कानपुर के अखिलेश दुबे पर 150 करोड़ की जमीन हथियाने का भी आरोप, भाई सर्वेश दुबे के नाम कराया था फर्जी पट्टा
कानपुर में भाजपा नेता रवि सतीजा मामले में गिरफ्तार अधिवक्ता अखिलेश दुबे पर सरकारी और गैरसरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे का आरोप है। सिविल लाइन स्थित वक्फ ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, कानपुर। भाजपा नेता रवि सतीजा पर झूठा मुकदमा दर्ज कराकर 50 लाख रुपये वसूलने के मामले में गिरफ्तार अधिवक्ता अखिलेश दुबे पर सरकारी और गैरसरकारी जमीनों पर अवैध कब्जे का भी आरोप है।
इस संबंध में सबसे बड़ा मामला सिविल लाइन स्थित वक्फ बोर्ड की जमीन पर कब्जेदारी को लेकर है। आरोप है कि अखिलेश दुबे और उनके गिरोह ने 150 करोड़ रुपये कीमत वाली इस बेशकीमती जमीन को कूटरचित दस्तावेजों की मदद से कब्जा ली है।
अधिवक्ता सौरभ भदौरिया और आशीष शुक्ला की शिकायत पर इस मामले में जिला प्रशासन के अधिकारी जांच कर रहे हैं। खास बात यह है कि अब तक हुई जांच में अखिलेश दुबे मामले में फंसते नजर आ रहे हैं।
सौरभ भदौरिया ने बताया कि उनके द्वारा एक शिकायती पत्र पुलिस आयुक्त और जिलाधिकारी कानपुर को दिया गया था। शिकायती प्रार्थना पत्र में आरोप है कि अखिलेश दुबे ने अपने साथियों ने साथ मिलकर वक्फ बोर्ड की भूमि एवं जिलाधिकारी द्वारा 18 मई 2001 को घोषित शत्रु सम्पत्ति के खरीद फरोख्त पर लगायी गयी रोक के बावजूद षडयंत्र कर उक्त भूमि पर मरे हुए व्यक्तियों की पावर ऑफ अटॉर्नी पर धोखाधड़ी करते हुए हथिया ली है।
अखिलेश दुबे के भाई सर्वेश दुबे के नाम पर इस जमीन का 29 वर्ष 11 माह का पट्टा 26 फरवरी 2016 को भूमि हड़पने की नियत से कराया गया था। यह जमीन चार हजार वर्ग गज से भी ज्यादा है।
यह भी आरोप है कि अखिलेश दुबे ने इस जमीन पर कई व्यापारिक प्रतिष्ठान संचालित किए हैं और कई किराए पर दिए हैं। एक गेस्ट हाउस भी यहां पर संचालित हो रहा है।
इस संबंध में जिलाधिकारी ने एडीएम सिटी, केडीए सचिव और एसीपी बाबूपुरवा की एक एसआईटी गठित करके जांच शुरू की थी। इस समिति की एक जांच रिपोर्ट दैनिक जागरण को मिली है, जिसमें स्पष्ट लिखा हुआ है कि राजकुमार शुक्ला द्वारा सम्पत्ति संख्या 13/388 का रजिस्टर्ड पट्टा दिनांक एक मार्च 2016 को सर्वेश दुबे पुत्र स्वर्गीय राम कृष्ण दुबे एवं मेसर्स केनरी ऐपेरलेस प्रा०लि० स्थित पंजीकृत कार्यालय 13/388 सिविल लाइन्स द्वारा निदेशक सर्वेश दुबे पुत्र राम कृष्ण दुबे के पक्ष में किया था, जिसके अधिकार राजकुमार शुक्ला को प्राप्त नहीं थे।
वक्फ सम्पत्ति संख्या 13/388 पर मूल पट्टेदार को वर्ष 2010 तक ही पट्टेदारी के अधिकार थे। उक्त अवधि के उपरांत मकान संख्या 13/388 पट्टेदारी के अधिकार हस्तांतरित नहीं किये जा सकते थे।
जांच रिपोर्ट के मुताबिक, वक्फ संपत्ति के किराएदारों ने पट्टे पर ली गई जमीन को सिकमी किराएदार बनाकर खुर्दबुर्द किया। जिस मुन्नी देवी के नाम पर वर्ष 2016 और वर्ष 2024 में दस्तावेजी अभिलेख तैयार किए गए, उसकी मुत्यु वर्ष 2015 में ही हो चुकी थी।
हालांकि, जिला प्रशासन की ओर से इस रिपोर्ट के आधार पर अब तक कोई कार्यवाही आगे नहीं बढ़ाई गई है और न कोई अधिकारी इस संबंध में बोलने को तैयार है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।