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    Sawan 2022 : घाटमपुर के इन मंदिरों में दूर-दूर से पहुंचते है श्रद्धालु, मान्यता ऐसी कि पूरी होती हैं सारी मुरादें

    By Abhishek AgnihotriEdited By:
    Updated: Sun, 24 Jul 2022 05:52 PM (IST)

    सावन में कानपुर के शिव मंदिरों में रोजाना दर्शन करने के लिए भक्तों का ताता लगता है। इसी तरह घाटमपुर जाते समय रास्ते में ही कानपुर-सागर हाईवे किनारे पतारा कस्बा में बाबा बैजनाथ धाम में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं।

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    घाटमपुर तहसील क्षेत्र में प्राचीन शिव मंदिरों में शिव भक्ति में भक्त रमे हैं।

    कानपुर। सावन में हर तरफ शिव-शिव, शिवालयों में हर-हर, बम-बम करते भक्तों का तांता सुबह से ही लग रहा है। घाटमपुर तहसील क्षेत्र में प्राचीन शिव मंदिरों में शिव भक्ति में भक्त रमे हैं। कानपुर से घाटमपुर जाते समय रास्ते में कानपुर-सागर हाईवे किनारे पतारा कस्बा में बाबा बैजनाथ धाम में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। इसी तरह पतरसा में पातालेश्वर तो अज्योरा गांव में बिहारेश्वर महादेव की प्रतिष्ठा है। पढ़ें उदयन शुक्ला की रिपोर्ट।

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    पतारा में जमीन से निकला शिवलिंग : कानपुर-सागर हाईवे किनारे पतारा कस्बा स्थित बाबा बैजनाथ धाम अपनी प्राचीनता के लिए प्रसिद्ध है। मान्यता है कि यहां शिवलिंग जमीन से निकला था। निकालते समय शिवलिंग खंडित भी हुआ था, तभी से उसी रूप में स्थापित है। आसपास के लोग बताते हैं कि जगनिक द्वारा रचित बुंदेली खंड काव्य आल्हा में भी इस मंदिर का जिक्र मिलता है। मंदिर का नाम बैजनाथ धाम पड़ने के पीछे भी कहानी है।

    बुजुर्ग हेतनारायण त्रिवेदी बताते हैं, पूर्वज बताते थे कि वर्षों पहले जहां अब मंदिर है, वहां पतावर (पलास) काजंगल था। बैजू चरवाहे की गाय यहां अपना दूध गिरा देती थी। जब इस जगह की खोदाई की गई तो शिवलिंग मिला। फावड़ा या गैंती लगने से शिवलिंग में चोट लगी थी। इसके बाद पूजा-अर्चना के बाद मंदिर निर्माण करवाया गया। उसके बाद से ही मंदिर को बैजनाथ धाम नाम मिला।

    यहां भी हैं पौराणिक व ऐतिहासिक शिव मंदिर : घाटमपुर तहसील क्षेत्र में ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व वाले कई शिवालय हैं। चाहे वो निबियाखेड़ा स्थित पुरातत्व विभाग से संरक्षित भद्रेश्वर महादेव का मंदिर हो या फिर भीतरगांव स्थित झारखंडेश्वर महादेव का प्राचीन मंदिर। इनके दर्शन के लिए प्रतिदिन तमाम भक्त पहुंचते हैं। परौली स्थित भोली देवी मंदिर हो या फिर बरनाव का बाणेश्वर महादेव मंदिर। यहां भी भगवान शिव की पूजा ग्रामीण तल्लीनता से करते हैं।

    वहीं, पतरसा स्थित पातालेश्वर मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां प्रतिमा पाताल से निकली थी। कहा जाता है कि बंजारों ने एक ही रात में मंदिर तैयार करा दिया था। इसी तरह नंदना गांव स्थित रामेश्वर महादेव मंदिर और ग्राम हथेई से थोड़ी दूर सिमौर स्थित कालेश्वर महादेव मंदिर का भी पौराणिक महत्व वाला है।

    कानपुर-सागर हाईवे किनारे ही अज्योरी गांव में बिहारेश्वर महादेव मंदिर भी ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है। क्षेत्रीय लोग बताते हैं कि अकबर के नवरत्नों में से एक बीरबल ने इस मंदिर का निर्माण कराया था। मंदिर के गर्भ गृह में बलुआ रंग का शिवलिंग स्थापित है। 

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