इच्छाशक्ति की कमी ने कानपुर दक्षिण को स्वास्थ्य सेवाओं से किया महरूम, सस्ते इलाज के लिये आज भी तरस रही आबादी
कानपुर में दक्षिण क्षेत्र की स्वास्थ्य व्यवस्थाएं क्षेत्रवासियों को मुहं चिढ़ा रही हैं। एक तरफ उत्तरी क्षेत्र में तो अस्पतालों की भरमार है जबकि दक्षिण ...और पढ़ें

कानपुर,जागरण संवाददाता। शहर के दक्षिण क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाएं राजनीतिक मकडज़ाल में उलझी हैं। इससे 25 लाख आबादी स्वास्थ्य सेवाओं से दूर है। पहले एक रुपये के पर्चे पर जनता को मिलने वाला इलाज अब नर्सिंग होम में उपचार कराने से महंगा हो गया है। यहां 25 वर्ष पहले चिकित्सकीय सेवाओं का मजबूत नेटवर्क था। सरकार के स्तर से छह स्तरीय स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराई जा रही थीं, जिसमें स्वास्थ्य विभाग, आयुर्वेदिक एवं यूनानी, होम्योपैथिक, कर्मचारी राज्य बीमा (ईएसआइ), नगर निगम और श्रम विभाग के छोटे-बड़े अस्पतालों से लेकर औषधालय तक (डिस्पेंसरी) चल रहे थे। राजनेताओं में इच्छाशक्ति की कमी और अफसरों की हीलाहवाली की वजह से नए अस्पताल तो नहीं खुले, बल्कि पुराने भी बंद होते गए।
दस वर्षों से मांग, हर बार आश्वासन
शहर के दक्षिण क्षेत्र में हाईवे पर नौबस्ता के पास पुरानी मौरंग मंडी की जमीन खाली कराई गई थी। यहां तत्कालीन मुख्य चिकित्साधिकारी डा. आरपी यादव ने सौ बेड के अस्पताल का प्रस्ताव बनाकर भेजा था। इसमें स्पेशलिटी विभाग और एयर एंबुलेंस की सेवा का भी प्रविधान किया गया था, लेकिन बात आगे नहीं बढ़ सकी। उसके बाद वर्ष 2018 में योगी सरकार में उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या ने 100 बेड के अस्पताल की स्थापना की घोषणा की थी। किदवई नगर के भाजपा विधायक महेश त्रिवेदी अस्पताल की स्थापना जल्द होने का दावा कर रहे हैं, लेकिन जब तक यह अस्पताल शुरू नहीं होता तब तक निजी अस्पतालों में जनता को महंगा इलाज कराना ही पड़ेगा।
इलाज के नाम पर खानापूरी
चिकित्सकीय सेवाएं मुहैया कराने के नाम पर स्वास्थ्य महकमे ने खानापूरी की है। कई पुराने अस्पतालों में नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (अर्बन हेल्थ पोस्ट) खोले हैं, लेकिन वहां सिर्फ ओपीडी सेवाएं हैं। इन सेंटरों पर इलाज के नाम पर खानापूरी ही हो रही है। कुछ में सेवानिवृत, जबकि कुछ में संविदा पर डाक्टर तैनात हैं। उनके आने जाने का कोई समय नहीं है। वह अपने क्लीनिक को तरजीह देते हैं।
जाम में जूझ कर तोड़ते हैं दम
कानपुर बड़ा जिला है, लिहाजा आसपास के जिलों से भी गंभीर मरीज इलाज के लिए यहां आते हैं। हमीरपुर, बांदा, महोबा, फतेहुपर, जिले के घाटमपुर, भीतरगांव और पतारा से गंभीर मरीज आते हैं। इस क्षेत्र में जाम की भी समस्या है। ऐसे में कई बार अस्पताल पहुंचने से पहले ही मरीज दम तोड़ देते हैं। दक्षिण क्षेत्र के लोगों को दिल-दिमाग से जुड़ी बीमारियों पर समय से इलाज नहीं मिल पाता, क्योंकि सभी बड़े अस्पताल शहर के उत्तर क्षेत्र में ही स्थित हैं।
कभी स्वर्णिम रहा अतीत
औद्योगिक नगरी का स्वर्णिम अतीत भी रहा है। जब यहां काटन मिलें चला करती थीं तो राज्य ही नहीं, देश भर से बड़ी संख्या में लोग रोजगार की तलाश में आकर बस गए। मिलों में काम करने वालों के लिए श्रमिक कालोनियां भी बसाई गईं। उसमें बाबूपुरवा कालोनी, सफेद कालोनी, पीली कालोनी, लाल कालोनी, दादा नगर कालोनियां आदि हैं।
मिलों व कल-कारखानों में कार्यरत लोगों के लिए चिकित्सकीय सुविधाएं मुहैया कराने को श्रम विभाग और ईएसआइ के अस्पताल व डिस्पेसरियां भी खोली गईं। इन अस्पतालों में तैनात डाक्टर सेवानिवृत होते गए, नए की तैनाती नहीं हुई। ऐसे में धीरे-धीरे अस्पताल व डिस्पेंसरियां बंद होती गईं। श्रम विभाग का सबसे बड़ा अस्पताल किदवई नगर सब्जी मंडी के सामने था, जिसे बंद करना पड़ा। अंत में वर्ष 2004-05 में श्रम विभाग ने स्वास्थ्य कैडर को मृत घोषित कर दिया। वहीं, ईएसआइ का किदवई नगर के ब्लाक स्थित 100 बेड का अस्पताल अपना अस्तित्व बचाने के लिए संघर्षरत है।
पार्कों में चलते थे वेलफेयर सेंटर
दक्षिण क्षेत्र के श्रमिक पार्कों में वेलफेयर सेंटर व क्लीनिक चलते थे। इनमें एक डाक्टर व फार्मासिस्ट तैनात रहते थे। इसके तहत 4-5 आयुर्वेदिक व होम्योपैथिक सेंटर भी चलते थे। इन सेंटरों पर दवाएं भी निश्शुल्क मिलती थीं।
नगर निगम के दो बड़े अस्पताल
नगर निगम भी अपने स्तर से स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराता था। इसके लिए दक्षिण क्षेत्र में दो बड़े अस्पताल थे, गोङ्क्षवद नगर में 75 बेड का जागेश्वर अस्पताल और बाबूपुरवा में बीएन भल्ला अस्पताल था। इनमें ओपीडी, इनडोर के साथ सर्जरी और प्रसव की भी सुविधा थी। जागेश्वर अस्पताल का लोकार्पण वर्ष 1957 में तत्कालीन मुख्यमंत्री ने किया था। यहां सभी सुविधाएं थीं, लेकिन डाक्टरों व कर्मचारियों की कमी और बजट के अभाव में वर्ष 1997 में बंद हो गया। इसी तरह वर्ष 1968 में डा. बीएन भल्ला अस्पताल का संचालन नगर निगम ने शुरू किया था, जो बंद हो गया। इसका भवन भी जर्जर है।
शहर के दक्षिण क्षेत्र में स्थित नगर निगम के दोनों अस्पतालों को फिर से चलवाने के लिए लगातार प्रयासरत हैं। कोरोना काल में जागेश्वर अस्पताल शुरू होने की उम्मीद जगी थी। आक्सीजन जनरेशन प्लांट की स्थापना का प्रयास भी हुआ, लेकिन बाद में सभी ने चुप्पी साध ली। महापौर से भी कई बार इन अस्पतालों को फिर से चलाने के लिए आग्रह कर चुके हैं।
- नवीन पंडित, वरिष्ठ पार्षद, नगर निगम।
किदवई नगर में सौ बेड के अस्पताल की स्थापना होनी है। इसके अलावा क्षेत्र के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को भी उच्चीकृत कराएंगे, ताकि वहां बेहतर चिकित्सकीय सुविधाएं मुहैया हो सकें। नगर निगम एवं श्रम विभाग के बंद पड़े अस्पतालों का जीर्णोद्धार कराकर फिर से चालू कराने के लिए मुख्यमंत्री जी से आग्रह करेंगे।
- सुरेंद्र मैथानी, विधायक, गोविंद नगर।
मौरंग मंडी में मल्टी स्पेशलिटी हास्पिटल पहले ही स्वीकृत हो चुका है। इसके लिए पहली किस्त भी जारी हो चुकी है। नई सरकार के शपथ ग्रहण के बाद फिर से कार्य में तेजी लाकर निर्माण शुरू कराएंगे। इस अस्पताल में दिल और दिमाग के इलाज की सुविधा भी मुहैया कराने का प्रयास किया जाएगा, जिससे आपात स्थिति में तत्काल इलाज उपलब्ध हो सके।
-महेश त्रिवेदी, विधायक, किदवई नगर।
शहर के उत्तरी क्षेत्र की स्थिति
-गणेश शंकर विद्यार्थी सुपर स्पेशलिटी पोस्ट ग्रेजुटए इंस्टीट्यूट (बन कर तैयार)।
-जीएसवीएम मेडिकल कालेज का एलएलआर (हैलट) अस्पताल।
-अपर इंडिया शुगर एक्सचेंज जच्चा बच्चा अस्पताल।
-बाल रोग अस्पताल।
-संक्रामक रोग अस्पताल।
-मुरारी लाल चेस्ट अस्पताल।
-लक्ष्मीपत सिंहानिया हृदय रोग संस्थान (कार्डियोलाजी)।
-राजकीय जेके कैंसर संस्थान।
-बड़ा चौराहा स्थित उर्सला और
डफरिन अस्पताल
-केपीएम अस्पताल, बिरहाना रोड।
-ईएसआइ पांडु नगर।
-ईएसआई जच्चा-बच्चा अस्पताल।
-ईएसआइ टीबी अस्पताल आजाद नगर।
-ईएसआइ जाजमऊ अस्पताल।
-राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय, गीता नगर।
दक्षिण क्षेत्र की स्थिति
-कांशीराम संयुक्त चिकित्सालय, रामादेवी।
-टीबी सेंटर, सेवा आश्रम रोड किदवई नगर।
-ईएसआइ अस्पताल, के ब्लाक, किदवई नगर।
-सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, बिधून व घाटमपुर।
-प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, मेहरबान सिंह का पुरवा व पनकी।
ये अस्पताल शुरू हों तो मिले सहूलियत
-श्रम विभाग का किदवई नगर सब्जी मंडी के सामने स्थित अस्पताल।
-जागेश्वर अस्पताल गोविंद नगर।
-बीएन भल्ला अस्पताल, बाबू पुरवा।

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