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    कानपुर-लखनऊ के बीच जल्द दौड़ेगी रैपिड रेल, 40 से 50 मिनट में तय होगा अमौसी एयरपोर्ट तक सफर

    By Abhishek AgnihotriEdited By:
    Updated: Thu, 11 Aug 2022 05:05 PM (IST)

    Kanpur Lucknow Rapid Metro Train कानपुर से लखनऊ के बीच रैपिड रेल को लेकर पहला प्रस्ताव 2015 में बना था और 21 जुलाई 2022 को फिर पत्र लिखने के बाद 31 अगस्त से पहले शासन स्तर पर मंथन हाेना है। रैपिड रेल चलने से औद्योगिक और शहरी विकास होगा।

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    कानपुर से लखनऊ के बीच रैपिड रेल चलने से उद्योगों और शहरों का विकास होगा।

    कानपुर, जागरण संवाददाता। Kanpur Lucknow Rapid Metro Train : सबकुछ ठीक रहा तो जल्द कानपुर और लखनऊ के बीच रैपिड रेल दौड़ाने पर चल रहा मंथन धरातल पर उतरेगा। इससे औद्योगिक और शहरी विकास को पंख लगेंगे तो अमौसी एयरपोर्ट तक का सफर भी 40 से 50 मिनट में पूरा होगा।

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    कानपुर व लखनऊ के साथ उन्नाव को सीधा लाभ होगा, जबकि अप्रत्यक्ष तौर पर आसपास के आधा दर्जन जिलों के लोग भी लाभान्वित होंगे। 2015 में इसके लिए पहला प्रस्ताव बना था। उसी समय प्रस्तावित दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल परियोजना पर काम चल रहा है। अब यहां भी उसकी उपयोगिता बढ़ी है।

    वर्ष 2021 में अप्रैल में तत्कालीन प्रमुख सचिव दीपक कुमार ने शासन स्तर पर वर्चुअल बैठक में रिक्वेस्ट फार प्रपोजल (आरएफपी) बनाने की बात कही थी, जो तैयार किया जा चुका है। 21, जुलाई 2022 को फिर से पत्र लिखे जाने पर आठ अगस्त को शासन में बैठक प्रस्तावित थी, लेकिन टल गई।

    अब 31 अगस्त से पहले मंडलायुक्त कानपुर डा. राज शेखर, उच्चस्तरीय संयुक्त विकास समिति के समन्वयक व स्वतंत्र निदेशक कानपुर स्मार्ट सिटी नीरज श्रीवास्तव की मौजूदगी में शहरी आवास एवं नियोजन के प्रमुख सचिव नितिन रमेश गोकर्ण के साथ मंथन होगा।

    इसके बाद कंसल्टेंट नियुक्त करने की कार्रवाई उप्र मेट्रो रेल कारपोरेशन करेगा। वर्तमान में कानपुर-लखनऊ के बीच रेलवे ट्रैक किनारे प्रस्तावित रैपिड रेल रूट से भूमि अधिग्रहण में भी आसानी होगी। काफी जमीन रेलवे से ही मिल जाएगी। अब इंटीग्रेटेड विकास का दौर होने से कानपुर-लखनऊ को ट्विन सिटी के रूप में विकसित किया जा सकेगा।

    रेल रूट का यह है प्रस्ताव : पूर्व में प्रस्तावित मानचित्र के अनुसार प्राथमिक स्तर पर लखनऊ के अमौसी से बनी तक सड़क मार्ग के समानांतर, बनी से उन्नाव के जैतीपुर तक नया मार्ग विकसित करके और फिर कानपुर-लखनऊ रेल ट्रैक के समानांतर अजगैन, उन्नाव, मगरवारा होकर गंगा बैराज रैपिड रेल का अंतिम पड़ाव होगा।

    मेट्रो और बेहतर करेगी कनेक्टिविटी : लखनऊ के सभी मुख्य क्षेत्रों से अमौसी तक मेट्रो संपर्क से आवाजाही आसान होगी। भविष्य में लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे, गंगा एक्सप्रेसवे, लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेसवे, कानपुर रिंग रोड के क्षेत्रों से भी रैपिड रेल Rapid Metro Train जुड़ जाएगी। इससे प्रतिदिन आवाजाही वाले हजारों लोगों को आसानी होगी।

    यह भी मंथन हो रहा है कि कानपुर में कृषि विश्वविद्यालय तक मेट्रो रूट है, जिसे कंपनी बाग तक बढ़ाकर गंगा बैराज तक लाने का सर्वे करा रैपिड रेल से जोड़ा जाए। इससे कानपुर के सभी मुख्य क्षेत्रों से मेट्रो के माध्यम से लोग रैपिड रेल से जुड़ सकेंगे। वहीं, नौबस्ता से बुंदेलखंड से आने वाले, कल्याणपुर-आइआइटी से कन्नौज-फर्रुखाबाद से आने वाले जुड़ जाएंगे।

    यह होंगे फायदे

    • 40 से 50 मिनट में कानपुर के लोग अमौसी हवाई अड्डा लखनऊ पहुंच सकेंगे।
    • 02 घंटे में कन्नौज, कानपुर देहात, फर्रुखाबाद, फतेहपुर, हमीरपुर के लोग जा सकेंगे लखनऊ, अभी लगते चार से पांच घंटे।
    • 02 बड़े शहरों के बीच आधुनिक विकास को गति मिलेगी।
    • 20-25 शहरों को फायदा देने के लिए भविष्य में बुंदेलखंड से बढ़ा सकते जुड़ाव।

    रेल रूट के किनारे बहेगी विकास की बयार

    • अमौसी से बनी तक लखनऊ जिले के अंतर्गत नियोजित विकास हो सकेगा।
    • बनी से उन्नाव के जैतीपुर तक वेयर हाउस (विभिन्न उत्पादों के लिए गोदाम) विकास
    • जैतीपुर से अजगैन तक उन्नाव जिले में औद्योगिक कारिडोर का विकास किया जा सकेगा।
    • अजगैन से उन्नाव तक नियोजित आवासीय व वाणिज्यिक विकास को बल मिलेगा।
    • उन्नाव से बैराज तक नियोजित आवासीय विकास आसान होगा।

    एनसीआरटीसी करता रैपिड रेल पर काम : नेशनल कैपिटल विजन ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन (एनसीआरटीसी) रैपिड रेल Rapid Metro Train पर काम करता है। इसके माध्यम से राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली व उत्तर प्रदेश में आरआरटीएस (रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम) को विकसित करने पर काम किया जाना है।

    -शासन स्तर पर बैठक के बाद रैपिड रेल पर आगे का काम होगा। इसकी शुरुआत से औद्योगिक विकास, शहरी नियोजन व आसपास के जिलों तक को लाभ मिलेगा। -डा. राज शेखर, मंडलायुक्त।

    -रैपिड रेल की उपयोगिता को सैद्धांतिक सहमति मिली है। बाकी निर्णय अध्ययन पूरा होने के बाद लिए जाएंगे। केंद्र सरकार से वित्तीय स्वीकृति मिलने पर काम तेज होगा और बड़ी सोच साकार होगी। -नीरज श्रीवास्तव, समन्वयक, उच्च स्तरीय संयुक्त विकास समिति।