Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    गठिया या पोलियो की वजह से चलने में हैं लाचार तो 'एग्जोलेग' देगा रफ्तार

    By Abhishek AgnihotriEdited By:
    Updated: Sat, 26 Jun 2021 11:10 AM (IST)

    पीएसआइटी कानपुर के चार पूर्व छात्रों ने पोलियो व गठिया पीड़ितों के लिए खास तरह का कैलीपर बनाया है। एग्जोलेग नाम का यह कैलीपर एकेटीयू के कलाम एनुअल प्रोजेक्ट एंड पोस्टर टेक्निकल कंप्टीशन में विजेता रहा है ।

    Hero Image
    पीएसआइटी के पासआउट छात्रों ने कैलीपर बनाया है।

    कानपुर, [विक्सन सिक्रोड़िया]। अब पोलियो, गठिया और कमजोर मांसपेशियों वाले मरीज बिना दर्द सहे आराम से चल सकेंगे। पैरों को सहारा देने के लिए जल्द ही उनके पास ऐसा कैलीपर होगा जो चलने के दौरान ज्वाइंट को मोड़ने में मदद करेगा। पहली बार इस तरह कैलीपर तैयार किया गया है, एग्जोलेग नाम से इस कैलीपर को पीएसआइटी के पास आउट छात्रों ने बनाया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पीएसआइटी के पासआउट छात्र ने तैयार किया एग्जोलेग

    प्रणवीर सिंह इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी (पीएसआइटी) से मैकेनिकल इंजीनियरिंग के पासआउट छात्रों ने आडिनो प्रोग्रामिंग कर एक ऐसा कैलीपर ‘एग्जोलेग’ बनाया है। इसमें माइक्रो कंट्रोलर व पोटेंसियोमीटर सेंसर लगा है, जो नजर रखता है कि व्यक्ति कब चल रहा है और कैसे चल रहा है। उसके चलने के अनुसार ही इसका पूरा मैकेनिज्म काम करता है। अभी तक जो कैलीपर बाजार में उपलब्ध हैं उनमें ज्वाइंट के पास लाक मैकेनिज्म लगा होता है, जिससे पैर मुड़ता नहीं है। इससे मरीज को सीधे पैर करके चलना पड़ता है। अब लाक को हटाकर जो मैकेनिज्म इस्तेमाल किया है, उससे ये व्यक्ति के चलने के अनुसार खुद को ढाल लेता है।

    एकेटीयू के कंप्टीशन में विजेता रहा

    मैकेनिकल इंजीनिययरिंग विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर आमिर खान के निर्देशन में पूर्व छात्र मुकुल वर्मा, मोहित कुमार, हरप्रीत सिंह व चंद्र मुरारी ने इसे तैयार किया। अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिíवसटी (एकेटीयू) की ओर से साल 2018 में हुए कलाम एनुअल प्रोजेक्ट एंड पोस्टर टेक्निकल कंप्टीशन में यह कैलीपर विजेता रहा था। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के छात्र विश्वकर्मा अवार्ड में यह टाप-100 प्रोजेक्ट में भी चयनित हुआ है। कलाम आर्ट गैलरी में भी अव्वल रहा। इसे पेटेंट कराने के बाद बाजार में उतारने की तैयारी है। इसके लिए ई-आक्शन फाइल कर रहे हैं। केंद्र सरकार के बायोटेक्नोलाजी विभाग के तहत कलाम इंस्टीट्यूट आफ हेल्थ टेक्नोलाजी ने उन्हें फाइल करने को आमंत्रित किया है।

    ऐसे आया आइडिया

    असिस्टेंट प्रोफेसर आमिर खान ने बताया कि पढ़ाई के दौरान मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्रों ने दिव्यांग व गठिया मरीजों को ध्यान में रखते हुए यह कैलीपर तैयार करना शुरू किया था। इसके लिए 50 से अधिक मरीजों की केस स्टडी की गई। इसके बाद उनकी जरूरत के अनुसार, इसे बनाया गया। ज्यादातर मरीजों ने बताया कि अभी जो कैलीपर पहनकर चलते हैं, उसमें उन्हें पैर सीधा रखना पड़ता है। छात्रों ने एक के बाद एक कई कैलीपर बनाए और स्प्रिंग तकनीक के जरिये लाक मैकेनिज्म को हटाने में सफल रहे।

    एक साल में तैयार किया

    छात्रों ने बताया कि इसे तैयार करने में एक साल का वक्त लगा। इस दौरान इसमें कई बदलाव किए गए। इसमें करीब 12 हजार रुपये की लागत आई है, लेकिन बड़े पैमाने पर उत्पादन होने पर इसकी लागत कम होगी।

    कैलीपर देखकर ही बताया जा सकता है कि वह कितना लाभदायक होगा। हां अनलाक कैलीपर घुटने को जाम होने से बचा सकता है। जोड़ों में मूवमेंट बना रहेगा और चलने-फिरने में भी आसानी होगी। -चंद्रशेखर कुमार, फिजियोथेरेपिस्ट, सीएसजेएमयू, कानपुर

    comedy show banner
    comedy show banner