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    मशहूर बीड़ी कारोबारी श्यामाचरण की कर्मभूमि रही चित्रकूट, पढ़िए- व्यवसाय से राजीनितक तक का सफर

    By Abhishek AgnihotriEdited By:
    Updated: Sat, 10 Apr 2021 05:26 PM (IST)

    श्याम समूह की स्थापना करते हुए श्यामाचरण ने व्यवसाय में बुलंदियां हासिल की और फिर उन्होंने सामाजिक कार्यों की रुचि से राजनीती में कदम रखा। भाजपा की टिकट पर प्रयागराज नगर निगम के मेयर बने और फिर वर्ष 2004 में बांदा-चित्रकूट लोकसभा सीट से जीतकर पहली बार संसद पहुंचे।

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    श्यामाचरण के निधन से चित्रकूट में शोक की लहर।

    चित्रकूट, जेएनएन। मशहूर बीड़ी कारोबारी पूर्व सांसद श्यामाचरण गुप्ता की कोरोना से मौत की जानकारी के बाद पूरे चित्रकूट क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है। जिले के एक छोटे से गांव ऊंचाडीह में जन्मे श्यामाचरण ने अपनी माटी से बीडी का व्यवसाय शुरू किया और बड़े कारोबारियों में शुमार होने के बाद राजनीति में कदम रखा तो अपनी कुशलता से संसद तक पहुंचकर सफलता के झंडे गाड़े। हालांकि उन्होंने अपने राजनीतिक सफर में कई बार पार्टियां बदलीं और नेताओं ने उनकी लोकप्रियता को देखकर हाथों-हाथ भी लिया।

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    चित्रकूट के मानिकपुर ब्लाक के अति पिछड़े गांव ऊंचाडीह में श्यामाचरण गुप्ता का जन्म नौ फरवरी 1945 में हुआ था। बचपन से श्यामाचरण ने गांव के जंगलों में तेंदू पत्ता बहुतायत में उत्पादन देखा। युवा अवस्था में उन्होंने मानिकपुर से तेंदू पत्ता से बीड़ी बनाने का व्यवसाय छोटे स्तर पर शुरू किया। पाठा के जंगल में तेंदू पत्ते का खूब उत्पादन होता है। इसके बाद उन्होंने बीड़ी का व्यापार के यूपी, बिहार और मध्यप्रदेश तक फैलाया। कुछ सालों में वह बीड़ी के बड़े व्यापारियों में शुमार हो गए। वर्ष 1973 में उन्होंने श्याम समूह की स्थापना की, जो आज देश की जानी मानी व्यापारिक कंपनियों में से एक है। व्यवसाय में बुलंदियां हासिल करते हुए उन्होंने सामाजिक कार्य करते हुए राजनीती में भी कदम रख दिया।

    विशुद्ध व्यवसाई के रूप में वह वर्ष 1984 से राजनीति में आए। उनका राजनीतिक जीवन मेनका गांधी की पार्टी संजय विचार मंच से शुरू हुआ था। पार्टी ने उन्हें बांदा जिला की कर्वी सीट (तत्कालीन) से विधानसभा चुनाव में टिकट दी। पहले चुनाव में उन्हें करारी हार मिली तो फिर उन्होंने राजनीति में किस्मत आजामाने के लिए इलाहाबाद (प्रयागराज) की ओर रुख किया।

    वर्ष 1989 में वह भाजपा के टिकट से चुनाव लड़कर नगर निगम के मेयर बने। वर्ष 1991 में भाजपा के टिकट पर इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़े लेकिन जीत नहीं मिली। वर्ष 1995 में उनकी पत्नी जमुनोत्री गुप्ता ने भाजपा के टिकट नगर निगम इलाहाबाद के मेयर का चुनाव लड़ा। भारी मतों से जीतकर वह भी मेयर बनीं। इस दौरान श्यामाचरण ने विधानसभा नाव भी भाजपा की टिकट से लड़ा लेकिन जीत हासिल नहीं कर सके। इसके बाद उन्होंने वर्ष 2004 में भाजपा छोड़ दी और समाजवादी पार्टी का दामन थाम कर साइकिल में सवार हो गए।

    वर्ष 2004 में उन्होंने सपा की टिकट पर बांदा-चित्रकूट लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीतकर पहली बार संसद पहुंचे। इसके बाद सपा की टिकट पर वर्ष 2009 में फूलपुर (इलाहाबाद) से चुनाव लड़े लेकिन यहां हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद श्यामाचरण ने एक बार फिर घर वापसी की और भाजपा का कमल पकड़ लिया। वर्ष 2014 में भाजपा की टिकट पर उन्होंने इलाहाबाद अब प्रयागराज संसदीय क्षेत्र चुनाव लड़ा और समाजवादी पार्टी के रेवती रमन सिंह को करारी शिकस्त देकर संसद पहुंच गए। पूर्व सांसद बीते दिनों कोरोना संक्रमित हो गए थे और उनका उपचार चल रहा था। शनिवार को उनका निधन हो गया। वह अपने पीछे पत्नी जमुनोत्री गुप्ता, दो पुत्र विदुप अग्रहरि व विभव अग्रहरि और एक पुत्री वेणु अग्रहरि को छोड़ गए हैं।