Kanpur Fake Passport Case : पकड़ा गया 'वसीम अली' था मोहरा, असली मास्टरमाइंट निकला विभागीय
कानपुर में फर्जी दस्तावेजों की मदद से असली पासपोर्ट बनाकर सैकड़ों लोगों को विदेश भेजने के मामले में सनसनीखेज सुराग मिला है। दो महीने पहले मामले में गिरफ्तार हो चुका है वसीम अली नामक आरोपित इस गिरोह का सिर्फ मोहरा था इसके पीछे का मास्टरमाइंड तो कोई और है।

कानपुर, [गौरव दीक्षित]। फर्जी दस्तावेजों की मदद से असली पासपोर्ट बनवाकर सैकड़ों लोगों को विदेश भेजने के मामले में गिरफ्तार शातिर वसीम अली सिर्फ एक मोहरा था। इस खेल का असली खिलाड़ी पासपोर्ट विभाग का एक कर्मचारी है। कानपुर में इसकी तैनाती के बाद से वसीम का काम धड़ल्ले से चल रहा था। यह सनसनीखेज जानकारी कर्नलगंज पुलिस की जांच में सामने आई है, मगर डेढ़ महीने से पुलिस इस सच को छिपाए फिर रही थी। बुधवार को जब इस तथ्य की जानकारी उच्चाधिकारियों को हुई तो संयुक्त पुलिस आयुक्त ने थाना प्रभारी और विवेचक को गुरुवार को पूरी केस डायरी के साथ तलब कर लिया।
24 जनवरी 2022 को क्राइम ब्रांच और कर्नलगंज पुलिस ने चमनगंज स्थित अनाया टूर एंड ट्रैवल्स के कार्यालय में छापा मारकर बाबूपुरवा निवासी वसीम अली को गिरफ्तार किया था। जांच में सामने आया कि वह फर्जी अंकपत्र, पासपोर्ट व आधार कार्ड तैयार कर असली पासपोर्ट बनवाता था। आरोपित के पास से पांच पीले रंग के बैग, जिसमें हाईस्कूल के चार प्रमाण पत्र, दो जाली पासपोर्ट, एक आधार कार्ड, छह रबर की मुहरें, पांच भारत सरकार के होलोग्राम, दो मोबाइल फोन, एक लैपटाप, एक कंप्यूटर, दो सीपीयू, दो कलर प्रिंटर, 35 से ज्यादा असली पासपोर्ट व अन्य कागजात बरामद हुए थे। आरोपित फर्जी तरीके से पहले शैक्षिक दस्तावेज, निवास प्रमाण पत्र व अन्य कागजात तैयार करता था, फिर असली पासपोर्ट बनवाता था। कभी पासपोर्ट बनवाने में नाकाम रहता तो जाली पासपोर्ट भी थमा देता था। जांच पड़ताल में इस गिरोह के तार प्रदेश के कई जिलों में मिले थे। इस प्रकरण के सामने आने के बाद अब तक यह आशंका है कि कहीं इन फर्जी पासपोर्ट का प्रयोग आतंकियों ने तो नहीं किया था।
कर्मचारी के साथ शिफ्ट हो जाता है गिरोह
अब इस मामले में नया तथ्य सामने आया है। पता चला है कि गिरोह की कमान पासपोर्ट विभाग में तैनात एक वरिष्ठ कर्मचारी के हाथों में है। यह कर्मचारी पूर्व में वाराणसी में तैनात था और अब कानपुर में है। यह कर्मचारी जहां रहता है गिरोह वहीं शिफ्ट हो जाता है और स्थानीय स्तर पर गिरोह के सदस्य के हाथों कमान आ जाती है। यह भी सामने आया है कि वह कानपुर में बैठकर प्रदेश के दूसरे जिलों से भी फर्जी दस्तावेजों के सहारे असली पोसपोर्ट बनवाने का काम कर रहा है। पुलिस को यह जानकारी वसीम से पूछताछ में हुई थी, मगर अब तक इस तथ्य को छिपाए रखा गया।
बोले जिम्मेदार: पोसपार्ट घोटाले का यह गिरोह राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में लिप्त हो सकता है। कर्नलगंज पुलिस ने पहले भी इस मामले में लापरवाही की है। जानकारी करने पर सामने आया है कि पासपोर्ट विभाग का कोई कर्मचारी इसमें शामिल है। विवेचक के मुताबिक आरोपित के खिलाफ अभी साक्ष्य एकत्र नहीं हो पाए हैं। मैने प्रभारी निरीक्षक व विवेचक को केस डायरी के साथ तलब किया है। - आनंद प्रकाश तिवारी, संयुक्त पुलिस आयुक्त
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