कोर्ट के आदेशों को छिपा अखिलेश गैंग ने कब्जाई थी वक्फ की जमीन
कानपुर में अखिलेश गैंग पर वक्फ बोर्ड की बेशकीमती जमीन पर कब्जा करने का आरोप लगा है। 2001 में अखिलेश दुबे ने किरायेदारों से पावर ऑफ अटॉर्नी करा ली थी जबकि कोर्ट ने वक्फ की जमीन ट्रांसफर न करने का आदेश दिया था। आरोप है कि किरायेदारों को डरा-धमकाकर जमीन कब्जाई गई। एसआईटी जांच के बाद अखिलेश दुबे समेत कई लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया है।

जागरण संवाददाता, कानपुर। सिविल लाइंस की बेशकीमती जमीन पर अखिलेश गैंग की नजर वैसे तो वर्ष 1990 के बाद से गड़ी हुई थी, लेकिन 2001 में अखिलेश दुबे साथी राजकुमार शुक्ला को सामने कर जमीन के पट्टा होल्डर किरायेदारों से पावर आफ अटार्नी करा ली, जबकि जिला जल ने 1986 में और 2011 में हाईकोर्ट ने किरायेदारों के पट्टा खत्म होने पर बदलने व वक्फ की जमीन ट्रांसफर न होने के आदेश दिए थे। पर उस आदेश को छिपा अखिलेश गैंग किरायेदारों को डरा-धमका व रुपयों का प्रलोभन देकर जमीन कब्जाई थी।
मुतवल्ली( जमीन की देखरेख करने वाले) मोइनुद्दीन आसिफ जाह के वकील सुहैल जफर ने बताया कि सिविल लाइंस की करीब तीन बीघा वक्फ की जमीन के पट्टा होल्डर एसएम बशीर ने वर्ष 1950 में एक महिला के लोन लेने पर जमीन महाजन बाबूराम मिश्रा को मार्गेज कर दी थी।
वह नीलामी में भी आई, लेकिन 1972 में मामला कोर्ट में चला गया था। इसके बाद 1982 में कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा था कि वक्फ की जमीन किसी को ट्रांसफर नहीं होगी। पट्टा खत्म होने के बाद किरायेदार बदल सकते हैं, लेकिन जमीन ट्रांसफर नहीं होगी।
हालांकि बाद में नीलामी के बाद तीन लोगों ने जमीन खरीदी और उनसे तीन अन्य ने खरीद दी। वकील सुहैल जफर के मुताबिक, उन सभी लोगों से अखिलेश दुबे गैंग के राजकुमार शुक्ला ने पावर आफ अटार्नी करवा ली थी।
जब भी मुतवल्ली मोइनुद्दीन आसिफ जाह कोर्ट में अपील करते तो आरोपित राजकुमार शुक्ला खुद को पावर आफ अटार्नी होल्डर बताता था। उसने एक मृत महिला की जगह दूसरी महिला को खड़ा कर 2016 में भी एक पावर आफ अटार्नी अपने नाम करवा ली थी। इसके बाद उसने रजिस्टर्ड पट्टा सर्वेश दुबे, सौम्या दुबे समेत लोगों को किया था।
इसकी शिकायत सालों से मोइनुद्दीन कर रहे थे तो उन्हें आरोपित तरह तरह से धमकियां देने लगे थे। यहां तक ट्रक से भी कुचलने का प्रयास किया गया था।बीते वर्ष ही जाजमऊ थाने में तैनात रहे व पिंटू सेंगर हत्याकांड में विवेचना से आरोपितों के नाम निकालने के आरोपित निलंबित इंस्पेक्टर सभाजीत ने भी उन्हें धमकाया था।
पीड़ित लगातार वक्फ की जमीन के लिए लड़ते रहे। इसके बाद एसआइटी की जांच के बाद बुधवार को आरोपित अखिलेश दुबे, सर्वेश दुबे, जयप्रकाश दुबे, राजकुमार शुक्ला, सौम्या, निलंबित इंस्पेक्टर सभाजीत सिंह, शिवांग और दो अज्ञात के खिलाफ ग्वालटोली थाने में मुकदमा दर्ज हुआ।
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