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कंप्यूटरीकृत ट्यूबलर फायरिंग रेंज में निशानेबाजी में पारंगत होंगे एसटीएफ जवान, कई खासियतों वाला है ये रेंज

कानपुर में स्पेशल टास्क फोर्स को आधुनिक हथियारों से लैस किया जायेगा और जवानों के लिए कई खासियतों वाले अति आधुनिक कंप्यूटरीकृत ट्यूबलर फायरिंग रेंज में छोटे असलहों से फायरिंग का अभ्यास करके निशानेबाजी को तेज कर सकेंगे।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Sat, 01 Oct 2022 07:58 AM (IST)Updated: Sat, 01 Oct 2022 07:58 AM (IST)
स्पेशल टास्क फोर्स के लिए अत्याधुनिक फायरिंग रेंज।

कानपुर, जागरण संवाददाता। बदमाशों और आतंकियों को करारा जवाब देने के लिए सुरक्षा एजेंसियों को मजबूत करने पर जोर है। इस कड़ी में स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) को आधुनिक हथियारों से लैस करने के साथ ही जवानों के लिए एक अति आधुनिक कंप्यूटरीकृत ट्यूबलर फायरिंग रेंज मंगाई गई है, जो कई खूबियों से लैस है।

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इसमें एसटीएफ के जवान छोटे असलहों से फायरिंग का अभ्यास करके अपने निशाने को मजबूत करेंगे। एसटीएफ जवानों को सटीक निशाने के लिए प्रत्येक माह शूटिंग रेंज में अभ्यास करना होता है। इसके लिए अक्सर उन्हें शूटिंग रेंज खाली न होने की वजह से इंतजार करना पड़ता था।

इस समस्या को देखते हुए प्रदेश सरकार की ओर से 80 लाख कीमत का जेन कंपनी का 40 फीट का कंप्यूटरीकृत ट्यूबलर फायरिंग रेंज मंगाया गया है। एसटीएफ इंस्पेक्टर के मुताबिक इससे पहले दिल्ली में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआइएसएफ) को ऐसी ही फायरिंग रेंज दी जा चुकी है।

फायरिंग रेंज की खासियत

  • इसमें आधुनिक सेंसर लगे हुए हैं। जब तक अभ्यास करने वाला जवान सही पोजीशन में नहीं होगा, असलहा फायर नहीं करेगा।
  • ट्यूबल फायरिंग रेंज में सटीक निशाने के डिजिटल रिकार्ड भी तैयार होंगे।
  • सभी शाट की निगरानी होगी। जिसका भी निशाना गड़बड़ होगा उसे चेतावनी देकर दुरुस्त कराया जाएगा।
  • कंप्यूटरीकृत सिस्टम होने के चलते अभ्यास करने वाले जवान सुविधानुसार अलग-अलग एंगल जैसे (सीधे खड़े होकर, घुटने के बल और लेटकर) फायरिंग कर सकते हैं।
  • कंप्यूटर से 10 से 400 मीटर तक की रेंज सेट की जाती है।
  • जवान अपनी सुविधा को देखते हुए फायरिंग के केबिन को बड़ा और छोटा भी कर सकते हैं।
  • कंटेनर के बाहर से नियंत्रक के इशारे पर ही जवान फायरिंग कर सकेंगे।

फायर और बुलेटप्रूफ है शूटिंग रेंज का केबिन

ट्यूबलर शूटिंग रेंज का कंटेनर फायर और बुलेटप्रूफ है। इसे बनाते समय इस बात का ख्याल रखा गया है कि अगर कोई गोली इससे टकराती है तो न तो आरपार होगी न ही वह वापस (रिकोचिट) होगी। टकराने के बाद वहीं गिर जाएगी। जिस बट पर निशाना लगाया जाएगा वह स्टेनलेस स्टील का होगा।  

-एसटीएफ के अधिकारियों और जवानों के सटीक निशाने के लिए यह कंप्यूटरीकृत फायरिंग रेंज आई है। इस रेंज पर दूसरी फोर्स के जवान अभ्यास नहीं कर सकेंगे। सटीक निशाना होने से आपरेशन के दौरान लाभ मिलेगा। -घनश्याम यादव, इंस्पेक्टर एसटीएफ


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