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Indian Railway News: सफल हुआ उत्तर मध्य रेलवे का प्रयोग, अब बिना गार्ड के दौड़ेंगी 900 मालगाडिय़ां

कानपुर यार्ड से टुंडला के बीच उत्तर मध्य रेलवे ने गार्ड के बगैर डिवाइस की मदद से मालगाड़ी संचालन का सफल परीक्षण किया। इसके बाद ईओटीटी डिवाइस बनाने का आर्डर देनके साथ 200 लोको पायलटों का आनलाइन प्रशिक्षण भी शुरू करा दिया है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Tue, 03 Aug 2021 11:55 AM (IST)Updated: Tue, 03 Aug 2021 11:55 AM (IST)
Indian Railway News: सफल हुआ उत्तर मध्य रेलवे का प्रयोग, अब बिना गार्ड के दौड़ेंगी 900 मालगाडिय़ां
उत्तर मध्य रेलवे में गार्ड की कमी पूरी करेगी डिवाइस।

कानपुर, जेएनएन। गुड्स मार्शलिंग कानपुर (जीएमसी) यार्ड से टूंडला के बीच पहली मालगाड़ी बिना गार्ड के डिवाइस से चलाई गई और उत्तर मध्य रेलवे का यह प्रयोग सफल रहा। अब रेलवे ने 900 मालगाडिय़ों के लिए ईओटीटी (एंड आफ ट्रेन टेलीमेट्री) डिवाइस बनाने का आर्डर बनारस लोकोमोटिव वर्कशाप को दिया है। 200 लोको पायलटों का प्रशिक्षण आनलाइन शुरू कर दिया गया है। रेलवे अधिकारियों के मुताबिक उत्तर मध्य रेलवे प्रयागराज मंडल की 344 मालगाडिय़ां जल्द ही इस डिवाइस से दौड़ेंगी।

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वाराणसी लोकोमोटिव वर्कशाप और आरडीएसओ (रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड आर्गनाइजेशन) लखनऊ पिछले एक साल से ईओटीटी डिवाइस पर काम कर रहे थे। रविवार को मालगाड़ी में इसका प्रयोग सफल रहने के बाद उत्तर मध्य रेलवे जल्द से जल्द 900 मालगाडिय़ों में इस डिवाइस का प्रयोग करने की तैयारी की है। प्रयागराज मंडल की बात करें तो यहां 344 मालगाडिय़ां हैं जिन्हें अगस्त के अंत तक डिवाइस से चलाने की तैयारी है। उत्तर मध्य रेलवे प्रयागराज मंडल के जनसंपर्क अधिकारी अमित कुमार सिंह ने बताया कि डिवाइस का परीक्षण सफल रहा है। अब इसे और मालगाडिय़ों में उपयोग किया जाएगा।

235 किमी की दूरी 305 मिनट में पूरी

रविवार शाम 6:15 बजे मालगाड़ी जीएमसी से टूंडला के लिए बिना गार्ड के चलाई गई। कानपुर से टूंडला की दूरी तकरीबन 235 किमी है। ट्रेन ने इसे 305 मिनट में पूरा कर लिया और रात 11:20 बजे टूंडला पहुंची।

जरूरत से आधी है गार्ड की संख्या

उत्तर मध्य रेलवे में गार्ड की संख्या दो हजार होनी चाहिए, लेकिन वर्तमान में यह संख्या 1020 है। कानपुर परिक्षेत्र में यह संख्या 58 है जो जरूरत के हिसाब से आधी है। ईओटीटी डिवाइस जहां गार्ड की कमी से निपटने में सहायक होगी, वहीं रेलवे के लिए आर्थिक दृष्टि से भी फायदेमंद साबित होगी।

गार्ड का हर काम करेगी डिवाइस

ईओटीटी जीपीएस आधारित डिवाइस है जिसके दोनों यूनिट रेडियो ट्रांसमीटर के जरिए एक दूसरे से जुड़े होते हैं। इसमें जीएसएम (ग्लोबल सिस्टम फार मोबाइल कम्युनिकेशन) भी है जो डाटा ट्रांसफर करता है। इंजन में लगे यूनिट में डिस्प्ले होता है जिसमे लोको पायलट को दूसरी यूनिट से भेजे जा रहे डाटा की जानकारी मिलती रहती है। ट्रेन के अंतिम डिब्बे में चल रहे गार्ड का काम होता है कि वह फाङ्क्षलग मार्क देखे ताकि लूप लाइन में जब मालगाड़ी को खड़ा किया जाए तो पीछे से आ रही यात्री ट्रेन को मेन लाइन पर आसानी से निकाला जा सके ताकि दुर्घटना न हो। ईओटीटी के जरिये यह काम आसानी से हो जाएगा।


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