कानपुर में इसी सप्ताह शुरू हो सकता है पराग डेयरी में दोबारा उत्पादन, आधुनिक प्लांट को NDDB करेगा संचालित
कानपुर के निराला नगर स्थित पराग डेयरी प्लांट में दूध उत्पादन फिर शुरू होने की संभावना है जिसका संचालन एनडीडीबी करेगा। 166 करोड़ की लागत से बना यह प्लांट देनदारी के कारण रुका था। सरकार ने इसे लीज पर देने की कोशिश की लेकिन बाद में एनडीडीबी को सौंप दिया। सांसद रमेश अवस्थी ने प्लांट का दौरा किया और जल्द शुरू होने की उम्मीद जताई।

जागरण संवाददाता, कानपुर। निराला नगर स्थित पराग डेयरी प्लांट में एक बार फिर से दूध वितरण और उससे जुड़े उत्पादों का उत्पादन दोबारा शुरू हो सकता है। संभावना है कि इसी हफ्ते से काम शुरू हो सकता है। पराग का प्लांट नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड यानी एनडीडीबी संचालित करेगा।
निराला नगर स्थित पराग डेयरी परिसर में 12 अप्रैल 2016 को आधुनिक प्लांट का शिलान्यास हुआ था। वर्ष 2020 में करीब 166 करोड़ की लागत से दो लाख लीटर दूध और दो लाख लीटर पाउडर बनाने की क्षमता का प्लांट बनकर तैयार हो गया था, लेकिन कर्मचारियों से लेकर विभिन्न विभागों की करीब 26 करोड़ रुपये की देनदारी की वजह से आधुनिक प्लांट चालू नहीं हो पा रहा था।
22 अगस्त 2023 को प्रदेश सरकार ने गोरखपुर, कानपुर, नोएडा, प्रयागराज, आजमगढ़ व मुरादाबाद स्थित पराग प्लांट को 10 साल के लिए लीज पर देने की स्वीकृति दी थी। अक्टूबर 2023 में निजी क्षेत्र के लिए टेंडर प्रक्रिया भी शुरू हो गई थी। मदर डेयरी और सुधा समेत कंपनियां आगे आईं, पर पराग पर देनदारी ज्यादा होने पर कदम पीछे हटा लिए। इसके बाद शासन से पराग प्लांट को नेशनल डेयरी द्वारा संचालित करने का फैसला लिया गया।
जनवरी 2025 के पहले सप्ताह में सांसद रमेश अवस्थी ने पराग के पुराने व आधुनिक प्लाट की स्थिति देखी और आशा जताई थी कि प्लांट जल्द शुरू होगा। पराग डेयरी के जीएम सुनील कुमार ने बताया कि शासनादेश आया है कि निराला नगर का आधुनिक प्लांट को नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड चलाएगा। एक सप्ताह में एमओयू हो सकता है। ट्रायल कब होगा इसके बारे में अभी नहीं बता सकते हैं।
उन्होंने बताया कि आधुनिक पराग प्लांट की क्षमता चार लाख लीटर है। अब जब प्लांट चलेगा तो दो लाख लीटर पाउडर दूध, डेढ़ लाख लीटर पैकेट और एक टन पनीर व आठ टन घी बनाया जाएगा।
वर्ष 2013 में थी 20 हजार लीटर होती दूध की बिक्री
निराला नगर में वर्ष 1962 में पराग डेयरी का 50 हजार लीटर क्षमता का प्लांट बना था। उस समय कानपुर नगर और कानपुर देहात से दूध आता था। करीब 20 हजार लीटर पराग दूध की बिक्री होती थी लेकिन धीरे-धीरे समय बीता और मशीनें खराब होने लगीं। वर्ष 2013 में प्लांट बंद कर दिया गया, जिससे पराग की बिक्री भी ठप हो गई और निजी कंपनियों ने अपने पांव पसारने शुरू कर दिए।
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