Kanpur Zoological Park : जानवरों पर भी दिखने लगा प्रदूषण का प्रभाव, स्वभाव से हो रहे चिड़चिड़े
कानपुर चिड़ियाघर के आस-पास भवन निर्माण का काम चल रहा है जिसके कारण कानपुर प्राणि उद्यान के कई जानवरों पर वायु और ध्वनि प्रदूषण का प्रभाव देखने को मिल रहा है। पिछले तीन सालों में जानवरों के श्वसन तंत्र पर प्रदूषण का दुष्प्रभाव दिख रहा है।

कानपुर, (विवेक मिश्र)। प्रदेश के सबसे बड़े चिड़ियाघर (कानपुर प्राणि उद्यान) के चंद कदम की दूरी पर केडीए द्वारा अपार्टमेंट के निर्माण कार्य के दौरान बढ़े ध्वनि और वायु प्रदूषण का दुष्प्रभाव अब तक दुर्लभ प्रजाति के शेर, बाघ, तेंदुआ, भालू, सांभर हिरण, दरियाई घोड़ा, गैंडा झेल रहे हैं।
वन क्षेत्र के आसपास निर्माण कार्य होते रहने से वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है। चिकित्सकों ने पिछले तीन साल के अंतराल में चिड़ियाघर में वन्य जीवों की मौतों की वजह तलाशने के लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट की समीक्षा की। जिसमें उन्होंने पाया कि वायु प्रदूषण की वजह से जानवरों के फेफड़ों में महीन धूल कण जमा हुए और उनके फेफड़े और लिवर तक में संक्रमण मिला। ध्वनि प्रदूषण की वजह से अधिकतर जानवर चिड़चिड़े होने लगे हैं।
कोविड काल से पहले वर्ष 2019 के अक्टूबर में एक बाघ की मौत हो गई थी पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि उसके फेफड़ों में कार्बन और धूल के कण थे उससे हुआ संक्रमण जानलेवा हो गया। 13 सितंबर वर्ष 2022 को तेंदुआ अली की किडनी और लीवर में संक्रमण फैलने से मौत हो गई।
देशी भालू राजा की दिल का दौरा पड़ने से तीन अक्टूबर वर्ष 2022 को मौत हो गई थी। सितंबर में उसकी तबियत बिगड़ चुकी थी। 10 अक्टूबर वर्ष 2022 को चिड़ियाघर में सांभर हिरण की लिवर, किडनी में संक्रमण अधिक बढ़ने से मौत हुई।
वन्य जीवों की मौत के बाबत चिकित्सक बताते हैं कि तीन साल पहले चिड़ियाघर की बाउंड्री से सटी बड़ी बिल्डिंगों का निर्माण कार्य दिन रात चला था। इस अंतराल में ध्वनि, वायु प्रदूषण होने और रात में तेज रोशनी ने वन्य जीवों का प्राकृतिक सुकून छीन लिया था। इससे उनकी सेहत पर दुष्प्रभाव पड़ा। उन्होंने सुझाव दिया कि यदि चिड़ियाघर परिसर के आसपास भवन सहित अन्य निर्माण कार्य प्रतिबंधित कर दिए जाएं तभी प्रदूषण का स्तर सुधरेगा और वन्य जीव प्राकृतिक वातावरण में आराम से रह सकेंगे।
प्रदूषण का दुष्प्रभाव आम जनजीवन के साथ जानवरों पर पड़ा है। वन्य जीवों के लिए ध्वनि व वायु प्रदूषण खतरे का संकेत है। चिड़ियाघर में दुर्लभ प्रजाति के उम्रदराज जानवरों को संक्रमण से बचाने के लिए बाड़ों में दवाइयों का छिड़काव कराने के साथ एंटीबायोटिक और विटामिन की दवाइयों का कोर्स चला रहे हैं। - डा. अनुराग सिंह, प्रभारी पशु चिकित्साधिकारी, कानपुर प्राणि उद्यान।
तीन साल पहले केडीए ने चंद कदम की दूरी पर अपार्टमेंट का निर्माण कराया था। तब काफी वायु और ध्वनि प्रदूषण हुआ था। इसका दुष्प्रभाव अब तक वन्य जीवों की सेहत पर दिख रहा है। फिलहाल, चिड़ियाघर परिसर के अंदर वायु प्रदूषण नहीं है। जानवरों का पूरा ख्याल रखा जा रहा है। - केके सिंह, निदेशक, कानपुर प्राणि उद्यान।
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