जंगलों-गोदामों में आग बुझाना आसान करेगा IIT का 'दहन', बताएगा ज्वाला शांत करने के उपाय
आईआईटी कानपुर का कंबस्टन मॉडल अब जंगलों गोदामों और बाजारों में आग से होने वाले नुकसान को कम करेगा। प्रो. अजय विक्रम सिंह द्वारा तैयार किया गया यह मॉडल वनस्पतियों की ज्वलनशीलता हवा की गति और आग की स्थिति का विश्लेषण करके आग बुझाने में मदद करेगा। अमेरिका के द कंबस्टन इंस्टीट्यूट ने इसे सर्वश्रेष्ठ शोध पत्र माना है।

अखिलेश तिवारी, कानपुर । प्रत्येक वर्ष जंगलों-बड़े गोदामों और बाजारों में आग से होने वाले लाखों-करोड़ों रुपये के नुकसान से अब आइआइटी कानपुर का कंबस्टन (दहन ) माडल बचाएगा। इससे आग बुझाना आसान हो जाएगा। माडल से वनस्पतियों की ज्वलनशीलता, हवा के बहाव की दिशा-गति, आग भड़कने की स्थिति और उसे रोकने के उपाय बताएगा।
इसे प्रो. अजय विक्रम सिंह ने तैयार किया है। अमेरिका के प्रतिष्ठित द कंबस्टन इंस्टीट्यूट ने सर्वश्रेष्ठ शोध पत्र मानते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दिए जाने वाले सिल्वर कंबस्टन मेडल के लिए प्रोफेसर को नामांकित किया है। द कंबस्टन इंस्टीट्यूट का मुख्यालय अमेरिका के पिट्सबर्ग पेंसिलवेनिया में है।
आग भड़कने के होते हैं कई कारण
आइआइटी कानपुर में विकसित कंबस्टन (दहन ) माडल से दुनिया के किसी भी क्षेत्र में लगने वाली भीषण आग को नियंत्रित करने में मददगार होगा। प्रो. अजय के अनुसार, आग जब भड़कती है तो उसके कई कारक होते हैं। मौसम या जलवायु, आर्द्रता का स्तर, हवा की दिशा व गति, आग लगने वाली जगह की टोपोग्राफी, कौन-कौन सी वनस्पतियां व वनस्पतियों की अपनी ज्वलनशीलता कैसी है। कैलिफोर्निया के जंगल में हर साल भयावह आग लगती है, जिसे नियंत्रित करने वाली टीम ने इस वर्ष इसी माडल की मदद ली।
राहत अभियान की न्यूमेरिकल माडलिंग में होता है इस माडल का प्रयोग
इस सैद्धांतिक माडल का प्रयोग राहत अभियान की न्यूमेरिकल माडलिंग में किया जाता है, जो जंगलों में आग के सटीक पूर्वानुमान में सहायक है। इसके तहत आग की लपटों की तीव्रता, रंग व ताप का विश्लेषण कर पता करते हैं कि आग अभी कितना भड़केगी या भड़क चुकी है। अगले एक घंटे के दौरान आग कितनी दूरी तय करेगी।
उसकी दिशा कौन सी होगी। इससे बचाव एवं राहत दल को काम करने का मौका मिल सकेगा। यह माडल किसी भी तरह की आग के स्वरूप (समानांतर या घुमावदार-बवंडर) को पहचान कर बता देगा कि उसको किस तरह का ईंधन मिल रहा है। इस माडल के सिद्धांत का व्यावहारिक प्रयोग सफल रहा है। पूर्वानुमान व वास्तविक परिणाम में पांच प्रतिशत का ही अंतर पाया गया है। माडल का अत्याधुनिक स्वरूप तैयार है, जो आग की लपटों का न्यूनतम समय में आकलन कर लेता है।
माडल के प्रयोग को यह जरूरी, कई देशों ने दिखाई दिलचस्पी
संबंधित आग वाले क्षेत्र में माडल को लागू करने के लिए जरूरी है कि वहां मौजूद ईंधन सामग्री- वनस्पतियों के बारे में पहले से पूरी जानकारी हो। जंगलों में कौन सी वनस्पतियां हैं और वह कितनी ज्वलनशील हैं। विश्व की कुछ पेट्रो केमिकल कंपनियों ने इस माडल के प्रयोग में दिलचस्पी दिखाई है। अमेरिका की मिसूला फायर साइंस लैब मोन्टाना ने इस सैद्धांतिक माडल का प्रयोग जंगलों की आग बुझाने में किया है। इसके अलावा अमेरिका की एरगान नेशलन लैब व एनआइएसटी अमेरिका भी इसका प्रयोग कर रहे हैं।
माडल से यह होंगे लाभ
-होटलों, सार्वजनिक स्थलों, गोदामों में भी आग से सुरक्षा का तंत्र विकसित किया जा सकेगा।
-दुनिया भर में जंगलों में लगने वाली भयावह आग को बुझाने की चुनौती से निपटा जा सकेगा।
-हर साल होने वाले लाखों-करोड़ों रुपये के आर्थिक नुकसान को बचाने में मदद मिलेगी।
-जंगलों में आग लगने पर पृथ्वी के पर्यावरण को होने वाली भारी क्षति को बचाया जा सकेगा।
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