कृषि क्षेत्र में जापान का मिलेगा सहयोग, सीएसए विश्वविद्यालय ने तैयार किए बिंदु
चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय की ओर से तैयार किए गए बिंदुओं पर सरकार ने नोडल अफसर बनाया है। सहयोग के ज्ञापन पर दोनों पक्षों में हस्ताक्षर हो गए हैं और अब जल्द ही एमओयू पर भी हस्ताक्षर किए जाएंगे।
कानपुर, जागरण संवाददाता। कृषि विश्वविद्यालयों में शोध व विकास को बढ़ावा देने में जल्द ही जापान के कृषि, वन एवं मत्स्य मंत्रालय का सहयोग मिलेगा। मेमोरैंडम आफ कोआपरेशन (सहयोग के ज्ञापन) पर प्रदेश सरकार और मंत्रालय के बीच हस्ताक्षर हो चुके हैं, जल्द ही सीएसए विवि और जापान की कंपनी के बीच करार (एमओयू) होने की उम्मीद है। इसके लिए सरकार ने नोडल अफसर नियुक्त किए हैं।
जापान में खेती की तकनीकी काफी उन्नत है। यहां ड्रोन और रोबोट के इस्तेमाल की शुरुआत हो रही है, जापान में पहले से ही दोनों तकनीक की मदद से कृषि कार्य किए जा रहे हैं। यही नहीं बिना मिट्टी के सब्जियां उगाई जा रही हैं और उनकी गुणवत्ता भी बढ़ाई जा रही है। यही नहीं, मिट्टी की उर्वर शक्ति बढ़ाने में भी जापान के कृषि विवि लगातार शोध कर रहे हैं। जापान की इन तकनीकी का प्रदेश के कृषि कार्यों में सहयोग लेने के लिए सरकार की ओर से टोक्यो स्थित कृषि, वन एवं मत्स्य मंत्रालय के बीच सहयोग के लिए ज्ञापन पर दोनों पक्षों ने हस्ताक्षर किए हैं। जापान के मंत्रालय के अधीन साउथ एशिया ग्रुप के प्रमुख हिरोकी कीनोशिता और उत्तर प्रदेश शासन की ओर से विशेष सचिव, कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान के बीच यह हस्ताक्षर किए जा चुके हैं। अब जल्द ही सीएसए विवि और मंत्रालय के अधीन विभिन्न कंपनियों के बीच करार (एमओयू) पर हस्ताक्षर होंगे।
विवि के कुलपति डा. डीआर सिंह ने बताया कि जापानी विशेषज्ञों और वहां की कंपनियों की तकनीकी के इस्तेमाल से देश में कृषि उत्पादन और तकनीकी को बढ़ाने में मदद मिलेगी। अभी करार को लेकर कुछ बिंदुओं पर वार्ता होनी बाकी है।
प्रौद्योगिकी की सफलता पर किसानों को दी जाएगी जानकारी : एमओयू के तहत सीएसए विवि और जापानी कंपनी कृषि क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए सहमत हो गई है। वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकीविदों का आदान-प्रदान होगा। वैज्ञानिक साहित्य, सूचना और कार्यप्रणाली का आदान-प्रदान के साथ ही उपलब्ध व आवश्यक वैज्ञानिक उपकरणों का आदान-प्रदान करेंगे। विभिन्न शोधकार्यों में सहयोगी अनुसंधान परियोजनाओं का विकास और कार्यान्वयन किया जाएगा। साथ ही सीएसए विवि में जापानी कृषि प्रौद्योगिकी के लिए क्षेत्र, कार्यप्रणाली, वित्तीय व्यवस्था के लिए पारस्परिक रूप से सहमति बनेगी। समझौता ज्ञापन को द्विवार्षिक कार्य योजनाओं के विकास के माध्यम से लागू किया जाएगा। कार्य योजनाएं किसी भी पक्ष से शुरू हो सकती हैं, लेकिन पूर्ण अनुमोदन की आवश्यकता के लिए दोनों पक्षों की स्वीकृति होगी। यही नहीं, शोधकार्यों के सफल परिणामों की जानकारी किसानों को भी दी जाएगी।