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    Kanpur News: ‘बचपन के प्यार’ में अनजान अपराध कर रहे किशोर, कानपुर में किशोरों के प्रेम से जुड़े 750+ मामले

    By Jagran NewsEdited By: Shivam Yadav
    Updated: Mon, 12 Dec 2022 09:43 PM (IST)

    पाक्सो एक्ट के तहत मानसिक रूप से आपराधिक प्रवृत्ति के किशोर अपराधियों पर शिकंजा कसने में मदद जरूर मिली है लेकिन दूसरी ओर ऐसे किशोर भी हैं जो बचपन का प्यार करके अनजाने में ही पाक्सो एक्ट के अपराधी बन रहे हैं।

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    अनजाने में ही पाक्सो एक्ट के अपराधी बन रहे हैं।

    कानपुर [आलोक शर्मा]: पाक्सो एक्ट के तहत मानसिक रूप से आपराधिक प्रवृत्ति के किशोर अपराधियों पर शिकंजा कसने में मदद जरूर मिली है लेकिन दूसरी ओर ऐसे किशोर भी हैं जो बचपन का प्यार करके अनजाने में ही पाक्सो एक्ट के अपराधी बन रहे हैं। एक्ट में किशोरी के नाबालिग होते ही आरोपित को किसी भी तरह की राहत नहीं मिलती, फिर भले ही किशोरी ने कोर्ट में आरोपित के पक्ष में ही बयान दर्ज कराए हों। 

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    केस एक: बजरिया निवासी संजय सोनी ने किशोरी से विवाह किया। उनके डेढ़ साल की एक बेटी भी है। किशोरी ने कोर्ट में बयान दिए थे कि वह अपनी मर्जी से विवाह बंधन में बंधी है और उनके एक बेटी भी है। उसकी गवाही के बावजूद सख्त कानून की बंदिश के चलते संजय को सात वर्ष कैद हो गई। सजा के बाद उसे जेल भेज दिया गया। अब मां-बेटी दोनों जेल में उससे मिलने जाती हैं। 

    केस दो: बर्रा निवासी अशोक ने किशोरी से शादी की। किशोरी के पिता की तहरीर पर पुलिस ने दोनों को बरामद कर अशोक को जेल भेज दिया। वर्तमान में अशोक जमानत पर है। इस मामले की सुनवाई शुरू हो चुकी है और सोमवार को पहली गवाही थी। यह देखकर अजीब लगता है कि जिसके अपहरण और दुष्कर्म में अशोक दोषी है, उसी के साथ वह कोर्ट सुनवाई पर आता है। 

    खबर के साथ दिए दो केस तो महज इसकी बानगी भर हैं। ऐसे मामले दिन पर दिन बढ़ रहे हैं। जनपद की बात करें तो यहां 1500 से अधिक मामले विचाराधीन हैं जिसमें 45 प्रतिशत ऐसे मामले हैं जो किशोरों के प्रेम से जुड़े हैं।

    चीफ जस्टिस के बयान के बाद बना मुद्दा 

    चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने इस मामले में विधायिका को विचार करने को कहा है। जिसके बाद से यह विषय मुद्दा बन गया। खुद अधिवक्ता भी इससे सहमत हैं। इन केसों को देख रहे अधिवक्ताओं का मानना है कि अनजाने में ही सही लेकिन जब सहमति से विवाह किया गया है तो सजा का स्तर सख्त नहीं होना चाहिए। अधिवक्ता भी इसमें बदलाव की बात मानते हैं।

    तीन कोर्ट में 1500 से अधिक मामले

    जिले में पाक्सो एक्ट के तहत आने वाले मामलों की संख्या अधिक है। इसके लिए यहां तीन कोर्ट हैं जिन्हें पाक्सो एक्ट के तहत मुकदमे सुनने का विशेषाधिकार प्राप्त है। अधिवक्ता बताते हैं कि अधिकतर मामले 16-18 आयु वर्ग के किशोरों के बीच से जुड़े होते हैं।

    3/4 पाक्सो एक्ट में उम्रकैद का भी है प्राविधान

    सहायक शासकीय अधिवक्ता सुशील कुमार वर्मा बताते हैं कि पाक्सो एक्ट की धारा 3/4 के तहत ऐसे मामलों में न्यूनतम सात वर्ष तक कैद और अधिकतम उम्रकैद की सजा का प्राविधान है। एक्ट की बाध्यता के चलते ही किशोरी के बयानों को महत्वपूर्ण नहीं माना जाता है। इसलिए आरोपित को सजा हो जाती है। 

    नए कदम से सहमत हैं विशेष लोक अभियोजक 

    विशेष लोक अभियोजक भावना गुप्ता बताती हैं कि ऐसे मामलों में थोड़ी नरमी बरतने के साथ जागरूकता की भी जरूरत है। क्योंकि अनजाने में किए गए अपराध की सजा न्यूनतम सात साल होती है जो ठीक नहीं है। विधायिका को इस पर जरूरत विचार करना चाहिए।