : छात्रा जेनसी ने बताया कि अगर यूक्रेन सरकार छात्र-छात्राओं को आनलाइन प्रारूप में पाठ्यक्रम पूरा कराने की पेशकश करती है तो भी मुश्किलें हल नहीं होंगी, क्योंकि चिकित्सा पाठ्यक्रम में आनलाइन माध्यम से प्रैक्टिकल और क्लीनिकल अध्ययन नहीं हो सकेगा। प्रयोगात्मक व क्लीनिक अध्ययन पूर्ण किए बगैर उनकी डिग्री भी व्यर्थ होगी।