युवाओं में क्यों बढ़ रहा प्रोस्टेट कैंसर, पढ़िए- कारण पर शोध कर रहीं प्रोफेसर बुशरा का साक्षात्कार
आइआइटी की प्रोफेसर बुशरा अतीक को उनके शोध के लिए शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है वह कहती हैं कि पहली बार कैंसर के कारण को तलाशने के लिए जींस परिवर्तन पर विस्तार से अध्ययन किया जा रहा है।
कानपुर, जेएनएन। देश में 50 वर्ष से अधिक आयु के पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर की समस्या बढ़ती ही जा रही है। इसका पता अधिकतर तब लगता है जब परेशानी बढ़ जाती है। अब इस समस्या की चपेट में 30 वर्ष तक के युवा आने लगे हैं, जिसके पीछे लाइफ स्टाइल डिसऑर्डर (जीवन शैली विकार) बड़ी वजह है। महज दो से तीन फीसद मामलों में जिनेटिक कारण है। संतुलित खानपान, व्यायाम और लक्षणों के आधार पर समस्या पर समय रहते काबू पाया जा सकता है।
पहली बार जींस परिवर्तन पर शोध शामिल कर बड़े स्तर पर अध्ययन किया जा रहा है। इससे प्रोस्टेट कैंसर का शुरुआती चरण में ही पता लग सकेगा। यह कहना है शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार के लिए चयनित आइआइटी की बायोलॉजिकल साइंसेज एंड बायो इंजीनियरिंग की प्रो. बुशरा अतीक का। उन्होंने बातचीत में महत्वपूर्ण जानकारियां दीं, पेश है कुछ अंश...
- प्रोस्टेट कैंसर पर आगे क्या प्रोजेक्ट है और किस स्तर पर शोध चल रहा है?
-डीबीटी वेलकल ट्रस्ट इंडिया लाइंस के सहयोग से पांच साल का प्रोजेक्ट है। इसमें केजीएमयू लखनऊ, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज कानपुर, मुंबई व कोलकाता के टाटा हॉस्पिटल के विशेषज्ञ शामिल हैं। प्रोस्टेट कैंसर के कारण और निवारण पर अध्ययन किया जा रहा है। कौन अच्छे जींस निष्क्रिय और कौन बुरे जींस सक्रिय हैं, इनकी जांच होगी। कैंसर के प्रारंभिक कारणों का पता लगाया जाएगा। जांच का आसान तरीका विकसित करने की तैयारी है।
- कैंसर पर टारगेटेड थैरेपी पर भी काम करने की प्लानिंग है?
- सबसे पहले समस्या का पता लगाया जाएगा, फिर टारगेटेड थैरेपी पर काम होगा। पांच साल के शोध में संक्रमित व्यक्ति के ट्यूमर को चूहे में विकसित किया जाएगा। उसको होने वाली दिक्कतें बिल्कुल रोगी की तरह से होगी। उस पर बड़े स्तर पर अध्ययन किया जाएगा।
- क्या कीमोथेरेपी के साइड इफेक्ट को कम करने की तैयारी है ?
-प्रोस्टेट कैंसर में एंड्रोजन डिप्रिवेशन थैरेपी का इस्तेमाल किया जाता है। एंड्रोजन प्रोस्टेट कैंसर को बढ़ाने के लिए उत्तेजित करते हैं। इसको रोकने के लिए थैरेपी का उपयोग होता है। कई मामलों में कुछ दवाएं दो से तीन वर्षों बाद रेसिस्टेंट हो जाती हैं, जिनका असर नहीं होता है।
- कैंसर के पीछे जिनेटिक कारण हैं या लाइफ स्टाइल डिसऑर्डर ?
- कैंसर का मुख्य कारण लाइफ स्टाइल डिसऑर्डर है। महिलाओं को समय पर अपनी जांच करानी चाहिए। प्रोस्टेट की समस्या में अधिकतर रोगी कैंसर मान लेते हैं जबकि ज्यादातर में ग्रंथियां बढ़ जाती हैं। यह लेप्रोस्कोपिक सर्जरी से आसानी से सही हो जाती है।
- वायु प्रदूषण का घनत्व बढऩा भी क्या कर्क रोग का कारण है ?
- फेफड़ों के लिए तो कहा जा सकता है। कई जर्नल भी प्रकाशित हुए हैं। प्रोस्टेट और ब्रेस्ट कैंसर के रूप में अब तक कोई सुबूत नहीं मिले हैं।
- आप क्या शुरू से ही रिसर्च के क्षेत्र में जाना चाहतीं थी ?
- मैं मूल रूप से बरेली की रहने वाली हूं और 10वीं तक की पढ़ाई वहीं से की है। स्कूल में मेरा पसंदीदा विषय बायोलॉजी था। मैं शुरू से ही रिसर्च के क्षेत्र में आगे जाना चाहती थी। मैंने 11वीं से लेकर पीएचडी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से की है।
- शोध के लिए माता या पिता में से किसने अधिक सपोर्ट किया?
- दोनों ने। बीएससी में पढ़ाई के दौरान पिता का देहांत हो गया, जिसके बाद मां ने आगे पढऩे के लिए प्रेरित किया। वह स्वयं इंटर कॉलेज की लेक्चरार रही हैं। आज भी सफलता के लिए सबसे अधिक प्रसन्न हैं।