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    सरकारी वाहन अलाट फिर भी किराये की निजी कार से चलते हैं कानपुर के सीएमओ, क्या है इसकी वजह

    By Abhishek AgnihotriEdited By:
    Updated: Sat, 31 Jul 2021 09:55 AM (IST)

    कानपुर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को सरकारी कार अलाट है इसके बावजूद वह विभागीय चालक की निजी कार काे किराये पर इस्तेमाल कर रहे हैं। निजी कार का टैक्सी परमिट नहीं है और सरकारी कार का हर माह डीजल भी लिया जा रहा है।

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    प्राइवेट किराये की कार से सीएमओ चलते हैं।

    कानपुर, जेएनएन। स्वास्थ्य विभाग में हर कार्य कायदे-कानून को ताख पर रख कर किया जा रहा है। हद तो यह है कि महकमे के आला अफसर यानी सीएमओ ने नियम दरकिनार कर प्राइवेट कार किराये पर ले रखी है, जबकि सरकारी कार्य में टैक्सी परमिट का वाहन होना चाहिए। उसका सीएमओ खुद ही भुगतान करा रहे हैं।

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    सीएमओ के लिए सरकारी वाहन अलाट है। फिर भी उन्होंने अपने लिए मराजो कार (यूपी 78 जीए 7902) किराये पर ले रखी है। यह कार प्राइवेट नंबर की है। सरकारी सेवा में किराये पर इसे लिया ही नहीं जा सकता है। सीएमओ के मातहत कार्यरत मलेरिया विभाग के चालक कमलेश दीक्षित की कार है, जो उनके पुत्र के नाम पंजीकृत है। हर माह बकायदा सरकारी खाते से उसके लिए भुगतान किया जा रहा है।

    सीएमओ को आवंटित है सरकारी वाहन

    सीएमओ को महकमे से टाटा जेस्ट यूपी 32 बीजी 7847 नंबर की कार मिली हुई है। वह उस कार से नहीं चलते। सरकारी वाहन के लिए प्रतिमाह 300 लीटर डीजल भी लिया जाता है। उसका सीएमओ कभी इस्तेमाल तक नहीं करते। सीएमओ द्वारा इस्तेमाल की जा रही प्राइवेट कार में डीजल भरवाया जाता है। उस कार को चलाने के लिए दो चालक भी तैनात हैं।

    -मेरे पहले से यह वाहन किराये पर चल रहा है। इस संदर्भ में मुझे जानकारी नहीं है। इसके बारे में पड़ताल करने के बाद ही कुछ बता सकेंगे। -डा. नैपाल सिंह, सीएमओ