कानपुर में 27 साल पहले मारपीट मामले में आया फैसला, कोर्ट बैठने तक सुनाई सजा
कानपुर की एक अदालत ने 1998 के मारपीट के एक मामले में 27 साल बाद फैसला सुनाया है। अदालत ने आरोपी पति-पत्नी को दोषी करार देते हुए कोर्ट में बैठने तक की सजा सुनाई और जुर्माना लगाया। जुर्माना भरने के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया। यह मामला कल्याणपुर थाने में दर्ज हुआ था, जिसमें वादी ने चाचा-चाची पर सरिया से हमला करने का आरोप लगाया था।

जागरण संवाददाता, कानपुर। एसजीएम 2 की कोर्ट ने मारपीट में 27 वर्ष बाद आरोपी पति-पत्नी को दोषी करार देते हुए कोर्ट बैठने तक की सजा सुनाई। इसके साथ 3500 रुपये का जुर्माना लगाया। जुर्माना अदा न करने पर सात दिन कैद के आदेश दिए गए थे। हालांकि दोषी पति व पत्नी ने जुर्माना अदा करने के बाद दोनों को रिहा कर दिया।
कल्याणपुर थाने में वर्ष 1998 में मारपीट के एक मामले में मुकदमा दर्ज हुआ था। संतोष कुमार ने तहरीर दी थी कि दो मार्च 1998 की शाम सात बजे वह अपने दरवाजे पर थे। तभी उनके चाचा-चाची ने सरिया से हमला कर दिया। उन्हें गंभीर चोट आई थी। पुलिस ने मेडिकल कराने के बाद मारपीट, धमकी और धारदार हथियार से हमला करने में मुकदमा दर्ज किया था।
विवेचना के दौरान पुलिस ने कन्हई लाल और उनकी पत्नी उर्मिला देवी के खिलाफ चार्जशीट लगाई थी। अधिवक्ता अनंत शर्मा ने बताया कि वर्ष 1999 से इस मामले में लगातार सुनवाई चल रही है। 21 नवंबर को पति-पत्नी ने अपना अपराध स्वीकार करते हुए आत्मसमर्पण कर दिया। कोर्ट ने उन्हें दोषी करार देते हुए न्यायिक हिरासत में ले लिया और दोनों को कोर्ट बैठने तक की सजा सुनाई।

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