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    Kanpur News: दहेज की मांग पूरी न होने पर सिर कूचकर मार डाला था पत्नी को, अब जिंदगी भर रहेगा सलाखों के पीछे

    By shiva awasthi Edited By: Anurag Shukla1
    Updated: Tue, 15 Jul 2025 10:28 PM (IST)

    पत्नी की हत्या के मामले में पति को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। दहेज में दो लाख रुपये न मिलने पर पत्नी की सिर कूचकर हत्या कर दी थी। एडीजे-1 की अदालत ने सजा सुनाई। 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। मामला नवाबगंज क्षेत्र के सुखऊपुरवा का था।

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    पत्नी की हत्या के मामले में पति को आजीवन कारावास।

    जागरण संवाददाता, कानपुर। दहेज में दो लाख रुपये की मांग पूरी नहीं होने पर पत्नी की ईंट से कूच कर हत्या करने वाले पति को एडीजे-1 सुदामा प्रसाद की अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। 50 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया गया है। घटना मार्च, 2020 में हुई थी, जिसकी रिपोर्ट नवाबगंज थाने में दर्ज कराई गई थी।

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    नवाबगंज थाने में रज्जन कुशवाहा ने 24 मार्च, 2020 को रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उनकी बेटी उमा की शादी 10 फरवरी, 2015 को नवाबगंज क्षेत्र के सुखऊपुरवा निवासी गनेश निषाद के साथ हुई थी। शादी के छह माह बाद ही पति दो लाख रुपये दहेज की मांग करने लगा। उन्होंने उसे पैसे दिए।

    इसके कुछ समय बाद ही गनेश फिर दो लाख रुपये और मांगने लगा। असमर्थता जताने पर बेटी को प्रताड़ित करता रहा। छोटी बहन कल्पना ने बताया कि 24 मार्च को गनेश के बड़े भाई जगदीश ने फोन करके बताया कि आपकी बहन की तबीयत खराब है। जब वहां पहुंचे तो बहन का खून से लथपथ शव पड़ा मिला। पास में ही खून से सनी ईंट पड़ी मिली।

    पुलिस ने आरोपित पति को गिरफ्तार करके जेल भेजा था। मामला एडीजे–1 सुदामा प्रसाद की अदालत में ट्रायल पर था। एडीजीसी प्रदीप साहू ने बताया कि अदालत ने साक्ष्यों के आधार पर आरोपित पति को दोषी करार दिया। उम्रकैद व 50 हजार जुर्माने की सजा सुनाई है।

    दहेज हत्या में पति और सास को सजा

    बिधनू थानाक्षेत्र में दहेज हत्या के मामले कक्ष संख्या तीन में स्थित अपर सत्र न्यायाधीश कंचन की अदालत ने पति को 10 साल व सास को सात साल की सजा व 10 हजार जुर्माना की सजा सुनाई है। वादी अमर पाल सिंह चंदेल ने बिधनू थाने में वर्ष 2003 में मुकदमा दर्ज कराया था। इसमें कहा था कि उन्होंने अपनी भतीजी मिलन की शादी ग्राम कड़री में मनोज सिंह के साथ की थी। मनोज व उसकी मां तारा दोनों मिलकर भतीजी को दहेज के लिए प्रताड़ित करते थे। 15 दिसंबर, 2003 को रात में भतीजी के साथ मारपीट की सूचना पाकर पहुंचे, तो वह मृत मिली। विवेचना के बाद पुलिस ने आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल किया था। सुनवाई के बाद मनोज को 10 वर्ष व तारा देवी को सात वर्ष की सजा सुनाई गई।