Kanpur DM-CMO Vivad: सीएमओ कुर्सी पर फिर काबिज हुए हरिदत्त नेमी, मीडिया से बात करने से किया इनकार
कानपुर के सीएमओ की कुर्सी पर चल रहा विवाद आखिरकार थम गया। निलंबन पर शासन का फैसला बदलने के बाद डा. हरिदत्त नेमी ने सीएमओ कार्यालय में पहुंचकर पदभार संभाला। उन्होंने डा. रमित रस्तोगी से चार्ज लिया। विभागीय काम में जुट गए। शासन ने डा. उदय नाथ को श्रावस्ती वापस भेज दिया और डा. नेमी के निलंबन को स्थगित कर दिया जिसके बाद डा. नेमी फिर से सीएमओ बन गए।

जागरण संवाददाता, कानपुर। जिले के सीएमओ की कुर्सी पर चल रहा विवाद गुरुवार को थम गया। जब शासन की ओर से निलंबन पर फैसला बदलने के बाद डा. हरिदत्त नेमी ने सुबह 10 बजे सीएमओ कार्यालय में पहुंचकर सीएमओ का चार्ज संभाला।
उन्होंने एसीएमओ और एक दिन के लिए सीएमओ का चार्ज संभालने वाले डा. रमित रस्तोगी से सीएमओ का चार्ज लिया और विभागीय पत्राचार में लग गए। हालांकि इस दौरान उन्होंने मीडिया से बात करने से इन्कार कर दिया।
बुधवार को शासन ने पत्र जारी करते सीएमओ डा. उदय नाथ को फिर से श्रावस्ती अपर मुख्य चिकित्साधिकारी का कार्यभार संभालने और तत्कालीन सीएमओ डा. हरिदत्त नेमी के निलंबन के आदेश को स्थगित करने का पत्र जारी किया गया था। इसके बाद सीएमओ पद पर फिर से हरिदत्त नेमी के बैठने की पर मुहर लग गई थी।
आपको बताते चले कि 19 जून को डीएम की जांच रिपोर्ट के आधार पर निलंबित हुए तत्कालीन सीएमओ डा. हरिदत्त नेमी को महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं लखनऊ कार्यालय से संबद्ध कर दिया था और उनके स्थान पर अपर मुख्य चिकित्साधिकारी श्रावस्ती के पद पर तैनात डा. उदय नाथ को कानपुर का नया सीएमओ बनाया गया था।
इसके बाद हाईकोर्ट से स्थगन के आदेश लेकर 10 जुलाई को डा. नेमी सीएमओ की कुर्सी पर काबिज हो गए थे, जो करीब 30 घंटे की मशक्कत के बाद सीएमओ की कुर्सी से हटे थे। लेकिन 16 जुलाई को जिले के सीएमओ की कुर्सी एक बार फिर पसोपेश में फंस गई। दोपहर करीब 12 बजे शासन की ओर से दो पत्र जारी किए गए।
पहले पत्र में शासन ने हाईकोर्ट पहुंचे तत्कालीन सीएमओ डा. हरिदत्त नेमी के निलंबन के आदेश को स्थगित करने और दूसरे पत्र में वर्तमान सीएमओ डा. उदयनाथ को अग्रिम आदेशों तक पूर्व की भांति अपर मुख्य चिकित्साधिकारी श्रावस्ती के पद पर तैनात रहने का निर्देश जारी किया गया। पत्र मिलते ही सीएमओ डा. उदय नाथ डीएम जितेन्द्र प्रताप सिंह से मिलने पहुंचे और वहां से सीधे सर्किट हाउस होते हुए श्रावस्ती के लिए रवाना हो गए थे।
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