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    सावधान! चूके तो खाते हो जाएंगे खाली, साइबर अपराधी ठगी के बदल रहे तरीके 

    Updated: Thu, 04 Dec 2025 05:07 PM (IST)

    कानपुर में साइबर अपराधी ठगी के नए तरीके अपना रहे हैं, जिससे लोगों को नुकसान हो रहा है। पुलिस जागरूकता अभियान चला रही है, फिर भी लोग ठगी का शिकार हो रह ...और पढ़ें

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    जागरण संवाददाता, कानपुर। कमिश्नरेट पुलिस के लगातार चलाए जा रहे जागरूकता अभियान के बावजूद लोग ठगों के जाल में फंसकर अपने रुपये गंवा रहे हैं। साइबर अपराधी भी ज्वलंत मुद्दों को देखते हुए नए-नए तरीके लोगों के सामने ला रहे हैं, जिसे वे लोगों को डराकर या ज्यादा लालच दिखा बैंक खाते खाली कर रहे हैं।

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    दिल्ली धमाके में आतंकी जुड़ाव के नाम पर तो कहीं ई-चालान का भुगतान करने, अखाद्य तेल की सप्लाई के नाम पर ठगी समेत नए-नए तरीकों का सिलसिला जा रही है। अधिकारियों के अनुसार, ठगों के पास भले ही नए-नए तरीके हैं, लेकिन उनसे बचाव के लिए सिर्फ एक ही तरीका जागरूकता है।

    साइबर अपराधियों से निपटने के लिए कमिश्नरेट पुलिस जितनी तेजी से काम कर रही है और लोगों को शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक जागरूक कर रही है। उतनी ही तेजी से साइबर अपराधी भी समय-समय पर अपने ठगी के तरीकों को बदलते जा रहे हैं। साइबर अपराधरी पहले ओटीपी पूछकर लोगों के बैंक खाते खाली करते थे।

    जब साइबर क्राइम टीम ने लोगों को ओटीपी बताने से मना करने के लिए जागरूक किया तो फिर क्यूआर कोड भेजकर रिश्तेदारों से रुपये मंगवाने का झांसा देना शुरू कर दिया। ठगी का ये क्रम लंबे समय चला और ठगों की चाल जब लोग समझने लगे तो फिर से साइबर अपराधियों ने अपना पैतरा बदला।

    कस्टम और दिल्ली क्राइम ब्रांच अधिकारी बन लोगों को फोन कर उनके मित्र के विदेश से कीमती उपहार आने का झांसा देकर कस्टम ड्यूटी आदि के नाम ठगी शुरू हो गई। इसके बाद कभी सैन्यकर्मी बन गृहस्थी का सामान बेचने तो कभी पुरानी स्कूटी या साइकिल खरीदने तो कभी मिठाई का आर्डर देने के नाम पर ठगी हुई।

    अब साइबर अपराधियों ने बिल्कुल नया तरीका अपनाया। दिल्ली बम धमाके में शहर में आतंकी जुड़ाव में लोगों का नाम शामिल होने और मुकदमे की धमकी देकर ठगी का प्रयास किया जाने लगा। यही नहीं ई-चालान होने के बाद भुगतान के लिए वाट्सएप पर लिंक और एपीके फाइल भेजकर भी ठगी की जाने लगे।

    इसी तरह से ई-सिम के नाम पर मोबाइल फोन हैंग कर ठगी करने के मामले के बाद अब ठगों ने एक और नया तरीका अपना लिया, जिसमें फेसबुक पर विज्ञापन भेज अखाद्य तेल की सप्लाई के नाम पर पहले आर्डर लेते हैं और उसके बाद फर्जी कांटा की पर्ची व बिल वाट्सएप पर भेज भुगतान ट्रांसफर कराते हैं। यशोदा नगर पी ब्लाक के तेल कारोबारी अनिल दीक्षित की फर्म के प्रबंधक शिवम से भी इसी तरह से 34 लाख रुपये की ठगी की गई थी। अब साइबर क्राइम टीम इसकी जांच में जुटी है।

    ये नए मामले आए हैं सामने:

    • 17 नवंबर: ठगों ने गोविंद नगर निवासी पंकज चड्ढा को भी पहलगाम हमले में शामिल आतंकी को पकड़ने व उनका नाम बार-बार लेने का झांसा देकर 15 मिनट तक डिजिटल अरेस्ट किया था, लेकिन जागरूकता के चलते उनके रुपये बच गए।
    • 10 नवंबर: दिल्ली में हुए कार ब्लास्ट की आतंकी शामिल होने का डर दिखाकर साइबर ठगों ने 10 नवंबर को कैंट निवासी सुनीता गौड़ को डर दिखाकर एनआइए अधिकारी बनकर 6.66 लाख रुपये ठगे। खुद को एटीएस अधिकारी बताते हुए डराया- धमकाया गया कि उनका नाम दिल्ली कार ब्लास्ट की आतंकी गतिविधियों में उनका नाम आया है। साइबर ठग ने उन्हें धमकाते हुए जेल जाने की धमकी देकर डिजिटल अरेस्ट कर लिया ठगी कर ली।
    • 26 अक्टूबर: खलासी लाइन स्थित एलन हाउस पब्लिक स्कूल की डायरेक्टर चकेरी लाल बंगला पोखरपुर निवासी नौशीन शादाब के पास अंजान नंबर से फोन आया। खुद को एक्सिस बैंक का कर्मी बताकर क्रेडिट कार्ड के वाउचर का समय समाप्त होने की बात कहकर लिंक भेजा। लिंक को क्लिक करते ही उनके कार्ड की पूरी डिटेल आ गई। इसके एक माह बाद कार्ड का बिल आने पर उन्हें खाते से 2.94 लाख रुपये ट्रांसफर होने की जानकारी हुई।
    • 29 अगस्त: साइबर ठगों ने लाजिस्टिक कारोबारी मोकम सिंह का सिम कार्ड ई-सिम में बदलकर उनके बैंक खाते से पूरी राशि मुंबई स्थित एक बैंक में ट्रांसफर कर दी। पीड़ित कारोबारी ने साइबर थाने में तहरीर देकर रिपोर्ट दर्ज कराई है।


    साइबर ठगों के नए-नए तरीके सामने आ रहे हैं। जागरूकता ही ठगों से बचाव का प्रमुख तरीका है। साइबर क्राइम टीम और थाना पुलिस जगह-जगह पर जाकर लोगों को जागरूक कर रहे हैं। ठगी होने पर गोल्डन आवर में 1930 पर काल कर शिकायत दर्ज कराएं या फिर साइबर सेल, साइबर क्राइम थाना व स्थानीय थाने में शिकायत दर्ज कराएं, जो भी शिकायतें आती हैं उनकी जांच तत्काल शुरू होती हैं। -अंजलि विश्वकर्मा, एडीसीपी क्राइम