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    'पहलगाम में सेना न होती तो सब मारे जाते, पुलिस ने नहीं की मदद', दिवंगत शुभम के पिता ने सुनाई आतंकी हमले की आपबीती

    Updated: Sat, 26 Apr 2025 07:01 AM (IST)

    पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए शुभम द्विवेदी के स्वजन ने कहा कि सेना ही सीमा पर देश की सुरक्षा की गारंटी है। समय से सेना के जवान नहीं पहुंचते तो हम सब ...और पढ़ें

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    दिवंगत शुभम के पिता ने सुनाई आतंकी हमले की आपबीती (फोटो- जागरण)

     जागरण संवाददाता, कानपुर। सेना ही सीमा पर देश की सुरक्षा की गारंटी है। समय से सेना के जवान नहीं पहुंचते तो हम सब मारे जाते। सेना के पहुंचते ही त्वरित राहत व बचाव कार्य तेजी से शुरू हो गए। सभी को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया। ये कहना है पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए शुभम द्विवेदी के स्वजन का।

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    आतंकियों को जम्मू-कश्मीर में पूरा संरक्षण प्राप्त

    उन्होंने वहां की पुलिस पर किसी भी प्रकार की मदद न करने का आरोप लगाया। शुभम के पिता संजय, पत्नी एशान्या व बहनोई शुभम दुबे का कहना है कि आतंकियों को जम्मू-कश्मीर में पूरा संरक्षण प्राप्त है।

    पर्यटकों को घुमाने वाले, घोड़े वाले, दुकानदार, वहां के लोग व पुलिस भी उनकी मदद व पूरा सहयोग करती है। हमले के बाद नीचे मौजूद वहां की पुलिस से मदद की गुहार लगाई। रोते-बिलखते रहे, लेकिन कोई नहीं पसीजा। उल्टे वे हंसकर कह रहे थे कि कहां चली है गोली।

    सेना न होती तो हममें से कोई जिंदा बचकर न आ पाता

    थोड़ी देर में पहुंची सेना ने सहमे लोगों को पूरी सुरक्षा व हरसंभव मदद का आश्वासन दिलाया। शुभम के पिता संजय ने कहा-सेना न होती तो हममें से कोई जिंदा बचकर न आ पाता।

    उन्होंने यह भी बताया कि घोड़े वाले जबरन ऊपर चलने के लिए दबाव बना रहे थे। कह रहे थे जो शादीशुदा हैं, वे जोड़े के साथ ही चलें। पूरी सोची समझी साजिश के तहत हिंदुओं का नरसंहार था।

    शुभम के ससुर राजेश पांडेय भी थे साथ में

    शुभम के ससुर राजेश पांडेय ने बताया कि जिस समय आतंकियों ने गोलीबारी शुरू की, उस समय वह वहीं बने रेस्तरां के शौचालय में थे। गोलियों की आवाज सुनकर बाहर भागे। तभी एक गोली उनकी कनपटी के बगल से निकल गई। शौचालय में न होते तो कुछ भी हो सकता था।

    शुभम को मिले बलिदानी का दर्जा, पत्नी को सरकारी नौकरी की मांग

    राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष बबिता चौहान व पूर्व केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति शुक्रवार को शुभम के स्वजन को ढांढस बंधाने पहुंचीं। शुभम की पत्नी एशान्या ने उनके सामने मांग रखी कि शुभम ने पहली गोली खाकर न जाने कितनों की जान बचाई है। हिंदू धर्म के लिए उन्होंने वीरगति प्राप्त की। उन्हें बलिदानी का दर्जा मिलना चाहिए। स्वजन ने कहा कि शुभम की पत्नी को उनकी योग्यता के अनुसार प्रदेश सरकार सरकारी नौकरी प्रदान करे।

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