Kanpur CMO News: डॉ. हरिदत्त नेमी को योगी सरकार ने दिया झटका, मनमानी करने का आरोप लगा 15 दिनों में मांगा जवाब
कानपुर के सीएमओ डॉ. हरिदत्त नेमी पर योगी सरकार ने कार्रवाई करते हुए उन्हें झटका दिया है। उन पर मनमानी करने पद का दुरुपयोग करने और प्रशासनिक नियंत्रण में लापरवाही बरतने के आरोप लगे हैं जिसके लिए 15 दिनों में जवाब मांगा गया है। आरोप पत्र में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में अनियमितताएं वित्तीय शक्तियों का उल्लंघन और स्थानांतरण आदेशों में मनमानी जैसे मामले शामिल हैं।

राज्य ब्यूरो, लखनऊ। जिलाधिकारी से विवाद के चलते निलंबित किए गए कानपुर नगर के मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. हरिदत्त नेमी को हाई कोर्ट से स्थगन आदेश मिलने के बाद भी शासन स्तर से उनको राहत देने वाला कोई आदेश गुरुवार को नहीं किया गया है।
जांच अधिकारी ने उन्हें आरोप पत्र थमाकर 15 दिनों में लिखित स्पष्टीकरण मांगा है। डॉ. नेमी द्वारा तय अवधि में जवाब न देने पर राज्य सरकार गुण-दोष के आधार पर निर्णय करेगी।
आरोप पत्र में डॉ. नेमी द्वारा कानपुर नगर में तैनाती की अवधि में कई गंभीर अनियमितताएं व शासन के आदेशों का उल्लंघन किए जाने का जिक्र है। चार बिंदुओं में जारी आरोपों में डॉ. नेमी को प्रथम दृष्टया दोषी बताया गया है।
डॉ. नेमी पर कर्मचारी आचरण नियमावली का उल्लंघन करने, शासकीय आदेश की अवहेलना के साथ ही स्वेच्छाचारिता पूर्ण आचरण, पदीय दायित्वों का दुरुपयोग करने, लचर व शिथिल प्रशासनिक नियंत्रण के साथ ही उनके कृत्यों को उत्तर प्रदेश कर्मचारी आचरण नियमावली के नियम 3 (1) का उल्लंघन करार दिया गया है।
आरोप एक- डॉ. नेमी पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के रिक्त पदों पर की जाने वाली नियुक्तियों के संबंध में चयन प्रक्रिया के विपरीत पदों का विज्ञापन राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन उत्तर प्रदेश की वेबसाइट पर नहीं किए जाने का आरोप है।
आयुष परीक्षा के सापेक्ष किए गए साक्षात्कारों के परिणाम का अनुमोदन जिला स्वास्थ्य समिति से चार दिन के अंदर नहीं कराने का आरोप है। जिसकी वजह से यह चयन प्रक्रिया संपन्न नहीं हो सकी।
डॉ. नेमी द्वारा सीडीओ कानपुर नगर की नोटिस के जवाब में यह स्वीकार करने का जिक्र है कि त्रुटिवश भर्ती प्रक्रिया का विज्ञापन राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन उत्तर प्रदेश की वेबसाइट पर प्रदर्शित नहीं किया जा सका।
आरोप दो- डॉ. नेमी पर सीएमओ कार्यालय की वरिष्ठ वित्त एवं लेखाधिकारी डॉ. वंदना सिंह के पत्र के हवाले से आरोप है कि उन्होंने शासन द्वारा दी गई वित्तीय शक्तियों का उल्लंघन किया है।
एसीएमओ डॉ. रमित एके रस्तोगी को समस्त योजनाओं से संबंधित बैंक खातों का द्वितीय हस्ताक्षरी नामित किया, जबकि शासनादेश में स्पष्ट है कि जिला स्वास्थ्य समिति के मुख्य खाता, प्रथम स्तर के पूलवाइज सब खातों तथा द्वितीय स्तर के सब खातों का संचालन सीएमओ (प्रथम संयुक्त हस्ताक्षरी) एवं पूर्णकालीक वरिष्ठ वित्त एवं लेखाधिकारी (द्वितीय हस्ताक्षरी) के संयुक्त हस्ताक्षर से किया जाएगा।
आरोप तीन- डॉ. नेमी पर आरोप है कि शासन द्वारा डॉ. आरएन सिंह को अपर मुख्य चिकित्साधिकारी कानपुर के पद पर तैनात किया गया था, किंतु उन्होंने शासन के आदेशों के विपरीत 21 फरवरी को डॉ. सिंह का स्थानांतरण सीएमओ कार्यालय से वरिष्ठ परामर्शदाता कारागार चिकित्सालय तथा दिनांक तीन मार्च को कारागार चिकित्सालय से वरिष्ठ परामर्शदाता पुलिस चिकित्सालय कानपुर नगर कर दिया।
यह भी आरोप है कि डॉ. समीर नारायण सिंह के संबंध में पांच बार तथा डॉ. प्रभाकर त्रिपाठी के संबंध में दो बार स्थानांतरण आदेश डॉ. नेमी ने जारी किए।
आरोप चार- डॉ. नेमी पर आरोप है कि वह डीएम कानपुर नगर द्वारा चार फरवरी को किए गए कार्यालय के निरीक्षण के दौरान अनुपस्थित पाए गए थे। उपस्थिति पंजिका में 34 अधिकारी व कर्मचारी अनुपस्थित पाए गए थे।
आरोप यह भी है कि पीएचसी नवाबगंज, सीएचसी शिवराजपुर, जिला क्षय रोग नियंत्रण केंद्र कानपुर नगर, सीएचसी नरबल, नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र केपीएम व जागेश्वर इत्यादि के औचक निरीक्षण के दौरान अनुपस्थित पाए गए चिकित्सकों तथा चिकित्सा अभिलेखों में मरीजों की फर्जी प्रविष्टियां करने वाले चिकित्सकों के खिलाफ डॉ. नेमी ने कोई कार्यवाही नहीं की, जबकि उन्हें कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए थे।
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