Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बिहार जा रही ट्रेन में प्रसव पीड़ा, कानपुर में डाक्टरों ने बचाई तीन जिंदगियां, पति बोला- डाक्टर धरती के भगवान

    By Ankush Kumar Edited By: Anurag Shukla1
    Updated: Sat, 02 Aug 2025 06:23 PM (IST)

    दिल्ली से बिहार जा रही गर्भवती मधुमिता को कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर प्रसव पीड़ा हुई। गंभीर स्थिति में उसे अस्पताल ले जाया गया जहां डां. नीना गुप्ता ने तुरंत ऑपरेशन कर जुड़वा बच्चों की जान बचाई। दंपति ने डाक्टरों को भगवान का रूप बताते हुए उनकी तत्परता के लिए धन्यवाद दिया।

    Hero Image
    जुड़वा बच्चों के साथ बिहार की दंपति। साथ में वरिष्ठ चिकित्सक डॉक्टर नीना गुप्ता और उनकी टीम। डाक्टर

    जागरण संवाददाता, कानपुर। दिल्ली से बिहार पति और बच्चों के साथ जा रही आठ महीने की गर्भवती को अचानक प्रसव पीड़ा शुरू हुई। गंभीर स्थिति में गर्भवती का पति उसे लेकर जीएसवीएम मेडिकल कालेज के जच्चा-बच्चा अस्पताल में पहुंचा। जहां पर गर्भवती की स्थिति देखकर ओपीडी में बैठीं वरिष्ठ डाक्टर नीना गुप्ता ने प्राथमिकता दिखाते हुए तत्काल आपरेशन का निर्णय लिया और महिला के साथ गर्भ में पल रहे जुड़वा शिशुओं के जीवन की रक्षा की। चिकित्सकों की तत्परता के चलते आज अस्पताल के वार्ड में बिहार की दंपति की गोद में किलकारी गूंज रही है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बिहार के खगड़िया निवासी जिनैन कुमार शुक्रवार को 27 वर्षीय गर्भवती पत्नी मधुमिता के साथ तीन वर्षीय बेटी के आंख में ट्यूमर के इलाज के लिए मालदा एक्सप्रेस से दिल्ली जा रहे थे। दोपहर करीब 11 बजे ट्रेन के कानपुर सेंट्रल स्टेशन पहुंचने के दौरान ही मधुमिता को प्रसव पीड़ा शुरू हुई। प्रसव पीड़ा अधिक और बच्चेदानी की थैली फट जाने की गंभीर स्थिति को देखते हुए जिनैन कुमार उसे लेकर एलएलआर के जच्चा-बच्चा अस्पताल में पहुंचा।

    अस्पताल में पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. नीना गुप्ता ने ओपीडी में मधुमिता की स्थिति को देखा और तत्काल डाक्टरों की टीम को आपरेशन के लिए निर्देशित किया और जच्चा-बच्चा का जीवन सुरक्षित किया। डाक्टर नीना गुप्ता ने बताया कि आपात स्थिति में पहुंचीं गर्भवती की नाल बाहर आ गई थी, जिससे खून और पानी आ रहा था। ऐसी स्थिति में गर्भ में पल रहे शिशु के बचने की उम्मीद कम रहती है।

    उन्होंने बताया कि करीब सवा एक बजे मधुमिता को आपरेशन के लिए ले जाया गया। उसके पांच मिनट बाद ही जुड़वा बच्चों की किलकारी गूंज उठी। डा. नीना के साथ डा. नूर, डा. सुगंधा और पैरामेडिकल स्टाफ की टीम की तत्परता और ब्लड बैंक की प्रभारी डा. लुबना खान के सहयोग से जच्चा-बच्चा अस्पताल ने जच्चा और बच्चा का जीवन सुरक्षित किया।

    बिहार की दंपति जुड़वा बच्चों की किलकारी की गूंज से फूले नहीं समां रहे हैं। मधुमिता और जिनैन ने कहा कि डाक्टर सच में धरती के भगवान हैं, यह सुना था, आज सच में देख लिया है। डाक्टरों की तत्परता के चलते आज मेरी पत्नी और बच्चों का जीवन सुरक्षित है।