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Kargil Vijay Diwas Special: जानें-कर्नल जाहिद सिद्दीकी की जुबानी, कारगिल युद्ध में शाैर्य की कहानी

Kargil Vijay Diwas News कारगिल युद्ध के दौरान राजस्थान बार्डर पर वेस्टर्न सेक्टर में आर्म्ड रेजीमेंट के साथ तैनात रहे कर्नल जाहिद सिद्दीकी दुश्मन के दांत खट्टे करने को तैयार थे।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Fri, 24 Jul 2020 04:09 PM (IST)Updated: Fri, 24 Jul 2020 04:09 PM (IST)
Kargil Vijay Diwas Special: जानें-कर्नल जाहिद सिद्दीकी की जुबानी, कारगिल युद्ध में शाैर्य की कहानी
Kargil Vijay Diwas Special: जानें-कर्नल जाहिद सिद्दीकी की जुबानी, कारगिल युद्ध में शाैर्य की कहानी

कानपुर, जेएनएन। कारगिल युद्ध के दौरान वेस्टर्न सेक्टर में आम्र्ड रेजीमेंट के साथ कर्नल जाहिद सिद्दीकी दुश्मन के दांत खट्टे करने को पूरी तरह तैयार थे। हालांकि भारतीय रणबांकुरों के शौर्य के आगे दुश्मन आगे बढऩे की हिम्मत नहीं जुटा पाया। शौर्य चक्र विजेता जाहिद बताते हैं कि मौका मिलता तो 1993 में इंफाल बार्डर पर जिस तरह उल्फा उग्रवादियों को धूल चटाई थी, वैसे ही नापाक इरादे लेकर भारत में घुसे दुश्मन का भी सफाया कर देते। उल्फा उग्रवादियों से छह घंटे सीधे एनकाउंटर में कर्नल को चार गोलियां लगी थीं। इस अदम्य साहस के लिए राष्ट्रपति ने उन्हें शौर्य चक्र और सेना मेडल से सम्मानित किया था।

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सैनिकों को ब्रेसब्री से था युद्ध का इंतजार

भारतीय सेना कारगिल में पाकिस्तानी फौज और उसके पोषित आतंकवादियों का तेजी से सफाया कर रही थी। लगातार करारी हार से परेशान पाकिस्तान ने राजस्थान बार्डर पर अपनी आर्म्ड रेजीमेंट तैनात कर दी जो बार्डर क्रास करने के लिए मौके की फिराक में थी। पाकिस्तान की इस नापाक हरकत का जवाब देने के लिए कर्नल जाहिद सिद्दीकी को जिम्मेदारी सौंपी गई। वेस्टर्न सेक्टर के इस मैदानी इलाके में वह 74 आम्र्ड रेजीमेंट के साथ दुश्मनों से दो-दो हाथ करने को तैयार थे। सामने धोखेबाज दुश्मन तैनात हो तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि एक-एक सैनिक बेसब्री से युद्ध के इंतजार में रहता है।

कर्नल बताते हैं कि रात आंखों में कटती थी, हर दिन सूरज निकलने के साथ ही बार्डर पर तनाव बढ़ जाता था। जवान हर दिन इस उम्मीद के साथ बंकर से निकलते थे कि आज दुश्मन से दो दो हाथ करने का मौका मिल जाएगा। चूंकि हमें पहले अटैक करने का आदेश नहीं था इसलिए करीब डेढ़ माह तक हर दिन दुश्मन के हमले का इंतजार किया। अंतत: कारगिल में मिली हार के साथ ही पाकिस्तान ने अपनी सेनाएं भी हटा लीं। हालांकि उनकी आम्र्ड रेजीमेंट करीब छह माह तैनात रही थी।

उल्फा उग्रवादियों से लिया था सीधा मोर्चा

बात वर्ष 1993 की है। कर्नल जाहिद इंफाल-बर्मा बार्डर पर तैनात थे। इसी दौरान उल्फा उग्रवादियों ने सीता पोस्ट पर हमला करके 30 जवानों को मार दिया। इसके बाद स्टेट बैंक से डेढ़ करोड़ रुपये लूट ले गए। कर्नल को सूचना मिली तो सेना की एक टुकड़ी के साथ उग्रवादियों को घेर लिया। आमने सामने गोलीबारी शुरू हुई तो 11 उग्रवादियों को मार गिराया गया। इसमें कर्नल के चार जवान भी शहीद हो गए। कर्नल को चार गोलियां लगी थीं, मगर आपरेशन कामयाब रहा। लूटे गए 1.60 करोड़ रुपये, हथियारों का जखीरा भी बरामद किया गया। कर्नल छह माह अस्पताल में भर्ती रहे।


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