कानपुर: ग्यारहवीं शरीफ पर एक साथ जुलूस-ए-गौसिया निकालने की तैयारी, प्रशासन ने अभी नहीं दी है अनुमति
प्रशासनिक स्तर पर इजाजत न मिलने के बाद भी जुलूस निकाला जाएगा। इजाजत न मिलने की स्थिति में शहर की आठ जगहों से जुलूस निकालने की बजाय कर्नलगंज से मरकजी जुलूस निकाला जाएगा। गौस-ए-आजम हजरत अब्दुल कादिर जीलानी की याद में 17 या 18 नवंबर को जुलूस-ए-गौसिया निकाला जाता है।

कानपुर, जागरण संवाददाता। गौस-ए-आजम हजरत शेख अब्दुल कादिर जीलानी की याद में ग्याहरवीं शरीफ 17 नवंबर को मनाई जाएगी। इसको लेकर तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। ग्यारहवीं शरीफ पर निकलने वाले जुलूसों को लेकर भी बैठकें होने लगी है। जुलूस निकालने वाली तंजीमें जुलूस-ए-मोहम्मदी की तरह जुलूस ए गौसिया निकालने पर अड़ गई है। प्रशासनिक स्तर पर जुलूस-ए-गौसिया की इजाजत न मिलने पर भी जुलूस-ए-गौसिया निकाला जाएगा। ऐसी स्थिति में जुलूस अलग अलग जगहों की बजाय एक साथ निकाला जाएगा। जुलूस का नेतृत्व शहरकाजी, मुफ्ती व उलेमा करेंगे।
गौस-ए-आजम हजरत अब्दुल कादिर जीलानी की याद में हर वर्ष अरबी महीने रबी-उल-सानी की 11 तारीख (इस वर्ष चांद के अनुसार 17 या 18 नवंबर को जुलूस-ए-गौसिया निकाला जाता है। हजरत अब्दुल कादिर जिलानी की मजार इराक के बगदाद में है। वे सूफी कादरी सिलसिले के संस्थापक है। उनके सूफी सिलसिले से दुनियाभर में लाखों लोग जुड़े हैं। कोरोना संक्रमण की वजह से पिछले वर्ष जुलूस-ए-गौसिया नहीं निकल सका था इस वर्ष जुलूस को लेकर तैयारियां शुरु हो गई । कर्नलगंज, काकादेव, सहित शहर में आठ स्थानों से जुलूस-ए-गौसिया निकाला जाता है। जुलूस को लेकर परेड स्थित मस्जिद मदह खान में शहरकाजी मौलाना मुश्ताक अहमद मुशाहिदी की अध्यक्षता में बैठक हुई। इस दौरान निर्णय लिया गया कि प्रशासनिक स्तर पर इजाजत न मिलने के बाद भी जुलूस निकाला जाएगा। इजाजत न मिलने की स्थिति में शहर की आठ जगहों से जुलूस निकालने की बजाय कर्नलगंज से मरकजी जुलूस निकाला जाएगा। बैठक में हाजी मोहम्मद सलीस, मौलाना मेेराज अशरफी, मौलाना अब्दुल रहीम कादरी, सय्यद मोहम्मद अतहर कादरी, मुफ्ती महमूदुल हसन आदि रहे।

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