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    लेखपाल के खातों में पहुंचे मुआवजे के एक करोड़, अब भूमि अध्यापित विभाग ने लिया ये बड़ा एक्शन

    Updated: Fri, 17 Oct 2025 07:42 PM (IST)

    रिंग रोड परियोजना में भूमि अधिग्रहण के दौरान करोड़ों रुपये के मुआवजे के गबन में फंसे लेखपाल आलोक दुबे की मुश्किलें बढ़ रही हैं। एंटी करप्शन विभाग की जांच के साथ-साथ भूमि अध्यापित विभाग भी सक्रिय हो गया है। जिलाधिकारी के निर्देश पर दुबे की जमीन खरीद-बिक्री और मुआवजा प्राप्ति के रिकॉर्ड की जांच चल रही है। अब तक की रिपोर्ट में उनके और उनके स्वजनों के खातों में एक करोड़ रुपये से अधिक मुआवजे की पुष्टि हुई है।  

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    जागरण संवाददाता, कानपुर। रिंग रोड परियोजना में भूमि अधिग्रहण के दौरान करोड़ों रुपये के मुआवजा डकारने में फंसे लेखपाल आलोक दुबे की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। एंटी करप्शन विभाग की जांच के साथ अब भूमि अध्यापित विभाग भी सक्रिय हो गया है। जिलाधिकारी के निर्देश पर आलोक दुबे की जमीन खरीद-बिक्री और मुआवजा प्राप्ति से जुड़े सभी रिकार्ड खंगाले जा रहे हैं। भूमि अध्यापित विभाग की रिपोर्ट में अब तक एक करोड़ रुपये से अधिक मुआवजा उसके और स्वजन के खातों में जाने की पुष्टि हो चुकी है।

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    सिंहपुर कछार निवासी अधिवक्ता संदीप सिंह ने दिसंबर 2024 में डीएम से शिकायत की थी कि फर्जी प्रपत्रों के जरिये उनकी चार बीघा जमीन बेची गई है। जांच में तत्कालीन कानूनगो आलोक दुबे की संलिप्तता सामने आई। फरवरी 2025 में डीएम जितेन्द्र प्रताप सिंह ने आलोक को निलंबित कर तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की। इस समिति की रिपोर्ट में सामने आया कि आलोक दुबे ने 41 बैनामे कराए, जिनकी कीमत लगभग 30 करोड़ रुपये है।उसके परिवार के नाम पर 35 बीघा से अधिक भूमि दर्ज मिली। आलोक दुबे वर्ष 1993 में लेखपाल पद पर नियुक्त हुआ था और लंबे समय तक सदर तहसील में तैनात रहा।

    नेटवर्क बनाकर जमीनों के सौदे किए शुरू

    इसी दौरान उसने भूमिगत नेटवर्क बनाकर जमीनों के सौदे शुरू किए। 2023 में कानूनगो पद पर पदोन्नति मिलने के बावजूद उसने नई तैनाती नहीं ली और स्वयं को फिर से सदर तहसील से संबद्ध करा लिया। जांच में यह भी सामने आया कि आलोक दुबे ने बिल्डरों के एजेंट की तरह काम किया। अधिवक्ता संदीप सिंह की गाटा संख्या 207 स्थित भूमि को मई 2024 में उसने 15 लाख रुपये में खरीदा और पांच माह बाद बिल्डर आरएनजी इन्फ्रा को 24.75 लाख रुपये में बेच दिया।

    इसी तरह रामपुर भीमसेन की एक अन्य जमीन को 20 लाख में खरीदकर 32.50 लाख रुपये में बेचा। अधिवक्ता की शिकायत पर मार्च 2025 में मुकदमा दर्ज हुआ, जिसकी जांच पूरी कर पुलिस चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर चुकी है। इसके साथ ही एंटी करप्शन टीम भी अलग से जांच कर रही है।

    आरोपित लेखपाल के खिलाफ कई स्तर पर कार्रवाई चल रही है। भूमि अध्यापित विभाग ने उसके मुआवजा रिकार्ड की गहन जांच की है, जिसमें एक करोड़ रुपये से अधिक का मुआवजा लेने की पुष्टि हुई है। तथ्य और साक्ष्य के आधार जांच की जा रही है। -जितेन्द्र प्रताप सिंह, जिलाधिकारी