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    Kanpur Nagar Nigam Scam : गृहकर और नामांतरण शुल्क गबन मामले की जांच में लीपापोती, खजाने का धन लूट रहे कर्मी

    By Abhishek AgnihotriEdited By:
    Updated: Thu, 18 Aug 2022 11:58 AM (IST)

    Kanpur Nagar Nigam Scam कानपुर नगर निगम में नामांतरण शुल्क और गृहकर शुल्क में हेराफेरी का राजफाश होने के बाद शुरू हुई जांच में लीपापोती शुरू हो गई है। वहीं सरकारी खजाने में अफसर और कर्मचारी लूट कर रहे हैं। दो राजस्व निरीक्षक पर कार्रवाई हो चुकी है।

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    कानपुर नगर निगम में शुल्क में गड़बड़ी का मामला।

    कानपुर, जागरण संवाददाता। Kanpur Nagar Nigam Scam : गृहकर और नामांतरण शुल्क के रूप में शहर का विकास कराने के लिये मिलने वाली धनराशि नगर निगम के कुछ अफसर व कर्मचारी मिलकर लूट रहे हैं। खजाने की बजाय यह धनराशि इनकी जेबों में पहुंच रही है। इसके चलते शहर के विकास कार्यों पर विपरीत असर पड़ रहा है तो नगर निगम के कर्मचारियों को वेतन और पेंशन के लाले हैं।

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    दैनिक जागरण ने मामले से पर्दा उठाया तो अब खलबली मची हुई है। जोन दो के दो राजस्व निरीक्षक पर कार्रवाई की गई है। एक का निलंबन हो चुका है तो दूसरे से स्पष्टीकरण तलब किया गया है। इसके अलावा जोन पांच में भी एक राजस्व निरीक्षक और एक कर्मचारी की जांच चल रही है।

    गृहकर और नामांतरण शुल्क गबन मामले की जांच में लीपापोती भी शुरू हो चुकी है। मामले की जांच शुरू हुई तो जोनों से रसीद पुस्तिका ही गायब कर दी गई। जोन पांच में रसीद पुस्तिका नंबर 7499 नहीं मिली है। इससे भी बताया जा रहा है कि नामांतरण के नाम पर खेल हुआ। इनकी जांच हो जाए तो खेल खुद सामने आ जाएगा।

    अदालत के आदेशों की भी अनदेखी

    नामांतरण शुल्क के नाम पर नगर निगम में खूब खेल हुआ। अदालत के आदेशों की भी अनदेखी की गई। जोन चार में राम कृष्ण नगर स्थित भवन संख्या 110/135 का मामला अदालत में होने के बाद भी नामांतरण कर दिया गया। सवाल यह है कि जब मामला अदालत में था तो नामांतरण में इतनी जल्दबाजी क्यों दिखाई गई।

    74 राजस्व निरीक्षकों की टीम, फिर भी एक लाख भवन टैक्स दायरे से बाहर

    नगर निगम में 74 राजस्व निरीक्षक हैं। इनका काम नामांतरण और गृहकर वसूलने के साथ ही नए बने मकानों या परिवर्तित हुए मकानों को नए सिरे से टैक्स निधि में लाने का है। इसके बावजूद उदासीनता की स्थिति यह है कि एक लाख से ज्यादा मकान टैक्स दायरे में हैं, लेकिन इनसे वसूली नहीं हो रही। भाजपा पार्षद दल के उपनेता सत्येंद्र मिश्र भी मामले को सदन में उठा चुके हैं। उन्होंने बताया कि इन मकानों को नए सिरे से टैक्स निधि के दायरे में लाया जाए तो नगर निगम को करीब 50 करोड़ रुपये की आय होगी।

    मकान बन गए अपार्टमेंट, नगर निगम ने मूंद रखीं आंखें

    नगर निगम के कुछ अधिकारी और कर्मचारी अपनी जेबें गर्म करने में लगे हैं तो इनकी कार्यशैली से नगर निगम को हर साल करोड़ों रुपये की चपत लग रही है। शहर में पिछले पांच साल में भवन की जगह 10 हजार अपार्टमेंट बन चुके हैं। एक मकान की जगह दस-दस फ्लैट खड़े हो गए हैं।

    इसके अलावा व्यावसायिक निर्माण हो चुके हैं लेकिन नगर निगम के दस्तावेज में ये अब भी मकान ही दर्ज हैं। इनसे कर वसूला जाए तो नगर निगम को हर साल करोड़ों रुपये का फायदा होगा। दूसरी तरफ, मकान मालिक अपने लाभ के लिए सुविधा शुल्क देता है और राजस्व निरीक्षक चुप्पी साध लेते हैं। नर्सिंग होम, गेस्ट हाउस, होटल, व्यावसायिक कांप्लेक्स की मौके पर जांच हो जाए तो खेल सामने आ जाएगा।

    सर्वे में आ रही बिना टैक्स की संपत्तियां

    लखनऊ की कंपनी शहर में संपत्तियों की जांच कर रही है। 50 वार्डों के सर्वे में 85 हजार भवन सामने आए हैं जिनसे टैक्स नहीं मिल रहा है। अभी 60 वार्डों का सर्वे होना बाकी है।

    यह स्थिति टैक्स की

    टैक्स दे रहे भवन - 4.65 लाख

    लक्ष्य-2.30 अरब रुपये

    वसूली हो पा रही - 2.10 अरब रुपये

    -जोन दो में जांच में एक राजस्व निरीक्षक को निलंबित कर दिया गया है। दूसरे से स्पष्टीकरण तलब किया है। जोन पांच के मामले सामने आए हैं, उनकी जांच कराई जा रही है। लापरवाही बरतने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। - शिव शरणप्पा जीएन, नगर आयुक्त