लोकल ब्रांड निर्माताओं ने 700-1000 रुपये तक बढ़ाए घी के दाम, ग्राहकों को GST का नहीं मिलेगा लाभ
कानपुर जीएसटी काउंसिल ने देशी घी पर जीएसटी दर 12% से घटाकर 5% कर दी लेकिन ग्राहकों को लाभ नहीं मिलेगा। लोकल ब्रांड निर्माताओं ने 15 अगस्त से 15 किलो के टिन पर 700-1000 रुपये तक दाम बढ़ा दिए हैं। निर्माताओं का कहना है कि बाढ़ से कच्चे माल की आपूर्ति प्रभावित होने से कीमतें बढ़ रही हैं।

जागरण संवाददाता, कानपुर । यूं तो देशी घी की बिक्री पर जीएसटी काउंसिल ने दरों को 12 से घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया है लेकिन ग्राहकों को इसका लाभ नहीं मिलने वाला है। इसके पीछे का कारण लोकल ब्रांड के देशी घी निर्माताओं ने 15 अगस्त के बाद से देशी घी के 15 किलो के टिन में काफी ज्यादा भाव बढ़ा दिए हैं।
अलग-अलग ब्रांड के 15 किलो के टिन में 700 से 1,000 रुपये तक बढ़ाए जा चुके हैं। हालांकि निर्माताओं के मुताबिक बाढ़ की वजह से कच्चे माल की आपूर्ति प्रभावित हुई है जिसकी वजह से कीमतें बढ़ रही हैं।
15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जीएसटी में राहत की घोषणा की थी। इसके बाद 16 अगस्त से दुकानदारों को देशी घी की जो आपूर्ति की गई, उसमें भाव बढ़ने शुरू हो गए। हालांकि अमूल, नमस्ते इंडिया और ज्ञान डेयरी जैसी कंपनियों का घी अभी पुराने भाव पर ही बिक रहा है। यह बाजार में उपभोक्ता को 600 से 650 रुपये प्रतिकिलो पर उपलब्ध है।
15 अगस्त के पहले लोकल ब्रांड के देशी घी का 15 किलो का टिन नौ हजार रुपये के करीब था लेकिन जैसे ही जीएसटी की दरों में राहत के संकेत मिले तो घी का भाव भी बढ़ने लगा। धीरे-धीरे अब तक 700 से 1,000 रुपये तक हर टिन पर भाव बढ़ चुका है।
12 की जगह पांच प्रतिशत टैक्स ही घी पर लिया जा सकेगा
इस समय थोक बाजार में 10,000 रुपये टिन तक भाव है। जीएसटी की घोषित नई दरों के मुताबिक अब 22 सितंबर से 12 की जगह पांच प्रतिशत टैक्स ही घी पर लिया जा सकेगा। इससे छह सौ से सात सौ रुपये भाव नीचे आ जाएगा। हालांकि यह भाव 15 अगस्त से पहले घी के या तो बराबर होगा या उससे ज्यादा। ग्राहक के लिए कोई लाभ नहीं होगा।
वहीं, दूसरी ओर माधौगढ़ देशी घी के निदेशक अंकित गुप्ता का कहना है कि पंजाब, हरियाणा, पश्चिम उत्तर प्रदेश में बाढ़ का प्रकोप है। इसकी वजह से चारा और कच्चा माल नहीं मिल रहा है। लोगों के पशु बह गए हैं। इससे दूध की किल्लत भी है।
बढ़ी कीमतों पर इन चीजों को खरीदना पड़ रहा है। कानपुर के आसपास छह फैक्ट्रियां हैं, इसलिए घी के भाव बढ़ाने पड़े हैं। उनके मुताबिक ब्रांडेड कंपनियों के भाव पहले से ही उस स्तर पर हैं, जहां वे आज बेच रहे हैं।
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