रंगदारी में फरार चल रहे अधिवक्ता अनूप शुक्ला के घर कुर्की, उधर कोर्ट में किया आत्मसमर्पण
कानपुर में रंगदारी के मामले में फरार अधिवक्ता अनूप शुक्ला ने अदालत में आत्मसमर्पण किया। उनके अधिवक्ता ने पुलिस पर आत्मसमर्पण के बाद भी कुर्की करने का आरोप लगाते हुए अदालत की अवमानना का प्रार्थनापत्र दिया है। अदालत ने इस मामले में विवेचक और थानाध्यक्ष को तलब आरोप है कि पुलिस ने मंदिर की संपत्ति पर तोड़फोड़ की।

जागरण संवाददाता, कानपुर। इधर रंगदारी के मुकदमे में फरार चल रहे अधिवक्ता अनूप शुक्ला के घर की कुर्की चल रही थी और उधर वह अदालत में आत्मसमर्पण कर रहे थे। आत्मसमर्पण के बाद अनूप शुक्ला को जेल भेज दिया गया। इसके बाद सोमवार को ही उनके अधिवक्ता ने आत्म समर्पण के बाद भी कुर्की पर अदालत के आदेश की अवमानना का आरोप पुलिस पर लगाते हुए प्रार्थनापत्र अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट 4 की कोर्ट में दिया गया है। इसमें विवेचक और सीसामऊ थानाध्यक्ष को तलब कर दोषियों पर कार्यवाही के लिए कहा गया है। प्रार्थनापत्र पर बुधवार को सुनवाई होगी।
गांधी नगर पी रोड निवासी अभिषेक मिश्रा ने 31 मई की देर रात रवि पांडेय, अतुल अग्निहोत्री, जनार्दन पांडेय, रामचंदर पासवान, दीनू उपाध्याय, नीरज दुबे व पांच-छह अज्ञात पर सीसामऊ थाने में रंगदारी का मुकदमा दर्ज कराया था। विवेचना में नवाबगंज निवासी अधिवक्ता अनूप शुक्ला, दीपक जादौन का नाम प्रकाश में आया था।
इस मुकदमे में अनूप शुक्ला के फरार होने पर कोर्ट ने कुर्की के आदेश दिए थे। बचाव पक्ष के अधिवक्ता शिवाकांत दीक्षित ने बताया कि अनूप शुक्ला ने सोमवार को एसीजे 4 की कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया था। इसके बावजूद पुलिस ने उसके पिता के घर में कुर्की की कार्रवाई कर दी। उनकी तरफ से कोर्ट में प्रार्थनापत्र देकर कहा गया है कि अनूप शुक्ला का आत्मसमर्पण कोर्ट द्वारा स्वीकार किया जा चुका है।
इसकी सूचना अनूप शुक्ला की पत्नी ने थाना सीसामऊ के पुलिस अधिकारियों को दे दी थी, यह लोग उसके पिता के घर पर कुर्की की कार्रवाई करने के लिए आए थे। सूचना के बावजूद पुलिस ने घर में तोड़फोड़ की। घर का सामान उखाड़ लिया। पुलिस को यह भी बताया गया कि अनूप शुक्ला पिछले छह माह से घर पर नहीं रह रहे थे।
यह मकान श्री विराजमान ठाकुर जी महाराज गोपालेश्वर मंदिर की संपत्ति है। इस मकान के किरायेदार पिता अशोक कुमार शुक्ला हैं। घर का सभी सामान भी उनका था। यह अदालत के आदेश के अवमानना की श्रेणी में आता है। विवेचक और थानाध्यक्ष को तलब कर दोषी व्यक्तियों के खिलाफ कार्यवाही का आदेश दिया जाए।
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