10 हजार परिवारों के प्रत्येक सदस्य को बनाया इन्होंने हुनरमंद, अब ये दे रहे दूसरों को रोजगार
काकादेव निवासी केएन सिंह ने गरीबी की मार झेल रहे परिवारों की समृद्धि के लिए आधार नामक संस्था का गठन किया।
जागरण संवाददाता, कानपुर : गरीबों को आर्थिक रूप से समृद्ध करने के लिए सरकार वैसे तो तमाम योजनाएं चला रही है पर नौकरशाही की लापरवाही और कागज पर काम करने की आदत से योजनाएं सफल नहीं हो पाती हैं। योजनाओं की सफलता और गरीबों की आर्थिक तरक्की का आधार तैयार करने का कार्य किया है स्वयंसेवी संस्था आधार ने। संस्था के पदाधिकारियों ने कड़ी मेहनत कर पांच सौ से अधिक स्वयं सहायता समूहों का गठन किया और इनसे जुड़े करीब 10 हजार परिवारों के एक-एक लोगों को हुनरमंद बनाकर आर्थिक रूप से समृद्ध किया। जो लोग हुनरमंद बने वे अब दूसरों को भी रोजगार दे रहे हैं।
काकादेव निवासी केएन सिंह ने गरीबी की मार झेल रहे परिवारों की समृद्धि के लिए आधार नामक संस्था का गठन किया। संस्था के पदाधिकारी गांवों और मलिन बस्तियों में गए और गरीब परिवारों की परेशानी को समझा। उन्हें अपने साथ जुडऩे के लिए प्रेरित किया। दु:ख दूर करने का आश्वासन दिया और फिर स्वयं सहायता समूहों का गठन कराया। इसके बाद समूह के सदस्यों को उनकी उम्र और रुचि के अनुरूप हुनरमंद बनाने का कार्य शुरू किया। किसी ने जरी जरदोजी, कंप्यूटर डिजाइन बनाने का कार्य सीखा तो किसी ने लेदर के बैग, पर्स, डलिया चिकनकारी आदि का प्रशिक्षण लेकर लेकर खुद का व्यवसाय शुरू किया।
सिर्फ प्रशिक्षण ही नहीं बल्कि समूहों के सदस्यों को मासिक बचत का गुर भी सिखाया और फिर बैंकों से राष्ट्रीय आजीविका मिशन योजना के तहत ऋण भी दिलाया ताकि ये गरीब अपना रोजगार कर गरीबी की बेडि़यो को काटकर सुकून से दो जून की रोटी खा सकें और समाज में सम्मान से जी सकें। संस्था का लक्ष्य एक साल के अंदर पांच सौ और परिवारों को स्वयं सहायता समूहों से जोड़कर स्वावलंबी बनाना है। इसके लिए गरीब परिवारों का चयन भी कर लिया गया है और अब समूह गठन की प्रक्रिया चल रही है। खास बात यह है कि संस्था अपने प्रशिक्षण के कार्यक्रम में कुछ और प्रोजेक्ट शामिल करने जा रही है।
आत्मनिर्भर बनाने का प्रशिक्षण
इनमें जेम, जेली, अचार मुरब्बा व अन्य खाद्य पदार्थ बनाने, मूर्तियां, धूप अगरबत्ती आदि का प्रशिक्षण शामिल है। संस्था की प्रोग्राम कोआर्डिनेटर प्रभा सिंह का कहना है कि प्रशिक्षण निश्शुल्क दिया जा रहा है। मकसद सिर्फ गरीबी उन्मूलन है। गरीबी का खात्मा तभी हो सकता है जब स्वयंसेवी संस्थाएं आगे आएं और गरीबों के बच्चों और महिलाओं को उनकी रुचि के अनुरूप प्रशिक्षण दिलाएं। साथ ही उन्हें रोजगार के अवसर भी उपलब्ध कराएं। सिर्फ सरकार के भरोसे गरीबों को आर्थिक रूप से समृद्ध बनाना संभव नहीं है।