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Vikas Dubey Encounter : जानें, दुर्दांत विकास दुबे ने किन आठ पुलिसकर्मियों पर गोलियां बरसा सुला दिया था मौत की नींद

Attack On Kanpur Police हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को पकड़ने के लिए सीओ देवेंद्र मिश्रा ने तेजतर्रार दारोगा और सिपाही की टीम बनाई थी और रात में दबिश देने गए थे।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Fri, 10 Jul 2020 01:00 PM (IST)
Vikas Dubey Encounter : जानें, दुर्दांत विकास दुबे ने किन आठ पुलिसकर्मियों पर गोलियां बरसा सुला दिया था मौत की नींद
Vikas Dubey Encounter : जानें, दुर्दांत विकास दुबे ने किन आठ पुलिसकर्मियों पर गोलियां बरसा सुला दिया था मौत की नींद

कानपुर, जेएनएन। पांच लाख के इनामी मोस्ट वांटेड विकास दुबे एसटीएफ से मुठभेड़ में मारा गया है। ये वही विकास दुबे है, जिसने दो जुलाई की रात अपने शार्प शूटरों की मदद से दबिश देन गई पुलिस टीम पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाई थीं। इस घटना में सीओ समेत आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे। शहीद सिपाहियों को पिछले वर्ष ही कानपुर में ही पहली पोस्टिंग मिली थी और ज्वाइनिंग का दूसरा वर्ष ही था। घटना के बाद वह फरार हो गया था। उसे गुरुवार को उज्जैन में मप्र पुलिस ने पकड़ा था।

2016 में प्रोन्नत होकर बने थे सीओ

हिस्ट्रीशीटर को पकड़ने के दौरान मुठभेड़ में शहीद हुए सीओ बिल्हौर देवेंद्र कुमार मिश्र मार्च 2020 में सेवानिवृत्त होने वाले थे। मूलरूप से बांदा के महेबा गांव निवासी देवेंद्र के परिवार में पत्नी आस्था और दो बेटियां वैष्णवी और वैशारदी हैं। बड़ी बेटी मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रही है, वहीं छोटी बेटी 12वीं की छात्रा है। उनका परिवार स्वरूपनगर में पॉमकोट अपार्टमेंट में रह रहा है, उनकी मौत की खबर के बाद स्वजन बेहाल हो गए। उनके एक भाई राजीव मिश्र डाकघर में कार्यरत हैं, जबकि दूसरे भाई आरडी मिश्र महेबा गांव के पूर्व प्रधान हैं। रिश्तेदारों ने बताया कि देवेंद्र मूलगंज, रेलबाजार, नजीराबाद, बर्रा, किदवई नगर समेत कई थानों में प्रभारी रह चुके हैं। उन्हें वर्ष 1980 में दारोगा की तैनात मिली थी, इसके बाद वर्ष 2007 में इंस्पेक्टर से प्रोन्नत होकर 2016 में गाजियाबाद के मोदी नगर में तैनाती के दौरान क्षेत्राधिकारी हुए थे। तबादले पर शहर आए देवेंद्र मिश्रा को स्वरूप नगर सीओ बनाया गया था, इसके बाद उनका तबादला बिल्हौर हो गया था।

सरहज ने टीवी देखने के बाद स्वजनों को दी जानकारी

मुठभेड़ में शहीद हुए शिवराजपुर थाना प्रभारी महेश यादव 2012 बैच के दारोगा थे। परिवार में उनकी पत्नी सुमन, 20 वर्षीय बेटा विवेक उर्फ सम्राट व डेढ़ वर्षीय बेटा विराट है। महेश परिवार के साथ थाने के सरकारी आवास में रहते थे। बड़ा बेटा विवेक मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहा है। विवेक ने बताया कि पिता रोज की तरह करीब नौ बजे खाना खाने के लिए घर आए थे और एक घंटे बाद चले गए। प्रतिदिन वह दो बजे तक घर लौट आते थे। गुरुवार की रात घर न लौटने पर विवेक ने रात तीन बजे फोन किया तो किसी और ने रिसीव करते हुए मुठभेड़ होने की जानकारी दी और फोन काट दिया। इसके बाद सुबह मामी ने फोन पर घटना की जानकारी दी तो घर में कोहराम मच गया। पूर्व एसएसएसपी अनंतदेव तिवारी के पीआरओ रहे महेश पहले भी कई चौकियों में तैनात रहे और पीआरओ से तबादले के बाद शिवराजपुर थाना प्रभारी बनाया गया था।

सपा नेता के चचेरे भाई थे चौकी प्रभारी मंधना

एसआई अनूप कुमार सिंह की गिनती तेजतर्रार पुलिस जवानों में होती थी। मूलरूप से प्रतापगढ़ के मानधाता थानांतर्गत ग्राम बेलखरी के रमेश बहादुर सिंह के घर जन्मे अगस्त 1986 में अनूप ने 2015 बैच में पुलिस की ट्रेनिंग की थी। कानपुर में पोस्टिंग के बाद 6 फरवरी 2019 को उन्हें बिठूर थाने की टिकरा चौकी का प्रभारी बनाया गया था। इसके बाद जनवरी 2020 में उनका तबादला करके बिठूर की मंधना चौकी का इंचार्ज बना दिया गया था। परिवार में पत्नी नीतू, 9 वर्षीय बेटी गौरी, तीन वर्षीय बेटा सूर्यांश हैं, जो प्रयागराज में किराए के मकान में रह रहे हैं। दारोगा अनूप हाल ही में चकेरी में हुए पिंटू सेंगर हत्याकांड के चश्मदीद और सपा नेता चंद्रेश सिंह के चचेरे भाई थे।

रात दस बजे हुई थी आखिरी बार बात

मूलरूप से झांसी मऊरानी निवासी सुल्तान सिंह 2018 बैच के सिपाही और सेवानिवृत्त दारोगा हरिप्रसाद के पुत्र थे। पत्नी उर्मिला और पांच वर्षीय बेटी चेरी के साथ उरई स्थित मायके में थी। रात 10 बजे फोन पर आखिरी बार उनकी पत्नी और बेटी से बातचीत हुई थी। सुबह घटना की जानकारी मिलने के बाद घर में कोहराम मच गया।

एक माह बाद ही उठा सिर से पिता का साया

मूलरूप से गाजियाबाद के मोदीनगर निवासी राहुल कुमार भी रिटायर्ड दारोगा ओमकुमार के पुत्र थे और तीन भाइयों में बीच के थे। परिवार में पत्नी दिव्या और एक माह की बेटी है, शाम को आखिरी बार राहुल की पत्नी से फोन पर बात हुई थी। उनका जन्म जनवरी 1989 को हुआ था और पुलिस में भर्ती होने पर 2016 बैच में ट्रेनिंग करके पहली पोस्टिंग कानपुर में हुई थी और कल्याणपुर थाने में आमद कराई थी। यहां से उनका तबादला जनवरी 2020 में बिठूर थाने हो गया था।

बिठूर थाने में मिली थी सिपाहियों काे पोस्टिंग

मुठभेड़ में मारे गए तीनों सिपाहियों की पिछले साल ही ज्वाइनिंग हुई थी और बिठूर थाने में पोस्टिंग मिली थी। मूलरूप से मथुरा के रिफाइनरी थानातंर्गत ग्राम बरारी के रहने वाले तीर्थपाल के पुत्र जितेंद्र पाल का जन्म जनवरी 1994 को हुआ था। पुलिस में भर्ती होने पर वर्ष 2018 बैच में उन्होंने ट्रेनिंग ली थी और 28 जनवरी 2019 में कानपुर ज्वाइनिंग मिलने पर पहली पोस्टिंग बिठूर थाने में होने पर आमद कराई थी। आगरा के फतेहाबाद थानांतर्गत ग्राम पोखर पाण्डेय, नगला लोहिया के रहने वाले छोटे लाल के पुत्र बबलू इंटरमीडिएट पास थे और जनवरी 1996 में जन्म हुआ था। वर्ष 2018 बैच में पुलिस की ट्रेनिंग के बाद कानपुर में सिपाही पद पर तैनाती मिली थी और जनवरी 2019 को बिठूर थाने में आमद कराई थी।