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    Kanpur DM CMO Vivad: विवाद के बाद डीएम और सीएमओ की पहली मुलाकात, मांग ली तीन वर्षों में भ्रूण हत्या कार्रवाई की रिपोर्ट

    By Ankush Kumar Edited By: Anurag Shukla1
    Updated: Fri, 18 Jul 2025 09:11 PM (IST)

    Kanpur News कानपुर में डीएम और सीएमओ विवाद के बाद शुकवार को पहली मुलाकात हुई। इस दौरान दोनों के बीच काफी देर तक बातचीत हुई। डीएम ने सीएमओ से तीन वर्षों में भ्रूण हत्या पर हुई कार्रवाई की रिपोर्ट मांग ली। शहर के सभी अस्पतालों में जागरूकता के बोर्ड उल्लंघन पर कार्रवाई होगी।

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    नवीन सभागार में बैठक करते डीएम-सीएमओ। जागरण

    जागरण संवाददाता, कानपुर। शहर में जिलाधिकारी जितेन्द्र प्रताप सिंह और सीएमओ डा. हरिदत्त नेमी के बीच विवाद में 35 दिन सबकुछ सामान्य दिखा। जब जिलाधिकारी की अध्यक्षता में पीसीपीएनडीटी अधिनियम की समीक्षा बैठक में डीएम और सीएमओ आमने-सामने आए और गिले-शिकवे भुलाकर एक-दूसरे से मिले। बैठक में डीएम और सीएमओ के बीच कई बार वार्ता हुई।

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    डीएम ने बैठक में सीएमओ को भ्रूण जांच के खिलाफ सख्त रवैया अपनाने और कार्रवाई करने का निर्देश दिया। उन्होंने तीन वर्षों में भ्रूण हत्या पर हुई कार्रवाई और शहर के सभी अस्पतालों में जागरूकता के लिए बोर्ड लगाने के लिए निर्देशित किया।

    शुक्रवार को जिलाधिकारी जितेन्द्र प्रताप सिंह की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट स्थित नवीन सभागार में गर्भधारण एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध) के अंतर्गत समुचित प्राधिकारी पीसीपीएनडीटी बैठक सम्पन्न हुई। बैठक में पंजीकरण, नवीनीकरण, स्थल परिवर्तन, चिकित्सक एवं मशीन जोड़े जाने से संबंधित प्राप्त प्रार्थना पत्रों का जिलाधिकारी ने नामित मजिस्ट्रेट तथा संबंधित चिकित्सकों की संयुक्त निरीक्षण रिपोर्ट के आधार पर विमर्श करते हुए नोटिस की कार्रवाई की।

    बैठक में नवीन पंजीकरण के कुल 12 आवेदन प्रस्तुत हुए। इसमें आठ को संस्तुति प्रदान की गई। नवीनीकरण के लिए प्राप्त 14 आवेदन में से 11 को स्वीकृति दी गई तथा तीन पर नोटिस जारी किए गए। वहीं, स्थल परिवर्तन के दो आवेदन में से एक को संस्तुत किया गया। जिलाधिकारी ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी को निर्देशित किया कि विगत तीन वर्षों में पीसीपीएनडीटी अधिनियम के अंतर्गत नियमों के उल्लंघन के मामलों में कितने चिकित्सा संस्थानों के विरुद्ध कार्रवाई की और इसकी विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए निर्देशित किया। उन्होंने कहा कि अधिनियम के अंतर्गत लाइसेंस प्राप्त प्रत्येक केंद्र में उन चिकित्सकों की सूची अनिवार्य रूप से प्रदर्शित की जाए, जिनके नाम पर लाइसेंस निर्गत किया गया है।

    जिलाधिकारी ने यह भी कहा कि अधिनियम के अंतर्गत प्राप्त प्रत्येक आवेदन का निस्तारण निर्धारित 70 दिवस की समय सीमा के भीतर किया जाए। साथ ही, प्रत्येक माह के दूसरे बुधवार को पीसीपीएनडीटी समिति की बैठक नियमित रूप से आयोजित की जाए, जिसमें लंबित प्रकरणों पर विचार किया जाए। इसके साथ ही सभी चिकित्सा संस्थानों में दो बाई दो फीट आकार का एक स्पष्ट सूचना बोर्ड अनिवार्य रूप से लगाया जाए, जिस पर यह संदेश अंकित हो कि यहां लिंग निर्धारण नहीं किया जाता है।

    साथ ही, लिंग निर्धारण से संबंधित शिकायत हेतु निर्धारित हेल्पलाइन नंबर भी स्पष्ट रूप से प्रदर्शित किया जाए। बैठक में सलाहकार समिति के सदस्य आरके सफ्फड़ और अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं नोडल अधिकारी पीसीपीएनडीटी शामिल हुए।

    सीएमओ विवाद में खेल करने वाले एसीएमओ पर मंडराया खतरा

    सीएमओ डा. हरिदत्त नेमी शासन की ओर से निलंबन होने के बाद प्रेसवार्ता कर डीएम के साथ अपने ही विभाग के दो एसीएमओ पर खेल करने करने का आरोप लगाया था। भ्रष्टाचारियों के खिलाफ लड़ाई जारी करने की बात करने वाले सीएमओ अब फिर से शहर के स्वास्थ्य मुखिया बन गए हैं। अब उनकी नजर एसीएमओ डा. सुबोध प्रकाश और डा. आरएन सिंह पर होगी। जो पूरे मामले में सबसे ज्यादा चर्चा में रहे हैं। अब देखना होगा कि सीएमओ उन पर क्या कार्रवाई करेंगे या उनके पटल बदलेंगे। शुक्रवार को पूरे दिन सभी एसीएमओ अपने-अपने कक्ष में काम करते दिखे। हालांकि पूरे सीएमओ कार्यालय में एसीएमओ डा. सुबोध प्रकाश और डा. आरएन सिंह पर सबकी नजर रही।

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