'इतनी भीड़ थी कि ठंड में भी आ रहा था भंयकर पसीना, भगदड़ हुई और चारों तरफ मची चीत्कार'; महाकुंभ भगदड़ की असली कहानी
Mahakumbh Stampede प्रयागराज कुंभ मेले में मंगलवार रात हुई भगदड़ में कई श्रद्धालुओं की मौत हो गई। इस भगदड़ में शहर के कई श्रद्धालु भी फंस गए लेकिन किसी तरह का नुकसान नहीं हुआ। भगदड़ के दौरान एक-दूसरे के ऊपर चढ़कर निकल रहे लोगों को बचाने की कोशिश की लेकिन वह बेकाबू भीड़ को रोक नहीं सके। अंत में उन्होंने खुद को सुरक्षित करना ही ठीक समझा।

कोई भी हिल तक नहीं पा रहा था
भीड़ में मची भगदड़ देख मन घबराया, पर नहीं डिगी आस्था, लगाई पुण्य की डुबकी
बांदा : महाकुंभ स्नान कर महापुण्य प्राप्त करने की इच्छा से प्रयागराज के महाकुंभ नगर पहुंचे श्रद्धालुओं में देर रात हुई भगदड़ के कारण कई श्रद्धालुओं की माैत हो गई। इस भगदड़ में शहर के कई श्रद्धालु भी फंस गये पर किसी तरह का नुकसान नहीं हुआ।
भगदड़ के दौरान एक दूसरे के ऊपर चढ़ कर निकल रहे लोगों को बचाने की कोशिश की, लेकिन वह बेकाबू भीड़ को रोक नहीं सके। अंत में उन्होंने स्वयं को सुरक्षित करना ठीक समझा। मंजर देख एक बार तो घबराए लेकिन भगवान ने किसी तरह बचाया। करीब आधे घंटे तक मची अफरा तफरी में शहर के श्रद्धालुओं ने स्नान करने के बाद वह अपने शहर पहुंचे। भगदड़ के साक्षी रहे श्रद्धालुओं ने अपनी दास्तां बताई।
प्रयागराज में हुए हादसे के साक्षी रहे शहर के स्वराज कालोनी निवासी विवेक नामदेव ने बताया कि मंगलवार देर रात अचानक से भीड़ बढ़ी कि नियंत्रित करना मुश्किल हो गया। पुलिस कर्मियों ने रोकना चाहा तो भीड़ रुकी नहीं और पीछे से धक्का मुक्की के साथ आगे बढ़ने लगी। अचानक से भगदड़ मच गई।
मन कांप उठा
भगदड़ स्वराज कालोनी निवासी विवेक नामदेव, अभिषेक मिश्रा, पंकज, कैलाशपुरी निवासी दीपक भी फंस गये। भीड़ व भगदड़ से परेशान होकर एक बार तो वहां से बिना स्नान किए लौट आने की इच्छा हुई, लेकिन आस्था व विश्वास कम नहीं हुआ। साथियों के साथ स्नान करने पहुंचे, लेकिन कठिनाई व ऐसी स्थिति देख मन कांप उठा।
लोगों में आस्था व विश्वास ऐसा कि देखते ही बन रहा है। भीड़ इतनी की जगह नहीं, लेकिन श्रद्धा के आगे सब सही चल रहा था। 12 वर्षों में ऐसा स्नान मिलना कठिन होता है। वह अपने साथियों के साथ स्नान किया। - विवेक नामदेव
मन में विश्वास था कि कई वर्षाें बाद ऐसा स्नान पड़ा है। भगवान ऐसा न करे कि बिना स्नान किए वापस जाना पड़े। कई बार वापस लौटने की सोचे लेकिन आस्था ने उनको महाकुंभ स्नान के लिए प्रेरित किया। - अभिषेक मिश्रा
अचानक से मची भगदड़ में चारों ओर से चीख पुकार सुनाई देने लगा। हिम्मत करके कुछ लोगों को भगदड़ से बाहर निकाला लेकिन इतनी भीड़ एक दूसरे के ऊपर से होकर गुजरने से वह भी परेशान व घबरा गए। - दीपक
देर रात हादसा के कारण मन में ऐसा लगा, वापस चले जाए लेकिन महाकुंभ में स्नान कर आस्था की डुबकी लगाई। स्थिति तो बिगड़ी लेकिन वह किसी तरह साथियों के साथ वहां तक पहुंचे और स्नान किया। - पंकज
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