कानपुर में औद्योगिक क्षेत्र के विकास को बढ़ाए कदम
औद्योगिक विकास किसी भी सरकार की प्राथमिकता में रहे हैं। इसके लिए अनवरत बैठकें होती हैं। इसके बावजूद उद्योगों के लिए जो आधारभूत सुविधाएं चाहिए, वह अपेक्षा के अनुरूप नहीं हो सका।
कानपुर। औद्योगिक विकास किसी भी सरकार की प्राथमिकता में रहे हैं। इसके लिए अनवरत बैठकें होती हैं। इसके बावजूद उद्योगों के लिए जो आधारभूत सुविधाएं चाहिए, वह अपेक्षा के अनुरूप नहीं हो सका। हालांकि वर्तमान सरकार अब कुछ गंभीरता दिखा रही है। इस बीच औद्योगिक संस्थाएं प्रारंभ से ही सक्रिय भूमिका निभाती रही हैं।
शासन और प्रशासन के समक्ष पैरोकारी ही नहीं, बल्कि अपने संसाधनों से औद्योगिक क्षेत्रों के विकास में भी सहयोग किया है। ऐसा ही औद्योगिक संगठन प्रोविंशियल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (पीआइए) है। पीआइए ने पनकी औद्योगिक क्षेत्र में आधारभूत सुविधाओं के विकास में अहम भूमिका निभाई है। 1996 से कार्यरत संस्था वहां स्ट्रीट लाइट और पार्क से लेकर श्रमिकों के बच्चों के लिए भी काम कर रही है। इसके अलावा स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में भी अपनी जिम्मेदारी निभाई। इन विकास कार्यों पर संस्था ने अपने ही बजट को खर्च किया।
पार्क में बदल दिया कूड़ाघर
पीआइए के नगर अध्यक्ष बृजेश अवस्थी बताते हैं कि पनकी औद्योगिक क्षेत्र में एक स्थान पार्क के लिए आरक्षित था, लेकिन वहां कूड़े का ढेर लगा था। 2009 में पीआइए ने इस मुद्दे को पकड़ा। नगर निगम के साथ मिलकर यहां सफाई शुरू कराई। करीब 600 टन कूड़ा हटवाने के बाद संस्था पदाधिकारियों ने यहां की सूरत बदलने की ठानी। वहां पौधरोपण के साथ ही सबमर्सिबल पंप लगवाया। पार्क की देखरेख की। बाउंड्री सरकारी धन से बनवाई। वर्तमान में वहां 36 हजार वर्गमीटर का हरा-भरा पार्क है।
गरीब बच्चों के लिए निश्शुल्क क्लास
पार्क विकसित होने के बाद वहां आसपास के गरीब बच्चे खेलने आने लगे। इस पर संस्था पदाधिकारियों ने विचार किया कि यहां आने वाले आसपास के बच्चों की शिक्षा के लिए भी कुछ होना चाहिए। प्रत्येक रविवार पार्क में शिक्षक पहुंचते हैं और साप्ताहिक पाठशाला चलती है। सामान्य पढ़ाई के साथ अन्य गतिविधियों में भी बच्चों को प्रशिक्षित किया जाता है।
औद्योगिक क्षेत्र से छंटा अव्यवस्था का अंधेरा
पनकी औद्योगिक क्षेत्र में पहले स्ट्रीट लाइट की कोई व्यवस्था नहीं थी। अंधेरा और टूटी सड़कें होने की वजह से रात में वाहन के आवागमन में काफी परेशानी होती थी। 1996 में संस्था ने अपने वित्तीय संसाधनों से पूरे औद्योगिक क्षेत्र में स्टीट लाइट लगवाईं। इसके अलावा सामाजिक क्षेत्र में भी संस्था सर्दियों के दिनों में गरीबों को जूते-चप्पल, वस्त्रों का वितरण कराती है। पहले रियायती दरों पर औषधालय भी चलता था, जिसके संचालन की रूपरेखा फिर बनाई जा रही है।
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